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अखाड़ों में सबसे बड़ा जूना पूरा करेगा कुंभ अवधि, 26 मई तक डटे रहेंगे

जूना अखाड़े से साफ किया है कि हरिद्वार महाकुंभ में वो चारों शाही स्नान पूरा करेंगे और कुंभ तय समय के अनुसार अवधि पर ही संपन्न होगा.

ना अखाड़े के श्री महंत नारायण गिरी
ना अखाड़े के श्री महंत नारायण गिरी
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Published : Apr 16, 2021, 8:17 PM IST

हरिद्वार: महाकुंभ में निरंजनी अखाड़ा द्वारा कुंभ समाप्ति की घोषणा किए जाने के निर्णय के बाद संत समाज में विवाद गर्माया हुआ है. बैरागी अखाड़ों ने निरंजनी अखाड़े के फैसले को गलत बताते हुए जहां कुंभ को लगातार चलाने का फैसले किया है. वहीं अब सबसे बड़े जूना अखाड़े ने भी अपना बयान जारी किया है.

जूना अखाड़े से साफ किया है कि हरिद्वार महाकुंभ में वो चारों शाही स्नान पूरा करेंगे और कुंभ तय समय के अनुसार ही संपन्न होगा. जूना अखाड़े के श्री महंत नारायण गिरी का कहना है-

हरिद्वार महाकुंभ में अभी चार स्नान बाकी हैं, तिथि के लिहाजा से कुंभ मेला 14 अप्रैल से 26 मई तक चलने वाला है. अखाड़ों की परंपरा के हिसाब से हमारा कुंभ मेला 26 मई तक चलेगा. कुंभ की अपनी परंपरा है, जिसका पालन संतों को करना चाहिए. कुंभ किसी व्यक्ति विशेष का नहीं है बल्कि हजारों करोड़ों हिंदुओं की आस्था का एक उत्सव है.

उनके इस बयान से साफ हो गया है की जूना अखाड़ा कुंभ अवधि पूरी होने के बाद ही हरिद्वार छोड़ेगा. इसके साथ ही नारायण गिरी ने कहा कि-

जूना अखाड़े के संतों द्वारा कोरोना की जांच कराई गई है, जिसकी रिपोर्ट का इंतजार है. हम कोरोना की गाइडलाइंस का पालन कर रहे हैं और सावधानी बरत रहे हैं. जब तक रिपोर्ट नहीं आती है तबतक हमारे सभी संत जिन्होंने जांच कराई है वो आइसोलेट हैं.

गौर हो कि संतों में बढ़ते कोरोना संक्रमण और देहरादून स्थित एक निजी अस्पताल में अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देवदास (65) की मौत के बाद संतों के बीच बेचैनी बढ़ गई है. महामंडलेश्वर कोविड जांच में संक्रमित पाए गये थे. उनको सांस में तकलीफ और बुखार की शिकायत थी. इस घटना के तुरंत बाद पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी और उनके सहयोगी आनंद अखाड़े ने 17 अप्रैल को कुंभ मेला समापन की घोषणा कर दी है. निरंजनी अखाड़े के साधु-संतों की छावनियां 17 अप्रैल को खाली कर दी जाएंगी.

हालांकि, निरंजनी अखाड़े की ओर से कुंभ समापन की घोषणा से बैरागी संत नाराज हो गए हैं. निर्वाणी और दिगम्बर अखाड़ों ने निरंजनी और आनंद अखाड़े के संतों से माफी मांगने की मांग की है. उनका कहना है कि मेला समापन का अधिकार केवल मुख्यमंत्री और मेला प्रशासन को है. ऐसे में घोषणा करने वाले संत यदि माफी नहीं मांगते तो वो अखाड़ा परिषद के साथ नहीं रह सकते हैं. उनका मेला जारी रहेगा और 27 अप्रैल को सभी बैरागी संत शाही स्नान करेंगे. इसपर अब जूना अखाड़े ने भी स्थिति साफ कर दी है.

हरिद्वार: महाकुंभ में निरंजनी अखाड़ा द्वारा कुंभ समाप्ति की घोषणा किए जाने के निर्णय के बाद संत समाज में विवाद गर्माया हुआ है. बैरागी अखाड़ों ने निरंजनी अखाड़े के फैसले को गलत बताते हुए जहां कुंभ को लगातार चलाने का फैसले किया है. वहीं अब सबसे बड़े जूना अखाड़े ने भी अपना बयान जारी किया है.

जूना अखाड़े से साफ किया है कि हरिद्वार महाकुंभ में वो चारों शाही स्नान पूरा करेंगे और कुंभ तय समय के अनुसार ही संपन्न होगा. जूना अखाड़े के श्री महंत नारायण गिरी का कहना है-

हरिद्वार महाकुंभ में अभी चार स्नान बाकी हैं, तिथि के लिहाजा से कुंभ मेला 14 अप्रैल से 26 मई तक चलने वाला है. अखाड़ों की परंपरा के हिसाब से हमारा कुंभ मेला 26 मई तक चलेगा. कुंभ की अपनी परंपरा है, जिसका पालन संतों को करना चाहिए. कुंभ किसी व्यक्ति विशेष का नहीं है बल्कि हजारों करोड़ों हिंदुओं की आस्था का एक उत्सव है.

उनके इस बयान से साफ हो गया है की जूना अखाड़ा कुंभ अवधि पूरी होने के बाद ही हरिद्वार छोड़ेगा. इसके साथ ही नारायण गिरी ने कहा कि-

जूना अखाड़े के संतों द्वारा कोरोना की जांच कराई गई है, जिसकी रिपोर्ट का इंतजार है. हम कोरोना की गाइडलाइंस का पालन कर रहे हैं और सावधानी बरत रहे हैं. जब तक रिपोर्ट नहीं आती है तबतक हमारे सभी संत जिन्होंने जांच कराई है वो आइसोलेट हैं.

गौर हो कि संतों में बढ़ते कोरोना संक्रमण और देहरादून स्थित एक निजी अस्पताल में अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देवदास (65) की मौत के बाद संतों के बीच बेचैनी बढ़ गई है. महामंडलेश्वर कोविड जांच में संक्रमित पाए गये थे. उनको सांस में तकलीफ और बुखार की शिकायत थी. इस घटना के तुरंत बाद पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी और उनके सहयोगी आनंद अखाड़े ने 17 अप्रैल को कुंभ मेला समापन की घोषणा कर दी है. निरंजनी अखाड़े के साधु-संतों की छावनियां 17 अप्रैल को खाली कर दी जाएंगी.

हालांकि, निरंजनी अखाड़े की ओर से कुंभ समापन की घोषणा से बैरागी संत नाराज हो गए हैं. निर्वाणी और दिगम्बर अखाड़ों ने निरंजनी और आनंद अखाड़े के संतों से माफी मांगने की मांग की है. उनका कहना है कि मेला समापन का अधिकार केवल मुख्यमंत्री और मेला प्रशासन को है. ऐसे में घोषणा करने वाले संत यदि माफी नहीं मांगते तो वो अखाड़ा परिषद के साथ नहीं रह सकते हैं. उनका मेला जारी रहेगा और 27 अप्रैल को सभी बैरागी संत शाही स्नान करेंगे. इसपर अब जूना अखाड़े ने भी स्थिति साफ कर दी है.

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