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हरिद्वार में पॉड कार प्रोजेक्ट का हो रहा विरोध, क्या निकल पाएगा समाधान? - हरिद्वार में पीएम मोदी

उत्तराखंड के हरिद्वार में भले ही मेट्रो रेल की योजना परवान न चढ़ पाई हो, लेकिन अब पर्सनल रैपिड ट्रांजिट यानी पॉड कार चलाने की योजना पर तेजी से काम हो रहा है. बाकायदा, पॉड टैक्सी रूट को लेकर सर्वे भी हो चुका है. माना जा रहा है कि पॉड कार के जरिए श्रद्धालु हवा में ही हर की पैड़ी से लेकर अन्य धार्मिक स्थानों तक आसानी से पहुंच सकेंगे. यह पीएम मोदी और सीएम धामी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है. दूसरी ओर इस ड्रीम प्रोजेक्ट का विरोध होने लगा है. जानिए क्यों हो रहा है विरोध और क्या है पॉड टैक्सी योजना?

Personal Rapid Transit
हरिद्वार में पॉड कार
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Published : Apr 12, 2023, 1:26 PM IST

Updated : Apr 12, 2023, 7:43 PM IST

हरिद्वार में पॉड कार प्रोजेक्ट का हो रहा विरोध.

हरिद्वारः भारत में पहली बार लंदन की तर्ज पर पर्सनल रैपिड ट्रांजिट यानी पॉड कार चलाने की कवायद की जा रही है. इसका मौका हरिद्वार को मिला है. इससे पहले हरिद्वार से ऋषिकेश के बीच में मेट्रो चलाने की योजना बनाई गई. इतना ही नहीं तेजी से काम भी शुरू हुआ और कर्मचारी भी तैनात कर लिए गए. बाकायदा ऑफिस भी खोल लिया गया, लेकिन सर्वे में मेट्रो प्रोजेक्ट फेल हो गया. फिर योजना हरिद्वार में 20 किलोमीटर के दायरे में पॉड कार चलाने की योजना बनी. इस पॉड कार का मुख्य उद्देश्य हरिद्वार के ज्वालापुर से लेकर शांतिकुंज तक श्रद्धालुओं को हवा के माध्यम से धार्मिक स्थानों पर पहुंचाना है. लेकिन काम शुरू होने से पहले ही इसका भारी विरोध होने लगा है. विरोध न केवल हरिद्वार के व्यापारी कर रहे हैं, बल्कि गंगा सभा और समाजसेवी भी करने लगे हैं.

बता दें कि हरिद्वार को धर्म नगरी भी कहा जाता है. यहां गंगा स्नान के लिए साल के 365 दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. खास स्नान पर्वों और कुंभ जैसे आयोजनों में तो यहां करोड़ों लोग पहुंचते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य और केंद्र सरकार हरिद्वार के लिए कई ऐसी बड़ी परियोजनाओं पर काम कर रही हैं, जिससे आने वाले समय में यात्रियों की संख्या बढ़ने पर शहर पर दबाव कम पड़े और आसानी से श्रद्धालु गंगा स्नान के साथ मंदिरों के दर्शन कर अपने-अपने गंतव्यों के लिए रवाना हो सकें. लिहाजा, अब मेट्रो परियोजना के बाद पॉड टैक्सी (कार) चलाने की योजना पर काम किया जा रहा है.

Personal Rapid Transit
पर्सनल रैपिड ट्रांजिट का प्रस्तावित रूट.

त्रिवेंद्र सरकार में बनी थी योजनाः गौर हो कि त्रिवेंद्र सरकार में इस योजना के लिए तत्कालीन कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक और अधिकारियों के एक दल को लंदन भेजा गया था. ताकि वो यह देख सकें कि कैसे कम स्थान में इसे संचालित किया जा सकता है. धामी सरकार आने के बाद योजना पर पंख लगने शुरू हुए. अब जैसे ही जानकारी मिली कि यह पॉड कार शहर के बिल्कुल बीचोंबीच से होकर हर की पैड़ी तक पहुंचेगी, वैसे ही इसका विरोध शुरू हो गया.

दरअसल, यह योजना ज्वालापुर से रानीपुर मोड़, रेलवे स्टेशन, ललतारा पुल, हर की पैड़ी और बहादराबाद तक प्रस्तावित है. इस योजना के तहत यह कहा गया था कि पॉड के रूट निर्माण के दौरान किसी तरह की इमारतों में तोड़फोड़ नहीं की जाएगी. साथ ही बाजार में अव्यवस्था न हो इसका भी ध्यान रखा जाएगा. लिहाजा, 11 पिलर पर तारों के जरिए यात्रियों को पॉड कार में घुमाने का प्लान है. एक पॉड कार में करीब 8 से 10 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होती है.

तैयार है ब्लू प्रिंटः करीब 12 सौ करोड़ की लागत से हरिद्वार में पॉड टैक्सी संचालित करने की योजना है. बताया जा रहा है कि इस योजना से हरिद्वार की सूरत बदल जाएगी. हरिद्वार के विधायक मदन कौशिक कहते हैं कि इस प्रोजेक्ट के लिए पूर्व की सरकार में और मौजूदा सरकार में कई तरह के प्लान बनाए गए थे. तब जाकर के यह फाइनल हुआ था कि हरिद्वार के 20 किलोमीटर के दायरे में यह योजना लागू होगी. इस योजना के बाद हरिद्वार की तस्वीर बदल जाएगी.
ये भी पढ़ेंः मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत पॉड कार कराएगी हरिद्वार दर्शन, जानिए खासियत और खर्च

मदन कौशिक का कहना है कि ऐसा नहीं है कि इस योजना को तुरंत लागू कर देंगे. इसमें बाकायदा काम शुरू होने से लेकर खत्म होने तक स्थानीय लोगों, बुद्धिजीवियों और हर वर्ग के नागरिकों से बातचीत की जाएगी. उसके बाद ही इस योजना पर काम शुरू होगा. फिलहाल, उत्तराखंड सरकार ने इस योजना का पूरा का पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है.

सीएम धामी और निशंक बोले, सभी से करेंगे बातचीतः उत्तराखंड सरकार ने इस योजना की डीपीआर और सर्वे का काम उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को दिया था. बाकायदा, इसके लिए टेंडर भी निकाले गए और 12 सौ करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाकर राज्य सरकार को रिपोर्ट भी भेजी. जिसके बाद यह तय हुआ कि साल 2024 के आखिर तक तक इस काम को पूरा कर लिया जाएगा. हालांकि, अभी काम शुरू होने से पहले ही योजना पर सवाल खड़े हो रहे हैं, उससे यह उम्मीद कम ही लगती है कि 2024 तक इसका काम पूरा कर लिया जाएगा.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहते हैं कि अभी इस योजना को लेकर लोग धारणा न बनाएं, जो भी काम होगा उसे सभी वर्गों से बातचीत करके ही शुरू किया जाएगा. वहीं, हरिद्वार लोकसभा सीट से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी कम शब्दों में बस इतना ही कह रहे हैं कि जो कुछ भी होगा, वो सबके सामने आ जाएगा.

सरकार और तमाम अधिकारी लगातार इस योजना को लेकर बैठक कर रहे हैं. उम्मीद यही जताई जा रही थी कि इस साल जून महीने से इस योजना का काम शुरू हो जाएगा, लेकिन योजना का काम शुरू होने से पहले ही इसका भारी विरोध हो गया है. शायद यही कारण है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हों या फिर हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक कम शब्दों में ही फिलहाल इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

व्यापारियों को सता रहा ये डरः इसका विरोध हरिद्वार की प्रमुख संस्था गंगा सभा के साथ व्यापारी वर्ग भी कर रहा है. व्यापारी वर्ग का कहना है कि इस योजना से हरिद्वार के व्यापार पर तो फर्क पड़ेगा ही, साथ ही आए दिन लगने वाले जाम पर भी इसका असर देखने के लिए मिलेगा. बिना किसी की रजामंदी और बिना किसी सलाह मशविरा के इस तरह की योजना को हरिद्वार शहर में लागू करना किसी भी हद तक सही नहीं है.

दरअसल, व्यापारियों को यह लगता है कि अगर कोई यात्री रेलवे स्टेशन से इस केबल कार में चढ़ता है तो वो सीधे मंदिरों में दर्शन करेगा और सीधे हर की पैड़ी से गंगा स्नान कर उन्हीं चुनिंदा जगहों पर रुकेगा, जहां पर इसके स्टेशन बनाए जाएंगे. ऐसे में हरिद्वार शहर का व्यापार पूरी तरह से चौपट हो जाएगा. व्यापारी नेता संजय त्रिवाल कहते हैं कि किसी भी योजना को राज्य सरकार या केंद्र सरकार इसलिए लागू करती हैं, ताकि राज्य और स्थानीय निवासियों को उसका फायदा मिले, लेकिन यहां तो नुकसान के लिए योजना बनाई जा रही है. व्यापारी वर्ग साफ कह चुका है कि इस योजना को किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जाएगा.

गंगा सभा ने गिनवाई कमियांः हरिद्वार गंगा सभा भी इस योजना पर अपना मत साफ कर चुकी है. गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ भी इस पर खुलकर बयान दे रहे हैं. तन्मय वशिष्ठ का कहना है कि हरिद्वार जैसे संकरे शहर में इस योजना को बीचों बीच से लाना बिल्कुल भी सही नहीं होगा. जिस रूट को फाइनल किया जा रहा है, उसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. क्योंकि, हरिद्वार में साल में लगने वाले तमाम मेले, कुंभ मेले और अर्ध कुंभ की तमाम बड़े पेशवाई व जुलूस इसी मार्ग से गुजरते हैं.

ऐसे में इस छोटे से मार्ग पर अगर इस तरह की केबल कार चलाएंगे तो व्यवस्थाएं और बिगड़ेंगी. खासकर हर की पैड़ी पर व्यवस्थाएं संभालने के लिए गंगा सभा के पास जितने साधन हैं, उस हिसाब से गंगा सभा बेहतर व्यवस्था मौजूदा समय में करती है, लेकिन इस तरह की योजना से आसपास में हालात और खराब होंगे. वहीं, गंगा सभा ने एक पत्र के माध्यम से डीएम और सीएम धामी को अवगत कराया है कि इस योजना को शहर के बीचों बीच से लाना किसी भी कीमत पर सही नहीं होगा. अगर ऐसा होता है तो उसका विरोध भी किया जाएगा.

कैसे करेगी काम और कितना पुराना है ये सिस्टमः इस पर्सनल रैपिड ट्रांजिट यानी पॉड कार में एक बार में 6 से 8 लोग सफर कर सकते हैं. जिसकी क्षमता और संख्या राइडरशिप असेसमेंट के मुताबिक बढ़ाई और घटाई जा सकती है. शुरुआत में 20 केबल कार सिस्टम में शामिल होंगी. यह कार ऑटो ऑपरेट सॉफ्टवेयर के माध्यम से काम करेंगी. जिस तरह से किसी भी बिल्डिंग में कई सारी लिफ्ट काम करती हैं, उसी तरह से यह सिस्टम भी काम करता है.

एक कार से दूसरी कार की दूरी अच्छी खासी होगी. ताकि किसी तरह का कोई हादसा न हो. अंदर सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडी हवा देने वाला सिस्टम लगाया जाएगा. दुनिया में सबसे पुराना सिस्टम वर्जीनिया में है. वहां पर साल 1975 से यह सेवा चल रही है. इसके बाद साल 2011 में लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर भी इस योजना को लागू किया गया. साल 2014 में दक्षिण कोरिया में भी यह सर्विस शुरू की गई है.

देखना होगा क्या निकलता है रास्ताः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर फिलहाल लोगों की प्रतिक्रिया के बाद ब्रेक सा लगता दिखाई दे रहा है. यह तो साफ हो गया है कि राज्य सरकार आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जनता को किसी भी कीमत पर हरिद्वार में नाराज नहीं करना चाहेगी. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस योजना को बायपास मार्ग से गुजराते हुए शांतिकुंज तक ले जाया जाए.

वहीं, हरिद्वार के डीएम विनय शंकर पांडे कहते हैं कि हमें इस योजना को हरिद्वार में लागू करवाना है, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि किसी भी स्थानीय निवासी को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो. क्योंकि, यह योजना स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ही है.

जानें क्या है ये पॉड कार? पीआरटी (PRT) यानी पर्सनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम सिस्टम जिसे आम भाषा में पॉड कार भी कहते हैं. पॉड कार का आकार कार जैसा ही होता है लेकिन ये अन्य कारों से छोटी होती है. इसमें एक वक्त पर अधिकतम 6 सवारियां बैठ सकती हैं. भारत में पहली बार होने जा रहा है. इससे पहले 2011 में लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर पॉड कार का इस्तेमाल शुरू हुआ था. संयुक्त अरब अमीरात के मसदर में भी ये सिस्टम है. हालांकि, विश्व का सबसे पुराना पीआरटी सिस्टम 1975 से वर्जीनिया में चल रहा है. इसके लिए एलिवेटेड रूट तैयार किया जाता है.

ये पॉड कार ऑटो ऑपरेट सॉफ्टवेयर की मदद से काम करती हैं. इसके ऐसे समझा जा सकता है जैसे किसी मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में कई सारी अलग-अलग लिफ्ट काम करती हैं जो दूसरी लिस्ट को ट्रैक करते हुए चलती हैं. उसी तरह पॉड कार भी ऑटो ऑपरेट सॉफ्टवेयर की मदद से दूसरी पॉड कार को ट्रैक करेगी और उतनी दूरी पर रहेगी.

हरिद्वार में पॉड कार प्रोजेक्ट का हो रहा विरोध.

हरिद्वारः भारत में पहली बार लंदन की तर्ज पर पर्सनल रैपिड ट्रांजिट यानी पॉड कार चलाने की कवायद की जा रही है. इसका मौका हरिद्वार को मिला है. इससे पहले हरिद्वार से ऋषिकेश के बीच में मेट्रो चलाने की योजना बनाई गई. इतना ही नहीं तेजी से काम भी शुरू हुआ और कर्मचारी भी तैनात कर लिए गए. बाकायदा ऑफिस भी खोल लिया गया, लेकिन सर्वे में मेट्रो प्रोजेक्ट फेल हो गया. फिर योजना हरिद्वार में 20 किलोमीटर के दायरे में पॉड कार चलाने की योजना बनी. इस पॉड कार का मुख्य उद्देश्य हरिद्वार के ज्वालापुर से लेकर शांतिकुंज तक श्रद्धालुओं को हवा के माध्यम से धार्मिक स्थानों पर पहुंचाना है. लेकिन काम शुरू होने से पहले ही इसका भारी विरोध होने लगा है. विरोध न केवल हरिद्वार के व्यापारी कर रहे हैं, बल्कि गंगा सभा और समाजसेवी भी करने लगे हैं.

बता दें कि हरिद्वार को धर्म नगरी भी कहा जाता है. यहां गंगा स्नान के लिए साल के 365 दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. खास स्नान पर्वों और कुंभ जैसे आयोजनों में तो यहां करोड़ों लोग पहुंचते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य और केंद्र सरकार हरिद्वार के लिए कई ऐसी बड़ी परियोजनाओं पर काम कर रही हैं, जिससे आने वाले समय में यात्रियों की संख्या बढ़ने पर शहर पर दबाव कम पड़े और आसानी से श्रद्धालु गंगा स्नान के साथ मंदिरों के दर्शन कर अपने-अपने गंतव्यों के लिए रवाना हो सकें. लिहाजा, अब मेट्रो परियोजना के बाद पॉड टैक्सी (कार) चलाने की योजना पर काम किया जा रहा है.

Personal Rapid Transit
पर्सनल रैपिड ट्रांजिट का प्रस्तावित रूट.

त्रिवेंद्र सरकार में बनी थी योजनाः गौर हो कि त्रिवेंद्र सरकार में इस योजना के लिए तत्कालीन कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक और अधिकारियों के एक दल को लंदन भेजा गया था. ताकि वो यह देख सकें कि कैसे कम स्थान में इसे संचालित किया जा सकता है. धामी सरकार आने के बाद योजना पर पंख लगने शुरू हुए. अब जैसे ही जानकारी मिली कि यह पॉड कार शहर के बिल्कुल बीचोंबीच से होकर हर की पैड़ी तक पहुंचेगी, वैसे ही इसका विरोध शुरू हो गया.

दरअसल, यह योजना ज्वालापुर से रानीपुर मोड़, रेलवे स्टेशन, ललतारा पुल, हर की पैड़ी और बहादराबाद तक प्रस्तावित है. इस योजना के तहत यह कहा गया था कि पॉड के रूट निर्माण के दौरान किसी तरह की इमारतों में तोड़फोड़ नहीं की जाएगी. साथ ही बाजार में अव्यवस्था न हो इसका भी ध्यान रखा जाएगा. लिहाजा, 11 पिलर पर तारों के जरिए यात्रियों को पॉड कार में घुमाने का प्लान है. एक पॉड कार में करीब 8 से 10 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होती है.

तैयार है ब्लू प्रिंटः करीब 12 सौ करोड़ की लागत से हरिद्वार में पॉड टैक्सी संचालित करने की योजना है. बताया जा रहा है कि इस योजना से हरिद्वार की सूरत बदल जाएगी. हरिद्वार के विधायक मदन कौशिक कहते हैं कि इस प्रोजेक्ट के लिए पूर्व की सरकार में और मौजूदा सरकार में कई तरह के प्लान बनाए गए थे. तब जाकर के यह फाइनल हुआ था कि हरिद्वार के 20 किलोमीटर के दायरे में यह योजना लागू होगी. इस योजना के बाद हरिद्वार की तस्वीर बदल जाएगी.
ये भी पढ़ेंः मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत पॉड कार कराएगी हरिद्वार दर्शन, जानिए खासियत और खर्च

मदन कौशिक का कहना है कि ऐसा नहीं है कि इस योजना को तुरंत लागू कर देंगे. इसमें बाकायदा काम शुरू होने से लेकर खत्म होने तक स्थानीय लोगों, बुद्धिजीवियों और हर वर्ग के नागरिकों से बातचीत की जाएगी. उसके बाद ही इस योजना पर काम शुरू होगा. फिलहाल, उत्तराखंड सरकार ने इस योजना का पूरा का पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है.

सीएम धामी और निशंक बोले, सभी से करेंगे बातचीतः उत्तराखंड सरकार ने इस योजना की डीपीआर और सर्वे का काम उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को दिया था. बाकायदा, इसके लिए टेंडर भी निकाले गए और 12 सौ करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाकर राज्य सरकार को रिपोर्ट भी भेजी. जिसके बाद यह तय हुआ कि साल 2024 के आखिर तक तक इस काम को पूरा कर लिया जाएगा. हालांकि, अभी काम शुरू होने से पहले ही योजना पर सवाल खड़े हो रहे हैं, उससे यह उम्मीद कम ही लगती है कि 2024 तक इसका काम पूरा कर लिया जाएगा.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहते हैं कि अभी इस योजना को लेकर लोग धारणा न बनाएं, जो भी काम होगा उसे सभी वर्गों से बातचीत करके ही शुरू किया जाएगा. वहीं, हरिद्वार लोकसभा सीट से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी कम शब्दों में बस इतना ही कह रहे हैं कि जो कुछ भी होगा, वो सबके सामने आ जाएगा.

सरकार और तमाम अधिकारी लगातार इस योजना को लेकर बैठक कर रहे हैं. उम्मीद यही जताई जा रही थी कि इस साल जून महीने से इस योजना का काम शुरू हो जाएगा, लेकिन योजना का काम शुरू होने से पहले ही इसका भारी विरोध हो गया है. शायद यही कारण है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हों या फिर हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक कम शब्दों में ही फिलहाल इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

व्यापारियों को सता रहा ये डरः इसका विरोध हरिद्वार की प्रमुख संस्था गंगा सभा के साथ व्यापारी वर्ग भी कर रहा है. व्यापारी वर्ग का कहना है कि इस योजना से हरिद्वार के व्यापार पर तो फर्क पड़ेगा ही, साथ ही आए दिन लगने वाले जाम पर भी इसका असर देखने के लिए मिलेगा. बिना किसी की रजामंदी और बिना किसी सलाह मशविरा के इस तरह की योजना को हरिद्वार शहर में लागू करना किसी भी हद तक सही नहीं है.

दरअसल, व्यापारियों को यह लगता है कि अगर कोई यात्री रेलवे स्टेशन से इस केबल कार में चढ़ता है तो वो सीधे मंदिरों में दर्शन करेगा और सीधे हर की पैड़ी से गंगा स्नान कर उन्हीं चुनिंदा जगहों पर रुकेगा, जहां पर इसके स्टेशन बनाए जाएंगे. ऐसे में हरिद्वार शहर का व्यापार पूरी तरह से चौपट हो जाएगा. व्यापारी नेता संजय त्रिवाल कहते हैं कि किसी भी योजना को राज्य सरकार या केंद्र सरकार इसलिए लागू करती हैं, ताकि राज्य और स्थानीय निवासियों को उसका फायदा मिले, लेकिन यहां तो नुकसान के लिए योजना बनाई जा रही है. व्यापारी वर्ग साफ कह चुका है कि इस योजना को किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जाएगा.

गंगा सभा ने गिनवाई कमियांः हरिद्वार गंगा सभा भी इस योजना पर अपना मत साफ कर चुकी है. गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ भी इस पर खुलकर बयान दे रहे हैं. तन्मय वशिष्ठ का कहना है कि हरिद्वार जैसे संकरे शहर में इस योजना को बीचों बीच से लाना बिल्कुल भी सही नहीं होगा. जिस रूट को फाइनल किया जा रहा है, उसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. क्योंकि, हरिद्वार में साल में लगने वाले तमाम मेले, कुंभ मेले और अर्ध कुंभ की तमाम बड़े पेशवाई व जुलूस इसी मार्ग से गुजरते हैं.

ऐसे में इस छोटे से मार्ग पर अगर इस तरह की केबल कार चलाएंगे तो व्यवस्थाएं और बिगड़ेंगी. खासकर हर की पैड़ी पर व्यवस्थाएं संभालने के लिए गंगा सभा के पास जितने साधन हैं, उस हिसाब से गंगा सभा बेहतर व्यवस्था मौजूदा समय में करती है, लेकिन इस तरह की योजना से आसपास में हालात और खराब होंगे. वहीं, गंगा सभा ने एक पत्र के माध्यम से डीएम और सीएम धामी को अवगत कराया है कि इस योजना को शहर के बीचों बीच से लाना किसी भी कीमत पर सही नहीं होगा. अगर ऐसा होता है तो उसका विरोध भी किया जाएगा.

कैसे करेगी काम और कितना पुराना है ये सिस्टमः इस पर्सनल रैपिड ट्रांजिट यानी पॉड कार में एक बार में 6 से 8 लोग सफर कर सकते हैं. जिसकी क्षमता और संख्या राइडरशिप असेसमेंट के मुताबिक बढ़ाई और घटाई जा सकती है. शुरुआत में 20 केबल कार सिस्टम में शामिल होंगी. यह कार ऑटो ऑपरेट सॉफ्टवेयर के माध्यम से काम करेंगी. जिस तरह से किसी भी बिल्डिंग में कई सारी लिफ्ट काम करती हैं, उसी तरह से यह सिस्टम भी काम करता है.

एक कार से दूसरी कार की दूरी अच्छी खासी होगी. ताकि किसी तरह का कोई हादसा न हो. अंदर सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडी हवा देने वाला सिस्टम लगाया जाएगा. दुनिया में सबसे पुराना सिस्टम वर्जीनिया में है. वहां पर साल 1975 से यह सेवा चल रही है. इसके बाद साल 2011 में लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर भी इस योजना को लागू किया गया. साल 2014 में दक्षिण कोरिया में भी यह सर्विस शुरू की गई है.

देखना होगा क्या निकलता है रास्ताः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर फिलहाल लोगों की प्रतिक्रिया के बाद ब्रेक सा लगता दिखाई दे रहा है. यह तो साफ हो गया है कि राज्य सरकार आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जनता को किसी भी कीमत पर हरिद्वार में नाराज नहीं करना चाहेगी. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस योजना को बायपास मार्ग से गुजराते हुए शांतिकुंज तक ले जाया जाए.

वहीं, हरिद्वार के डीएम विनय शंकर पांडे कहते हैं कि हमें इस योजना को हरिद्वार में लागू करवाना है, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि किसी भी स्थानीय निवासी को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो. क्योंकि, यह योजना स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ही है.

जानें क्या है ये पॉड कार? पीआरटी (PRT) यानी पर्सनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम सिस्टम जिसे आम भाषा में पॉड कार भी कहते हैं. पॉड कार का आकार कार जैसा ही होता है लेकिन ये अन्य कारों से छोटी होती है. इसमें एक वक्त पर अधिकतम 6 सवारियां बैठ सकती हैं. भारत में पहली बार होने जा रहा है. इससे पहले 2011 में लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर पॉड कार का इस्तेमाल शुरू हुआ था. संयुक्त अरब अमीरात के मसदर में भी ये सिस्टम है. हालांकि, विश्व का सबसे पुराना पीआरटी सिस्टम 1975 से वर्जीनिया में चल रहा है. इसके लिए एलिवेटेड रूट तैयार किया जाता है.

ये पॉड कार ऑटो ऑपरेट सॉफ्टवेयर की मदद से काम करती हैं. इसके ऐसे समझा जा सकता है जैसे किसी मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में कई सारी अलग-अलग लिफ्ट काम करती हैं जो दूसरी लिस्ट को ट्रैक करते हुए चलती हैं. उसी तरह पॉड कार भी ऑटो ऑपरेट सॉफ्टवेयर की मदद से दूसरी पॉड कार को ट्रैक करेगी और उतनी दूरी पर रहेगी.

Last Updated : Apr 12, 2023, 7:43 PM IST
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