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हरिद्वार में सूक्ष्म रूप से मनाया जा रहा गंगा दशहरा पर्व

हरिद्वार में कोरोना की वजह से गंगा दशहरा पर्व सूक्ष्म रूप से मनाया जा रहा है. साथ ही गंगा घाटों श्रद्धालुओं की काफी कम भीड़ देखने को मिल रही है.

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Published : Jun 20, 2021, 9:11 AM IST

Updated : Jun 20, 2021, 10:25 AM IST

हरिद्वार: आज गंगा दशहरा पर्व है. हरिद्वार में आज सुबह से तेज बारिश के कारण गंगा स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं की काफी कम भीड़ देखने को मिल रही है. वहीं कोरोना की वजह से गंगा दशहरा पर्व सूक्ष्म रूप से मनाया जा रहा है.


कोरोना के कारण हरिद्वार में गंगा दशहरा पर हरकी पैड़ी के ब्रह्मकुंड क्षेत्र में श्रद्धालु नहीं पहुंच पाए. लेकिन आसपास के घाटों पर डुबकी लगाई. गंगा दशहरा पर्व पर लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से हरकी पैड़ी श्रद्धालु विहीन दिखाई दे रही है. स्थानीय कुछ लोग ही हरकी पैड़ी पहुंचे और आसपास के गंगा घाटों पर स्नान किया. लेकिन ब्रह्मकुंड पर गंगा स्नान नहीं कर पाए. कोरोना संकट के चलते हरकी पैड़ी के ब्रह्मकुंड क्षेत्र को सील किया गया है.

हरिद्वार में सूक्ष्म रूप से मनाया जा रहा गंगा दशहरा पर्व.
पंडित प्रतीक मिश्रपूरी का कहना है कि मान्यता है कि आज के दिन गंगा स्वर्गलोक से पृथ्वी पर अवतरित हुई थी. तभी से इस दिन को गंगा दशहरा के नाम से मनाया जाता है. आज के दिन दान पुण्य का काफी महत्व माना जाता है.
Ganga Dussehra
सूक्ष्म रूप से मनाया जा रहा गंगा दशहरा पर्व.

शास्त्रों में कहा गया है कि आज के दिन गंगा स्नान कर दान पुण्य करने से मानव को मोक्ष की प्राप्ती होती है. आज के दिन पितृ तर्पण का भी विशेष महत्व बताया गया है. साथ ही आज के दस प्रकार के श्रृंगार मां गंगा को भेंट किया जाता है. आज के दिन 10 ब्राह्मणों को भोज कराने का भी महत्व है. क्योंकि जब गंगा धरती पर आई थी तब 10 प्रकार के विशेष योग बने थे.

Ganga Dussehra
कोरोना के कारण गंगा दशहरा पर सन्नाटा.

पढ़ें:गंगा दशहरा का पावन पर्व आज, बाहरी श्रद्धालु नहीं लगा पाएंगे आस्था की डुबकी

गंगा स्नान करने पहुंचे श्रद्धालुओं का कहना है कि आज मां गंगा में स्नान करके कोरोना महामारी को इस देश और विश्व से समाप्त करने की कामना की है. साथ ही श्रद्धालुओं ने अब धीरे-धीरे प्रतिबंध खोलने की मांग भी की है. श्रद्धालुओं का कहना है कि अब जिस तरह से कोरोना के मामले कम होते जा रहे हैं तो ऐसे में अब नियमों में भी ढील दी जानी चाहिए. जिससे लोग हरकी पौड़ी पर गंगा में स्नान कर सकें.

पूजा विधि

गंगा दशहरा के दिन प्रातःकाल उठकर गंगा जी में स्नान करें. यदि यह संभव न हो तो स्नान करने वाले पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. उसके बाद सूर्य देव को गंगा जल मिले जल से अर्घ्य डालें. उसके बाद घर में पूजा स्थल पर जाकर दीप प्रज्वलित करें. उसके बाद सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें. अब गंगा आरती करें. इस दिन व्रत रखना उत्तम फलदायक होता है. भगवान शिव की पूजा करें.

गंगा दशहरा का विशेष महत्व

हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व है. गंगा दशहरा 20 जून रविवार को पड़ रहा है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी पर राजा भगीरथ के अथक प्रयासों से मां गंगा (Maa Ganga) का धरती पर अवतरण हुआ था. तभी से, प्रत्येक वर्ष के ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है.

पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन मां गंगा की पूजा करने और गंगा में स्नान करने से सारे पाप कर्मों का नाश होता है. जो भी व्यक्ति विधि-विधान अनुसार किसी भी पवित्र नदी या कुंड में स्नान कर अपनी श्रद्धा अनुसार दान करता है, उसे न केवल अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि उसे कई महायज्ञों के समान पुण्य भी प्राप्त होता है.

हरिद्वार: आज गंगा दशहरा पर्व है. हरिद्वार में आज सुबह से तेज बारिश के कारण गंगा स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं की काफी कम भीड़ देखने को मिल रही है. वहीं कोरोना की वजह से गंगा दशहरा पर्व सूक्ष्म रूप से मनाया जा रहा है.


कोरोना के कारण हरिद्वार में गंगा दशहरा पर हरकी पैड़ी के ब्रह्मकुंड क्षेत्र में श्रद्धालु नहीं पहुंच पाए. लेकिन आसपास के घाटों पर डुबकी लगाई. गंगा दशहरा पर्व पर लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से हरकी पैड़ी श्रद्धालु विहीन दिखाई दे रही है. स्थानीय कुछ लोग ही हरकी पैड़ी पहुंचे और आसपास के गंगा घाटों पर स्नान किया. लेकिन ब्रह्मकुंड पर गंगा स्नान नहीं कर पाए. कोरोना संकट के चलते हरकी पैड़ी के ब्रह्मकुंड क्षेत्र को सील किया गया है.

हरिद्वार में सूक्ष्म रूप से मनाया जा रहा गंगा दशहरा पर्व.
पंडित प्रतीक मिश्रपूरी का कहना है कि मान्यता है कि आज के दिन गंगा स्वर्गलोक से पृथ्वी पर अवतरित हुई थी. तभी से इस दिन को गंगा दशहरा के नाम से मनाया जाता है. आज के दिन दान पुण्य का काफी महत्व माना जाता है.
Ganga Dussehra
सूक्ष्म रूप से मनाया जा रहा गंगा दशहरा पर्व.

शास्त्रों में कहा गया है कि आज के दिन गंगा स्नान कर दान पुण्य करने से मानव को मोक्ष की प्राप्ती होती है. आज के दिन पितृ तर्पण का भी विशेष महत्व बताया गया है. साथ ही आज के दस प्रकार के श्रृंगार मां गंगा को भेंट किया जाता है. आज के दिन 10 ब्राह्मणों को भोज कराने का भी महत्व है. क्योंकि जब गंगा धरती पर आई थी तब 10 प्रकार के विशेष योग बने थे.

Ganga Dussehra
कोरोना के कारण गंगा दशहरा पर सन्नाटा.

पढ़ें:गंगा दशहरा का पावन पर्व आज, बाहरी श्रद्धालु नहीं लगा पाएंगे आस्था की डुबकी

गंगा स्नान करने पहुंचे श्रद्धालुओं का कहना है कि आज मां गंगा में स्नान करके कोरोना महामारी को इस देश और विश्व से समाप्त करने की कामना की है. साथ ही श्रद्धालुओं ने अब धीरे-धीरे प्रतिबंध खोलने की मांग भी की है. श्रद्धालुओं का कहना है कि अब जिस तरह से कोरोना के मामले कम होते जा रहे हैं तो ऐसे में अब नियमों में भी ढील दी जानी चाहिए. जिससे लोग हरकी पौड़ी पर गंगा में स्नान कर सकें.

पूजा विधि

गंगा दशहरा के दिन प्रातःकाल उठकर गंगा जी में स्नान करें. यदि यह संभव न हो तो स्नान करने वाले पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. उसके बाद सूर्य देव को गंगा जल मिले जल से अर्घ्य डालें. उसके बाद घर में पूजा स्थल पर जाकर दीप प्रज्वलित करें. उसके बाद सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें. अब गंगा आरती करें. इस दिन व्रत रखना उत्तम फलदायक होता है. भगवान शिव की पूजा करें.

गंगा दशहरा का विशेष महत्व

हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व है. गंगा दशहरा 20 जून रविवार को पड़ रहा है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी पर राजा भगीरथ के अथक प्रयासों से मां गंगा (Maa Ganga) का धरती पर अवतरण हुआ था. तभी से, प्रत्येक वर्ष के ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है.

पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन मां गंगा की पूजा करने और गंगा में स्नान करने से सारे पाप कर्मों का नाश होता है. जो भी व्यक्ति विधि-विधान अनुसार किसी भी पवित्र नदी या कुंड में स्नान कर अपनी श्रद्धा अनुसार दान करता है, उसे न केवल अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि उसे कई महायज्ञों के समान पुण्य भी प्राप्त होता है.

Last Updated : Jun 20, 2021, 10:25 AM IST
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