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रमजान के पाक महीने में सेहत की चिंता से रहिए दूर, रुड़की की फेनी खाइए हुजूर

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Published : Mar 31, 2023, 1:35 PM IST

Updated : Mar 31, 2023, 7:34 PM IST

रुड़की की फेनी का स्वाद अपने आप में खास है. ये न केवल भूख मिटाती है, बल्कि सेहत भी बनाए रखती है. यही वजह है कि रमजान के पाक महीने में इसकी डिमांड काफी बढ़ जाती है. रुड़की की फेनी को हरिद्वार, भगवानपुर, कलियर, मंगलौर के अलावा हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और यूपी में भी खूब पसंद किया जाता है. यहां से रोजाना 15 से 20 क्विंटल फेनी सप्लाई भी की जाती है. जानिए क्यों फेमस ही रुड़की की फेनी.

Pheni Recipe for health
रुड़की की फेनी
रुड़की की फेनी का स्वाद है खास.

रुड़कीः बीती 23 मार्च से रमजान-उल-मुबारक का पाक महीना शुरू हो चुका है. रमजान में गिजा का काफी इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें फेनी (सेवई) काफी फेमस है. हालांकि, सेहरी के वक्त खाने के बाद अक्सर लोग दूध में भिगोकर ब्रेड, सेवइयां, खजला आदि का इस्तेमाल करते है. लेकिन इन सब में सबसे ज्यादा हेल्दी फेनी मानी जाती है. जी हां, फेनी मैदा और आटे से बनने वाली वो गिजा है, जिसे लोग रमजान के महीने में सेहरी के वक्त दूध में भिगो कर मीठे के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. हरिद्वार की फेनी तो काफी फेमस है, जिसके फायदे डॉक्टर भी गिनाते हैं.

बता दें कि एक साल में 12 महीने होते हैं. इन बारह महीनों में से एक महीना रमजान-उल-मुबारक का होता है. रमजान-उल-मुबारक के पाक महीने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली गिजा फेनी के नाम से जानी जाती है. खास बात ये है कि यह सिर्फ रमजान में ही बनाई जाती है. फेनी का कारोबार रुड़की में रमजान के महीने में सबसे ज्यादा होता है. यहां की बनाई गई फेनी रुड़की ही नहीं, बल्कि आसपास के क्षेत्र हरिद्वार, ज्वालापुर, भगवानपुर, मंगलौर के अलावा दूसरे अन्य राज्यों यानी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश जैसे प्रदेशों में भी सप्लाई की जा रही है. यहां रोजाना कई क्विंटल फेनी बनाई जाती है.
ये भी पढ़ेंः रमजान में रोजेदार इफ्तार के समय खजूर से क्यों करते हैं शुरुआत?

फेनी बनाने वाले कारोबारी महफूज बताते हैं कि उनकी 12 फैक्ट्रियां हैं. उनकी इन फैक्ट्रियों में रोजाना 15 से 20 क्विंटल फेनी तैयार की जाती है. ये फेनी आसपास ही नहीं बल्कि, अन्य राज्यों में भी पसंद की जाती है. महफूज के मुताबिक उनके यहां बनाई गई फेनी (सेवई) 150 रुपए प्रति किलो के हिसाब से दी जाती है. इसी के साथ उनकी इन फैक्ट्रियों में खजला भी तैयार किया जाता है. हालांकि, खजले की डिमांड फेनी के मुकाबले कम होती है. महफूज का कहना है कि फेनी को सेहरी में खाने से रोजेदारों को पानी की प्यास नहीं लगती है. इसी के साथ इसको खाने से पेट के अंदर बदहजमी यानी खट्टी मीठी डकार भी नहीं आती हैं.
ये भी पढ़ेंः रोजा रखने वालों के लिए खास ड्रिंक ताहुरा

आटे की फेनी के कई फायदेः वहीं, रुड़की सिविल अस्पताल की डॉक्टर वंदना भारद्वाज के मुताबिक, अगर फेनी (सेवई) का इस्तेमाल रोजा रखने से पहले सेहरी में किया जाए तो सेहत के साथ-साथ दिल और दिमाग को तरोताजा रखने वाली गिजा फेनी को माना गया है. डॉक्टर वंदना का कहना है कि फेनी को दूध के साथ बनाया जाता है. उन्होंने बताया कि दूध में जो पोषण तत्व हैं, वो प्रोटीन से भरपूर होती हैं और इंसान के मांसपेशियां, हड्डियां मजबूत रखने में लाभदायक होता है. साथ ही इंसान को भूख से भी निजात दिलाता है.

रुड़की की फेनी का स्वाद है खास.

रुड़कीः बीती 23 मार्च से रमजान-उल-मुबारक का पाक महीना शुरू हो चुका है. रमजान में गिजा का काफी इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें फेनी (सेवई) काफी फेमस है. हालांकि, सेहरी के वक्त खाने के बाद अक्सर लोग दूध में भिगोकर ब्रेड, सेवइयां, खजला आदि का इस्तेमाल करते है. लेकिन इन सब में सबसे ज्यादा हेल्दी फेनी मानी जाती है. जी हां, फेनी मैदा और आटे से बनने वाली वो गिजा है, जिसे लोग रमजान के महीने में सेहरी के वक्त दूध में भिगो कर मीठे के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. हरिद्वार की फेनी तो काफी फेमस है, जिसके फायदे डॉक्टर भी गिनाते हैं.

बता दें कि एक साल में 12 महीने होते हैं. इन बारह महीनों में से एक महीना रमजान-उल-मुबारक का होता है. रमजान-उल-मुबारक के पाक महीने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली गिजा फेनी के नाम से जानी जाती है. खास बात ये है कि यह सिर्फ रमजान में ही बनाई जाती है. फेनी का कारोबार रुड़की में रमजान के महीने में सबसे ज्यादा होता है. यहां की बनाई गई फेनी रुड़की ही नहीं, बल्कि आसपास के क्षेत्र हरिद्वार, ज्वालापुर, भगवानपुर, मंगलौर के अलावा दूसरे अन्य राज्यों यानी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश जैसे प्रदेशों में भी सप्लाई की जा रही है. यहां रोजाना कई क्विंटल फेनी बनाई जाती है.
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फेनी बनाने वाले कारोबारी महफूज बताते हैं कि उनकी 12 फैक्ट्रियां हैं. उनकी इन फैक्ट्रियों में रोजाना 15 से 20 क्विंटल फेनी तैयार की जाती है. ये फेनी आसपास ही नहीं बल्कि, अन्य राज्यों में भी पसंद की जाती है. महफूज के मुताबिक उनके यहां बनाई गई फेनी (सेवई) 150 रुपए प्रति किलो के हिसाब से दी जाती है. इसी के साथ उनकी इन फैक्ट्रियों में खजला भी तैयार किया जाता है. हालांकि, खजले की डिमांड फेनी के मुकाबले कम होती है. महफूज का कहना है कि फेनी को सेहरी में खाने से रोजेदारों को पानी की प्यास नहीं लगती है. इसी के साथ इसको खाने से पेट के अंदर बदहजमी यानी खट्टी मीठी डकार भी नहीं आती हैं.
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आटे की फेनी के कई फायदेः वहीं, रुड़की सिविल अस्पताल की डॉक्टर वंदना भारद्वाज के मुताबिक, अगर फेनी (सेवई) का इस्तेमाल रोजा रखने से पहले सेहरी में किया जाए तो सेहत के साथ-साथ दिल और दिमाग को तरोताजा रखने वाली गिजा फेनी को माना गया है. डॉक्टर वंदना का कहना है कि फेनी को दूध के साथ बनाया जाता है. उन्होंने बताया कि दूध में जो पोषण तत्व हैं, वो प्रोटीन से भरपूर होती हैं और इंसान के मांसपेशियां, हड्डियां मजबूत रखने में लाभदायक होता है. साथ ही इंसान को भूख से भी निजात दिलाता है.

Last Updated : Mar 31, 2023, 7:34 PM IST
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