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हरिद्वार में 'गायब' हो गया सार्वजनिक शौचालय, बेखबर नगर निगम - सार्वजनिक शौचालय न्यूज हरिद्वार

इस शौचालय के टूटने से न सिर्फ स्थानीय व्यापारी खुले में शौच करने को मजबूर हैं, बल्कि नगर निगम की ये लापरवाही पीएम मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को भी पलीता लगा रही है.

World Toilet Day news
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Published : Nov 19, 2020, 5:29 PM IST

Updated : Nov 19, 2020, 6:27 PM IST

हरिद्वार: धर्मनगरी में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. श्रद्धालु और स्थानीय लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए शहर में कई जगहों पर सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया गया था लेकिन शहर के कुछ भीड़-भाड़ वाले इलाके ऐसे हैं, जहां नए शौचालयों का निर्माण तो दूर की बात है, बल्कि आज से 25-30 साल पहले तत्कालीन यूपी सरकार के समय में जिन सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया था, आज उनका भी नामोनिशान मिट गया है.

हम बात कर रहे हैं हरिद्वार के मेन बाजार भल्ला रोड इलाके की. यहां पर उत्तर प्रदेश के शासनकाल में अर्ध कुंभ मेले के दौरान एक सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया गया था. हालांकि, पहले हरिद्वार नगर पालिका और बाद में नगर निगम ने इस शौचालय की सुध नहीं ली और ये धीरे-धीरे जर्जर होता चला गया. वहीं, तीन साल पहले यानी साल 2016 में इसका नामोनिशान तक मिट गया. अब वहां कोई शौचालय ही नहीं है.

भल्ला रोड पर स्थित इस सार्वजनिक शौचालय को ये कहकर तोड़ा गया था कि इसकी जगह पर नया शौचालय बनाया जाएगा, लेकिन आजतक वहां कोई शौचालय नहीं बनाया गया है. इस शौचालय के टूटने से न सिर्फ स्थानीय व्यापारी खुले में शौच करने को मजबूर हैं, बल्कि नगर निगम की ये लापरवाही पीएम मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को भी पलीता लगा रही है.

पढ़ें- दून में कबाड़ चुनने वाले बच्चों को बनाया जा रहा नशेड़ी, बाल आयोग ने लिखा पत्र

इस मामले में जब तत्कालीन मेयर (2016) मनोज गर्ग जिनके समय में शौचालय तोड़ा गया था, उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा कि उस समय जो अधिकारी वहां पर तैनात था. वही इसकी सही जानकारी दे सकता है.

वहीं, जब स्थानीय पार्षद अमन गर्ग से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मौजूदा एमएनए विप्रा त्रिवेदी के कार्यकाल के दौरान इस बात की जानकारी सार्वजनिक हुई थी, लेकिन उस मामले में क्या हुआ किसी को नहीं पता. हालांकि, वह इस बात का जिक्र जरूर कर रहे हैं कि यहां पर अब कुछ और निर्माण हो गया है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि नगर निगम ने जिस जगह को सार्वजनिक शौचालय का नाम दिया हो भला वहां पर किसी और भवन का निर्माण कैसे हो सकता है.

उधर, जब इस मामले में मेयर प्रतिनिधि अशोक शर्मा से बातचीत की तो वह भी अपना रोना रोते नजर आए. उनका कहना है कि निगम को अच्छी तरह से काम करने नहीं दिया जा रहा है और यही कारण है कि हरिद्वार के तमाम सार्वजनिक शौचालयों का यही हाल है. अधिकारी मेयर की सुनते नहीं है और कर्मचारियों को जो दिशानिर्देश दिए जाते हैं उस पर अमल नहीं हो रहा है लेकिन फिर भी संज्ञान में आने के बाद वह इस मामले को दिखाएंगे.

हरिद्वार: धर्मनगरी में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. श्रद्धालु और स्थानीय लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए शहर में कई जगहों पर सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया गया था लेकिन शहर के कुछ भीड़-भाड़ वाले इलाके ऐसे हैं, जहां नए शौचालयों का निर्माण तो दूर की बात है, बल्कि आज से 25-30 साल पहले तत्कालीन यूपी सरकार के समय में जिन सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया था, आज उनका भी नामोनिशान मिट गया है.

हम बात कर रहे हैं हरिद्वार के मेन बाजार भल्ला रोड इलाके की. यहां पर उत्तर प्रदेश के शासनकाल में अर्ध कुंभ मेले के दौरान एक सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया गया था. हालांकि, पहले हरिद्वार नगर पालिका और बाद में नगर निगम ने इस शौचालय की सुध नहीं ली और ये धीरे-धीरे जर्जर होता चला गया. वहीं, तीन साल पहले यानी साल 2016 में इसका नामोनिशान तक मिट गया. अब वहां कोई शौचालय ही नहीं है.

भल्ला रोड पर स्थित इस सार्वजनिक शौचालय को ये कहकर तोड़ा गया था कि इसकी जगह पर नया शौचालय बनाया जाएगा, लेकिन आजतक वहां कोई शौचालय नहीं बनाया गया है. इस शौचालय के टूटने से न सिर्फ स्थानीय व्यापारी खुले में शौच करने को मजबूर हैं, बल्कि नगर निगम की ये लापरवाही पीएम मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को भी पलीता लगा रही है.

पढ़ें- दून में कबाड़ चुनने वाले बच्चों को बनाया जा रहा नशेड़ी, बाल आयोग ने लिखा पत्र

इस मामले में जब तत्कालीन मेयर (2016) मनोज गर्ग जिनके समय में शौचालय तोड़ा गया था, उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा कि उस समय जो अधिकारी वहां पर तैनात था. वही इसकी सही जानकारी दे सकता है.

वहीं, जब स्थानीय पार्षद अमन गर्ग से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मौजूदा एमएनए विप्रा त्रिवेदी के कार्यकाल के दौरान इस बात की जानकारी सार्वजनिक हुई थी, लेकिन उस मामले में क्या हुआ किसी को नहीं पता. हालांकि, वह इस बात का जिक्र जरूर कर रहे हैं कि यहां पर अब कुछ और निर्माण हो गया है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि नगर निगम ने जिस जगह को सार्वजनिक शौचालय का नाम दिया हो भला वहां पर किसी और भवन का निर्माण कैसे हो सकता है.

उधर, जब इस मामले में मेयर प्रतिनिधि अशोक शर्मा से बातचीत की तो वह भी अपना रोना रोते नजर आए. उनका कहना है कि निगम को अच्छी तरह से काम करने नहीं दिया जा रहा है और यही कारण है कि हरिद्वार के तमाम सार्वजनिक शौचालयों का यही हाल है. अधिकारी मेयर की सुनते नहीं है और कर्मचारियों को जो दिशानिर्देश दिए जाते हैं उस पर अमल नहीं हो रहा है लेकिन फिर भी संज्ञान में आने के बाद वह इस मामले को दिखाएंगे.

Last Updated : Nov 19, 2020, 6:27 PM IST
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