हरिद्वारः उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की मुक्ति योजना का श्री गंगा सभा ने विरोध किया है. संस्कृत अकादमी ने विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों के अस्थि-विसर्जन के लिए मुक्ति योजना शुरू की है. इस योजना के तहत अब 100 डॉलर के भुगतान पर ऑनलाइन अस्थि-विसर्जन किया जाएगा.
हरिद्वार प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान श्री गंगा सभा अध्यक्ष प्रदीप झा ने कहा कि हजारों वर्षों से हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों और यजमानों के बीच रीति-रिवाज चले आ रहे हैं. यजमान अपनों के अस्थि-प्रवाह के लिए तीर्थ पुरोहितों से सीधा संपर्क करता है. इसमें किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है. यह कार्य आस्था और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है. इसके लिए पुरोहितों ने कोई शुल्क निर्धारित नहीं किया है. संस्कृत अकादमी अपने मूल उद्देश्यों से भटक गई है.
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि अपने उद्देश्यों से भटककर उत्तराखंड संस्कृत अकादमी डॉलर कमाने के सपने देख रही है. अस्थि प्रवाह जैसे धार्मिक कार्यो में अनावश्यक हस्तक्षेप करना ठीक नहीं है. प्रदीप झा ने मांग की है कि सरकार इस मामले में संज्ञान ले और इस योजना को तत्काल बंद किया जाए. अस्थि-विसर्जन तीर्थ पुरोहितों का परंपरागत अधिकार है. इसमें किसी अन्य का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि इस योजना को तत्काल रुप से बंद नहीं किया गया, तो वह संस्कृत अकादमी के खिलाफ आंदोलन करेंगे.