हरिद्वार: आज पूरे देश में गंगा सप्तमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. जिसका हिन्दू स्वावलंबियों के लिए खास महत्व है. वहीं धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा सप्तमी के अवसर पर श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान, तप ध्यान तथा दान-पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पौराणिक मान्यता है कि भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा धरती पर आईं थीं. इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से श्रद्धालुओं के सारे पापों का नाश हो जाता है. इस दिन हरिद्वार के गंगा घाटों पर श्रद्धालु स्नान कर पूजा-अर्चना कर पुण्य कमाते हैं. माना जाता है कि राजा सगर के वंशज राज भगीरथ ने अपने पुरखों के उद्धार के लिए मां गंगा को धरती पर लाने के लिए बड़ी कठिन तपस्या की थी. राजा भगीरथ को ब्रह्मा जी से वरदान मिलने के बाद मां गंगा मृत्युलोक में आने को तैयार हो गयीं.
जिसके बाद मां गंगा भगवान शिव की जटाओं से होते हुए राजा भगीरथ के पीछे-पीछे उनके पुरखों के उद्धार के लिए चल पड़ीं. जब मां गंगा हरिद्वार पहुंची तो सगर पौत्रों के भस्म अवशेष को स्पर्श करते ही उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो गयी थी. तब से अब तक मां गंगा के धरती के अवतरण को लोग गंगा सप्तमी तर्व के रूप में मनाते हैं.