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इस वजह से धरती पर आईं थी मां गंगा, आज करें ये उपाय होगी मोक्ष की प्राप्ति

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Published : May 11, 2019, 12:28 PM IST

पौराणिक मान्यता है कि भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा धरती पर आईं थीं. इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से श्रद्धालुओं के सारे पापों का नाश हो जाता है. इस दिन हरिद्वार के गंगा घाटों पर श्रद्धालु स्नान कर पूजा-अर्चना कर पुण्य कमाते हैं.

श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी.

हरिद्वार: आज पूरे देश में गंगा सप्तमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. जिसका हिन्दू स्वावलंबियों के लिए खास महत्व है. वहीं धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा सप्तमी के अवसर पर श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान, तप ध्यान तथा दान-पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पौराणिक मान्यता है कि भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा धरती पर आईं थीं. इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से श्रद्धालुओं के सारे पापों का नाश हो जाता है. इस दिन हरिद्वार के गंगा घाटों पर श्रद्धालु स्नान कर पूजा-अर्चना कर पुण्य कमाते हैं. माना जाता है कि राजा सगर के वंशज राज भगीरथ ने अपने पुरखों के उद्धार के लिए मां गंगा को धरती पर लाने के लिए बड़ी कठिन तपस्या की थी. राजा भगीरथ को ब्रह्मा जी से वरदान मिलने के बाद मां गंगा मृत्युलोक में आने को तैयार हो गयीं.

गंगा सप्तमी त्योहार.

जिसके बाद मां गंगा भगवान शिव की जटाओं से होते हुए राजा भगीरथ के पीछे-पीछे उनके पुरखों के उद्धार के लिए चल पड़ीं. जब मां गंगा हरिद्वार पहुंची तो सगर पौत्रों के भस्म अवशेष को स्पर्श करते ही उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो गयी थी. तब से अब तक मां गंगा के धरती के अवतरण को लोग गंगा सप्तमी तर्व के रूप में मनाते हैं.

हरिद्वार: आज पूरे देश में गंगा सप्तमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. जिसका हिन्दू स्वावलंबियों के लिए खास महत्व है. वहीं धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा सप्तमी के अवसर पर श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान, तप ध्यान तथा दान-पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पौराणिक मान्यता है कि भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा धरती पर आईं थीं. इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से श्रद्धालुओं के सारे पापों का नाश हो जाता है. इस दिन हरिद्वार के गंगा घाटों पर श्रद्धालु स्नान कर पूजा-अर्चना कर पुण्य कमाते हैं. माना जाता है कि राजा सगर के वंशज राज भगीरथ ने अपने पुरखों के उद्धार के लिए मां गंगा को धरती पर लाने के लिए बड़ी कठिन तपस्या की थी. राजा भगीरथ को ब्रह्मा जी से वरदान मिलने के बाद मां गंगा मृत्युलोक में आने को तैयार हो गयीं.

गंगा सप्तमी त्योहार.

जिसके बाद मां गंगा भगवान शिव की जटाओं से होते हुए राजा भगीरथ के पीछे-पीछे उनके पुरखों के उद्धार के लिए चल पड़ीं. जब मां गंगा हरिद्वार पहुंची तो सगर पौत्रों के भस्म अवशेष को स्पर्श करते ही उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो गयी थी. तब से अब तक मां गंगा के धरती के अवतरण को लोग गंगा सप्तमी तर्व के रूप में मनाते हैं.

Intro:एंकर- वैष्णो मां के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मा गंगा अपना आचरण हुआ था, इस दिन को गंगा जयंती के नाम से भी जाना जाता है। जिस दिन मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था उसे गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है और जिस दिन मां गंगा का पुनः जन्म हुआ था उसे गंगा सप्तमी कहा जाता है। यह दोनों ही पर मां गंगा के पूजन के लिए बड़े ही विशेष माने जाते हैं इस दिन देश भर के तमाम गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का आस्था की डुबकी लगाने के लिए तांता लगा रहता है।


Body:VO1- पौराणिक कथाओं के अनुसार जब अपने पितरों के मोक्ष के लिए भागीरथी कई सालों से कड़ी तपस्या के बाद पृथ्वी पर आने के लिए मना लिया तो समस्या खड़ी हुई की अगर मां गंगा अपने पूरे वेग से पृथ्वी पर अवतरित हुई तो इससे बहुत तबाही मचेगी, जिसके बाद भगवान शिव ने अपनी जटाओं में गंगा के अनियंत्रित प्रभाव को नियंत्रित कर लिया लेकिन इसके बावजूद भी छुपाना मैया पृथ्वी पर अवतरित हुई तो बहुत से वन और आश्रम नष्ट हो गए, मां गंगा जब जाहुनी ऋषि के आश्रम पहुंची तो वहाँ भी उनके वेग से बड़ी तबाही मची, जिस पर क्रोधित होकर ऋषि ने गंगा का सारा पानी पी लिया, अपने प्रयास को असफल होते देख भागीरथ ने ऋषि से क्षमा याचना की जिसके बाद ऋषि ने मां गंगा को स्वतंत्र किया। इसी दिन के रूप में गंगा सप्तमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन मां गंगा की पूजा अर्चना एवं आरती करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाने से सभी पाप नष्ट होते हैं मोक्ष की प्राप्ति होती है।


Conclusion:बाइट- पंडित शक्तिधर शास्त्री, ज्योतिषाचार्य

पीटीसी
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