हरिद्वार: दीपावली 4 नवंबर को है. दीपावाली धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने और घरों की खुशहाली का त्योहार है. आम लोग जहां दीपावली में घरों को दीये, रंग-बिरंगी लाइटों और रंगोली से सजाते हैं और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं वहीं, तंत्र-मंत्र विद्या सिद्ध करने वाले इस दिन उल्लू की बलि देते हैं. जिस कारण विलुप्त प्राय उल्लू का बहुत बड़े पैमाने पर शिकार होता है जिसे रोकने के लिए हरिद्वार वन विभाग मुस्तैद है.
दीपावली के अवसर पर कुछ लोग तंत्र क्रिया के नाम पर जंगली जानवरों का भी शिकार करते हैं. जिनमें सबसे ज्यादा अगर किसी को निशाना बना जाता है तो वह पक्षी उल्लू है. इनकी सुरक्षा के लिए हरिद्वार वन विभाग के प्रभागीय वनाधिकारी नीरज शर्मा ने बताया कि दीपावली के अवसर पर कुछ लोग तांत्रिक क्रियाओं के लिए उल्लू का शिकार करते है. हरिद्वार वन विभाग ऐसी किसी घटना से बचने के लिए पूरी तरह मुस्तैद है.
नीरज शर्मा के अनुसार हरिद्वार वनप्रभाग के लगभग 150 कर्मचारी और उनके साथ दैनिक कर्मचारियों की लगभग 45 टीम अलग-अलग स्थानों पर वायरलैस और अन्य उपकरणों से लैस रहती है. जो हर तरह की परिस्थिति के लिए तैयार रहते है. इसके साथ ही सभी फील्ड वन कर्मियों के अवकाश को निरस्त किया गया है.
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तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए उल्लू का प्रयोग: दीपावली के शुभ मौके पर लोग लक्ष्मी की पूजा करते हैं, परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अंधविश्वास के चलते मां लक्ष्मी का वाहन कहे जाने वाले उल्लू की जान के पीछे पड़ जाते हैं. माना जाता है कि तांत्रिक जादू-टोना तंत्र-मंत्र और साधना विद्या में उल्लू का प्रयोग करते हैं. उल्लू की बलि दिए जाने से तंत्र-मंत्र विद्या को अधिक बल मिलता है. इसकी बलि देने से जादू-टोना बहुत कारगर सिद्ध होते हैं, ऐसी धारणा समाज में व्याप्त है. जिसके चलते लोग उल्लुओं को पकड़ने के लिए जंगलों की ओर रुख करते हैं. इस अंधविश्वास के चलते दुर्लभ होती प्रजाति पर लोग अत्याचार कर रहे हैं.
क्यों दी जाती है उल्लू की बलि: माना जाता है कि उल्लू एक ऐसा प्राणी है जो जीवित रहे तो भी लाभदायक है और मृत्यु के बाद भी फलदायक होता है. दिवाली में तांत्रिक गतिविधियों में उल्लू का इस्तेमाल होता है. इसके लिए उसे महीनाभर पहले से साथ में रखा जाता है. दिवाली पर बलि के लिए तैयार करने के लिए उसे मांस-मदिरा भी दी जाती है. पूजा के बाद बलि दी जाती है और बलि के बाद शरीर के अलग-अलग अंगों को अलग-अलग जगहों पर रखा जाता है, जिससे समृद्धि हर तरफ से आए.