हरिद्वार: फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए जहां रासायनिक खाद का अत्यधिक प्रयोग लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है, वहीं रासायनिक खादों के प्रयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति भी कम होती जा रही है. ऐसे में गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी के जंतु एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग की ओर से जैविक खाद तैयार करने के लिए खास तरह की बायो कंपोस्ट यूनिट तैयार की गई है.
यूनिवर्सिटी के जंतु एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग की ओर से यूनिवर्सिटी परिसर में ही बायो कंपोस्ट यूनिट का एक मॉडल तैयार किया गया है. इसमें यूनिवर्सिटी में निकलने वाले कूड़ा-करकट से जैविक खाद तैयार की जा रही है. वर्मी कंपोस्ट तकनीक से तैयार ये जैविक खाद ना सिर्फ भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाती है, बल्कि इससे फसल भी अधिक पौष्टिक होती है. विदेशी प्रजाति के केंचुए और वेस्ट को इकट्ठा करके जैविक खाद तैयार करने का यह मॉडल काफी सराहा जा रहा है.
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केमिकल से बने फर्टिलाइजर के नुकसान के चलते लोग जैविक कृषि के प्रति जागरूक हो रहे हैं. इसलिए अब कई युवा भी इस तकनीक के सहारे व्यवसाय करना चाहते हैं. इसलिए कई विद्यार्थी भी वर्मी कंपोस्ट विषय पर यूनिवर्सिटी में शोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि भविष्य में यह स्वरोजगार का भी एक अच्छा साधन बनेगा. वहीं गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी ने जैविक कृषि से लोगों को जोड़ने की एक खास पहल की है.
वर्मी कंपोस्ट से फसल पैदावार में लाभ: बताते चलें कि वर्मी कंपोस्ट से भूमि उपजाऊ बनती है. साथ ही वर्मी कंपोस्ट में आवश्यक पोषक तत्व प्रचुर व संतुलित मात्रा में होते हैं, जिससे पैदावार अच्छी होती है. वर्मी कंपोस्ट खाद रासायनिक खाद के मुकाबले काफी सस्ती होती है. वर्मी कंपोस्ट जैविक तरीके से तैयार की जाती है. इस कारण गंदगी कम होती है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है.