हरिद्वारः उत्तराखंड में विषम स्थितियां होने के चलते प्राथमिक विद्यालयों की हालत खराब है. जिनके सुधार के लिए सरकार द्वारा कंपनियों के सीएसआर फंड (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) से विद्यालयों की दशा सुधारने के प्रयास किये जा रहे हैं. इसी क्रम में हरिद्वार नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय नं. 16 का भी सीएसआर फंड से कायाकल्प किया गया है. विद्यालय को उम्दा तरीके से सुसज्जित किया गया है. वहीं विद्यालय के लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य शिक्षा अधिकारी ने कहा कि यहां का वातावरण बच्चों को खेल-खेल में सीखने की प्रेरणा देगा. जल्द ही जिले के सभी विद्यालय 13 अरब के कंपनी सीएसआर फंड से सुविधा संपन्न होंगे. यह विद्यालयों का कायाकल्प नहीं बल्कि इस नई जनरेशन का कायाकल्प है, जिससे बच्चों को काफी लाभ मिलेगा.
पैनासोनिक लाइफ सोलुशन्स और अभिप्राण फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य शिक्षा अधिकारी डॉ. आनंद भारद्वाज ने कहा कि यह विद्यालय अब सुविधा संपन्न हो गया है. अब यहां बच्चे गतिविधि आधारित शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे. पैनासोनिक और अभिप्रेरणा फाउंडेशन के सहयोग से विद्यालय का जो कायाकल्प हुआ है वह ना केवल विद्यालय अपितु इस जनरेशन का कायाकल्प है. सीईओ बोले कि शीघ्र ही कंपनी सीएसआर की मदद से जिले के 938 स्कूलों में 13 अरब से ज्यादा के कार्य कर उन्हें सुविधा संपन्न किया जायेगा.
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इस अवसर पर सहायक महाप्रबंधक मानव संसाधन पैनासोनिक सौरभ गुप्ता ने कहा कि कंपनी सामाजिक एवं जनोपयोगी कार्यों के लिए प्रतिबद्ध है. हमें ख़ुशी है कि हम शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं और विद्यालय को परिवर्तित करने से यह बच्चों को सुविधा देगा. जिससे वह पूर्ण मनोयोग से पढ़ाई कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी अपने सीएसआर कार्यक्रम के माध्यम से गोद लेने वाले स्कूलों को 5 साल के लिए देखरेख में रखती है. पहले साल तो स्कूल के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर कार्य करते हैं. अगले 2 साल तक टीचर और स्टूडेंट्स के व्यक्तित्व विकास और उसके बाद अगले सालों में स्कूल की मेंटेनेंस पर कार्य करते हैं.
वहीं, अभिप्रेरणा फाउंडेशन के चेयरमैन दीपेश प्रसाद ने कहा कि उन्होंने जिले के अन्य विद्यालयों में भी कंपनी के सहयोग से कार्य किया है. इस विद्यालय में बच्चों के लिए कंप्यूटर कक्ष, प्ले रूम, फर्नीचर, बोलती दीवारें आदि नव प्रयोग किये गए हैं. इससे बच्चे निखर कर आगे बढ़ेंगे.