हरिद्वारः हिंदी भाषा को संयुक्त राष्ट्र संघ की मुख्य भाषाओं में सम्मलित करने के लिए हरिद्वार लोकसभा सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज के ऑडिटोरियम में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में रूस, ब्रिटेन, जापान एवं कई अन्य देशों से आए साहित्यकारों ने भाग लिया. इस मौके पर डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि अब हिंदी को राष्ट्र की राष्ट्रीय भाषा और संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने का समय आ गया है.
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि भारतीय संविधान की अनुसूची आठ में जिन 22 भाषाओं को दर्जा दिया गया है, उनमें अंग्रेजी भाषा का उल्लेख नहीं है. इसलिए अंग्रेजी राष्ट्रभाषा नहीं हो सकती है. जबकि भारत हिंदू राष्ट्र है और यहां पर हिंदी को ही राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलना चाहिए. इसके साथ जब हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलेगा तो राज्य अपनी प्रादेशिक भाषाओं को भी आगे बढ़ा सकते हैं और हिंदी के बाद उसको अपना सकते हैं.
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आज विश्व हिंदी दिवस: सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल ने बताया कि हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा एवं संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने हेतु आज विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) के अवसर पर तीर्थ नगरी हरिद्वार के ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज के ऑडिटोरियम में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है. जिसमें वैश्विक हिंदी परिवार, हिमालय विश्वविद्यालय, एसएमजेएन पीजी कॉलेज और हिमालय विरासत ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में एक दर्जन से अधिक देशों के प्रख्यात हिंदी लेखकों के साथ ही देश के अनेकों लेखन एवं हिंदी प्रेमीजन इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए.
हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का संकल्प: डॉ. निशंक की पहल और अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा और संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाने हेतु संकल्प लिया गया जिसके बाद ऋषिकुल से हर की पैड़ी तक संकल्प यात्रा निकाली गई. जहां पर मां गंगा की आरती में प्रतिभाग कर संकल्प लिया गया.
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इस सम्मेलन में प्रमुख रूप से अनिल जोशी अध्यक्ष वैश्विक हिंदी परिवार, डॉ. मधु चतुर्वेदी प्रतिष्ठित लेखिका, ब्रिटेन से दिव्या माथुर, जय वर्मा, कनाडा से शैलजा सक्सेना और स्नेह ठाकुर, अमेरिका से अनूप भार्गव, लंदन से कृष्ण टंडन, जापान से राम शर्मा, आयरलैंड से अभिषेक त्रिपाठी, रूस से इंद्रजीत सिंह एवं उज़्बेकिस्तान से उल्फत मुखी बोवा सहित देश एवं विदेश के अनेकों साहित्यकारों ने हिस्सा लिया.
भारत की राष्ट्र नहीं राजभाषा है हिंदी: भारतीय संविधान में भारत की कोई राष्ट्र भाषा नहीं है. संविधान में 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में जगह दी है. जिसमें केंद्र सरकार या राज्य सरकार अपने मुताबकि किसी भी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में चुन सकती है. केंद्र सरकार ने अपने कार्यों के लिए हिंदी और रोमन भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में जगह दी है. यानी सरकारी कामकाज के लिए हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है. इसके अलावा अलग-अलग प्रदेशों में स्थानीय भाषा के अनुसार भी अलग-अलग आधिकारिक भाषाओं को चुना गया है. असमी, उर्दू, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, संतली, सिंधी, तमिल, तेलुगू, बोड़ो, डोगरी, बंगाली और गुजराती आधिकारिक भाषाएं हैं.