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हरिद्वार में भक्ति के साथ स्वाद का आनंद, इनकी रबड़ी का जायका बना पंडित नेहरू की पहली पसंद

धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं को यहां का खाना-पीना भी बहुत भाता है. दूरदराज से आने वाले श्रद्धालु हरिद्वार आने के बाद यहां के पकवानों का जमकर आनंद लेते हैं. हरिद्वार के एक ऐसे ही स्वाद के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जो पिछले 118 साल से नहीं बदला. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी हरिद्वार की इस मिठाई के मुरीद हो गए थे. हम बात कर रहे है हरिद्वार की प्रसिद्ध गीता राम हलवाई के हाथों से बनी रबड़ी की....

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हरिद्वार में भक्ति के साथ स्वाद का आनंद
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Published : Jul 10, 2022, 5:03 AM IST

हरिद्वार: वैसे तो हरिद्वार की पहचान एक धर्मनगरी के तौर है, लेकिन देश और विदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां सिर्फ गंगा में डुबकी लगाने ही नहीं आते हैं, बल्कि हरिद्वार के प्रसिद्ध पकवानों का स्वाद चखने भी आते हैं. पिछली बार हमने आपको हरिद्वार की प्रसिद्ध चा के बारे में बताया था. वहीं, आज हम आपको हरिद्वार की प्रसिद्ध रबड़ी के बारे में बताने जा रहे है, जिसका स्वाद खुद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी चखा था.

118 साल पुरान इतिहास: हरिद्वार की उपनगरी और पंडों का प्रमुख आवास कहे जाने वाले ज्वालापुर में बीते 118 सालों से गीता राम हलवाई की रबड़ी और खुरचन ने छोटे से बड़े हर उस आदमी को अपने स्वाद का दीवाना बनाया हुआ है, जो मीठा खाने का शौकीन है. इतने लंबे अंतराल के बावजूद इस प्राचीन दुकान में तैयार होने वाली रबड़ी और खुरचन को न तो बनाने में आज तक कोई बदलाव आया है और न ही इसका स्वाद बदला है. यही कारण है कि इसके खाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती गई और हरिद्वार की ये रबड़ी देश-विदेश में प्रसिद्ध हो गई.

हरिद्वार में भक्ति के साथ स्वाद का आनंद

देवतान मोहल्ले में मौजूद है दुकान: हरिद्वार ने बदलाव के कई दौर देखे है. आज से करीब 60 साल पहले हरिद्वार का ज्वालापुर बाजार इतना गुलजार नहीं हुआ करता था, जितना आज है. इन 60 साल में इस बाजार में कई चीजें बदली, लेकिन एक चीज जो पिछले 118 साल में भी नहीं बदल पाई है, वो है पंडित स्वीट्स शॉप की रबड़ी और खुरचन का स्वाद. ज्वालापुर के बीचों बीच स्थित देवतान मोहल्ला में मौजूद है मशहूर गीता राम हलवाई की प्राचीन दुकान.

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प्रसिद्ध गीता राम हलवाई की मिठाई.
पढ़ें- हरिद्वार के मशहूर जैन चाट भंडार की दीवानी कई राजनीतिक हस्तियां, 71 साल से कायम है 'स्वाद'

स्वाद और गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं: वक्त के साथ दुकान की तस्वीर को बदली, लेकिन रबड़ी बनाने का तरीका आज भी 118 साल पुराना ही है. यही कारण है कि आजतक इसके स्वाद और गुणवता में कोई फर्क नहीं आया है. आज भी जमीन पर बैठकर रबड़ी और खुरचन तैयार की जाती है. आज भी सिर्फ 2 किलो रबड़ी या खुरचन को तैयार करने के लिए हलवाई डेढ़ से 2 घंटे लगातार कढ़ाई में दूध को उबालकर उसकी मलाई को अलग करना पड़ता है. जिसके बाद गीताराम की मशहूर रबड़ी एवं खुरचन तैयार होती है. ऐसा नहीं किया अब इस दुकान में अन्य मिठाइयां तैयार नहीं होती है. रबड़ी और खुरचन के साथ इस दुकान का मिल्क केक पेड़ा भी काफी प्रसिद्ध है.

आज भी भट्टी का प्रयोग: समय बदलने के साथ भले ही घरों से चूल्हे गायब हो गए हो, लेकिन पंडित गीता राम हलवाई के यहां आज भी कोयले की भट्टी और धीमी आंच पर रबड़ी और खुरचन पूरे प्यार के साथ तैयार की जाती है. गीताराम पंडित के यहां बनने वाली रबड़ी में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है.

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118 पुरानी प्रसिद्ध मिठाई की दुकान.

डेढ़ घंटे में होती है तैयार: आमतौर पर गर्मियों में रबड़ी को तैयार किया जाता है और रबड़ी में यह स्वाद ऐसे ही नहीं आ जाता. इसे तैयार करने में कम से कम डेढ़ घंटे तक काफी मेहनत करनी पड़ती है. डेढ़ घंटे तक कढ़ाई में दूध डालकर उसे लगातार खोलाया जाता है, उसके ऊपर आने वाली मलाई को लगातार दूध से अलग करके कढ़ाई के किनारों पर इकट्ठा किया जाता है, जिसके बाद इसमें चीनी का मिश्रण मिलाकर रबड़ी तैयार की जाती है. गीता राम हलवाई की रबड़ी में कुछ ऐसी चीजें भी डाली जाती हैं, जिनकी जानकारी वे किसी के साथ शेयर नहीं करते हैं.
पढ़ें- Taste of Uttarakhand: क्या आपने खाई नींबू की चाट, पेश है इम्यूनिटी बढ़ाने वाली रेसिपी

पंडित नन्द राम शर्मा ने की थी शुरू: गीता राम हलवाई के यहां सालभर रबड़ी मिलती है, जबकि इनके यहां की मशहूर खुरचन सिर्फ सर्दियों के मौसम में ही तैयार की जाती है, जिसे खाने के लिए दूर-दूर से लोग ज्वालापुर पहुंचते हैं. साल 1904 में नंदराम शर्मा ने मोहल्ला देवस्थान की एक छोटी सी दुकान से रबड़ी और खुरचन का काम शुरू किया था. पंडा समाज में शुरुआत से ही मीठा खाने का काफी प्रचलन रहा है. यही कारण है कि पंडित नंदराम शर्मा की रबड़ी और खुरचन ज्वालापुर के तीर्थ पुरोहितों से होती हुए पहले उनके जजमान और फिर जजमानों ने उसे देश दुनिया तक पहुंचाया.

चौथी पीढ़ी बढ़ा रही गीताराम का नाम आगे: पंडित नंदराम शर्मा द्वारा शुरू की गई रबड़ी की दुकान के काम को असली मुकाम तक उनके बेटे पंडित गीता राम ने पहुंचाया. आज गीता राम हलवाई के नाम से ही ज्वालापुर में स्थित रबड़ी की इस दुकान को देश दुनिया में जाना जाता है. कुछ माह पूर्व ही पंडित गीताराम का निधन हो गया था, जिन के बाद अब इस काम को उनके बेटे पंडित राकेश कुमार शर्मा और फिर उनके बेटे पंडित नितिन शर्मा संभाल रहे हैं.

जवाहर लाल नेहरू ने भी मंगाई थी रबड़ी: 50 का दशक आते-आते गीता राम हलवाई की रबड़ी और खुरचन का नाम इस कदर हो गया था कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को इसका स्वाद चखाया गया था. साल 1962 में कांग्रेसी नेताओं के साथ डाम कोठी आए में आए पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी ज्वालापुर के प्रसिद्ध वैद्य शंकर दत्त शर्मा से गीता राम हलवाई की रबड़ी मंगाई थी.
पढ़ें- हल्द्वानी में फेमस हैं 'गुप्ता जी के छोले-भटूरे', क्या आपने खाए ?

सुबह साढ़े आठ बजे खुलती है दुकान: गर्मियों के मौसम में गीता राम हलवाई की दुकान सुबह 8:30 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक खुलती है, जबकि सर्दियों के मौसम में सुबह 9:00 बजे से रात्रि 9:30 बजे तक दुकान को खोला जाता है. पंडित गीता राम हलवाई के पिता ने शुरुआत तो सिर्फ रबड़ी से ही की थी, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने भी अपना व्यापार बढ़ाया और बाद में लौकी की लॉज, मिलकेक, बर्फी और पेड़ा बनाना भी शुरू किया. खास बात यह है कि इनके यहां तैयार होने वाली तमाम मिठाइयां खालिस दूध से तैयार की जाती है. जिन्होंने व्रत में खाया जा सकता है.

सर्दियों में भी मिलती है ये फेमस मिठाइयां: जिस तरह गर्मियों में यहां पर रबड़ी के साथ कई अन्य मिठाईयां ग्राहकों को परोसी जाती हैं. उसी तरह सर्दियों में भी ग्राहकों का यहां पर पूरा ध्यान रखा जाता है. सर्दियों के मौसम में मुख्य रूप से तिल के लड्डू, मलाई की खुरचन और शाही गाजर का हलवा तैयार किया जाता है, जिसे खाने के लिए भी लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं.

ऐसे पहुंचे गीताराम हलवाई की दुकान तक: यदि आप हरिद्वार में रहते हैं तो ज्वालापुर के कटहरा बाजार पहुंच देवताल मोहल्ले तक जा सकते हैं, जहां इन की प्राचीन दुकान स्थित है. बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए बस अड्डे और रेलवे स्टेशन दोनों ही जगहों से ज्वालापुर के लिए आपको ऑटो या ई-रिक्शा करना होगा. यहां पर वाहन चालक को आप मोहल्ला देवताल जाने के लिए कहे, जहां पर पंडित गीता राम हलवाई की दुकान मौजूद है.

यदि आप अपने निजी वाहन से आते हैं तो आपको अपना वाहन रेल चौकी ज्वालापुर के आसपास कहीं पार्क करना होगा, जहां से ई-रिक्शा या ऑटो द्वारा आप मोहल्ला देवतान स्थित पंडित गीता राम हलवाई की दुकान तक आसानी से पहुंच जाएंगे. रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से ई रिक्शा या ऑटो ज्वालापुर के देवतान मोहल्ले तक जाने के लिए आपसे लगभग ₹100 चार्ज करेगा, जबकि रेल चौकी से दुकान तक जाने के लिए ई-रिक्शा या ऑटो आपसे ₹25 किराया लगेगा.

हरिद्वार: वैसे तो हरिद्वार की पहचान एक धर्मनगरी के तौर है, लेकिन देश और विदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां सिर्फ गंगा में डुबकी लगाने ही नहीं आते हैं, बल्कि हरिद्वार के प्रसिद्ध पकवानों का स्वाद चखने भी आते हैं. पिछली बार हमने आपको हरिद्वार की प्रसिद्ध चा के बारे में बताया था. वहीं, आज हम आपको हरिद्वार की प्रसिद्ध रबड़ी के बारे में बताने जा रहे है, जिसका स्वाद खुद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी चखा था.

118 साल पुरान इतिहास: हरिद्वार की उपनगरी और पंडों का प्रमुख आवास कहे जाने वाले ज्वालापुर में बीते 118 सालों से गीता राम हलवाई की रबड़ी और खुरचन ने छोटे से बड़े हर उस आदमी को अपने स्वाद का दीवाना बनाया हुआ है, जो मीठा खाने का शौकीन है. इतने लंबे अंतराल के बावजूद इस प्राचीन दुकान में तैयार होने वाली रबड़ी और खुरचन को न तो बनाने में आज तक कोई बदलाव आया है और न ही इसका स्वाद बदला है. यही कारण है कि इसके खाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती गई और हरिद्वार की ये रबड़ी देश-विदेश में प्रसिद्ध हो गई.

हरिद्वार में भक्ति के साथ स्वाद का आनंद

देवतान मोहल्ले में मौजूद है दुकान: हरिद्वार ने बदलाव के कई दौर देखे है. आज से करीब 60 साल पहले हरिद्वार का ज्वालापुर बाजार इतना गुलजार नहीं हुआ करता था, जितना आज है. इन 60 साल में इस बाजार में कई चीजें बदली, लेकिन एक चीज जो पिछले 118 साल में भी नहीं बदल पाई है, वो है पंडित स्वीट्स शॉप की रबड़ी और खुरचन का स्वाद. ज्वालापुर के बीचों बीच स्थित देवतान मोहल्ला में मौजूद है मशहूर गीता राम हलवाई की प्राचीन दुकान.

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प्रसिद्ध गीता राम हलवाई की मिठाई.
पढ़ें- हरिद्वार के मशहूर जैन चाट भंडार की दीवानी कई राजनीतिक हस्तियां, 71 साल से कायम है 'स्वाद'

स्वाद और गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं: वक्त के साथ दुकान की तस्वीर को बदली, लेकिन रबड़ी बनाने का तरीका आज भी 118 साल पुराना ही है. यही कारण है कि आजतक इसके स्वाद और गुणवता में कोई फर्क नहीं आया है. आज भी जमीन पर बैठकर रबड़ी और खुरचन तैयार की जाती है. आज भी सिर्फ 2 किलो रबड़ी या खुरचन को तैयार करने के लिए हलवाई डेढ़ से 2 घंटे लगातार कढ़ाई में दूध को उबालकर उसकी मलाई को अलग करना पड़ता है. जिसके बाद गीताराम की मशहूर रबड़ी एवं खुरचन तैयार होती है. ऐसा नहीं किया अब इस दुकान में अन्य मिठाइयां तैयार नहीं होती है. रबड़ी और खुरचन के साथ इस दुकान का मिल्क केक पेड़ा भी काफी प्रसिद्ध है.

आज भी भट्टी का प्रयोग: समय बदलने के साथ भले ही घरों से चूल्हे गायब हो गए हो, लेकिन पंडित गीता राम हलवाई के यहां आज भी कोयले की भट्टी और धीमी आंच पर रबड़ी और खुरचन पूरे प्यार के साथ तैयार की जाती है. गीताराम पंडित के यहां बनने वाली रबड़ी में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है.

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118 पुरानी प्रसिद्ध मिठाई की दुकान.

डेढ़ घंटे में होती है तैयार: आमतौर पर गर्मियों में रबड़ी को तैयार किया जाता है और रबड़ी में यह स्वाद ऐसे ही नहीं आ जाता. इसे तैयार करने में कम से कम डेढ़ घंटे तक काफी मेहनत करनी पड़ती है. डेढ़ घंटे तक कढ़ाई में दूध डालकर उसे लगातार खोलाया जाता है, उसके ऊपर आने वाली मलाई को लगातार दूध से अलग करके कढ़ाई के किनारों पर इकट्ठा किया जाता है, जिसके बाद इसमें चीनी का मिश्रण मिलाकर रबड़ी तैयार की जाती है. गीता राम हलवाई की रबड़ी में कुछ ऐसी चीजें भी डाली जाती हैं, जिनकी जानकारी वे किसी के साथ शेयर नहीं करते हैं.
पढ़ें- Taste of Uttarakhand: क्या आपने खाई नींबू की चाट, पेश है इम्यूनिटी बढ़ाने वाली रेसिपी

पंडित नन्द राम शर्मा ने की थी शुरू: गीता राम हलवाई के यहां सालभर रबड़ी मिलती है, जबकि इनके यहां की मशहूर खुरचन सिर्फ सर्दियों के मौसम में ही तैयार की जाती है, जिसे खाने के लिए दूर-दूर से लोग ज्वालापुर पहुंचते हैं. साल 1904 में नंदराम शर्मा ने मोहल्ला देवस्थान की एक छोटी सी दुकान से रबड़ी और खुरचन का काम शुरू किया था. पंडा समाज में शुरुआत से ही मीठा खाने का काफी प्रचलन रहा है. यही कारण है कि पंडित नंदराम शर्मा की रबड़ी और खुरचन ज्वालापुर के तीर्थ पुरोहितों से होती हुए पहले उनके जजमान और फिर जजमानों ने उसे देश दुनिया तक पहुंचाया.

चौथी पीढ़ी बढ़ा रही गीताराम का नाम आगे: पंडित नंदराम शर्मा द्वारा शुरू की गई रबड़ी की दुकान के काम को असली मुकाम तक उनके बेटे पंडित गीता राम ने पहुंचाया. आज गीता राम हलवाई के नाम से ही ज्वालापुर में स्थित रबड़ी की इस दुकान को देश दुनिया में जाना जाता है. कुछ माह पूर्व ही पंडित गीताराम का निधन हो गया था, जिन के बाद अब इस काम को उनके बेटे पंडित राकेश कुमार शर्मा और फिर उनके बेटे पंडित नितिन शर्मा संभाल रहे हैं.

जवाहर लाल नेहरू ने भी मंगाई थी रबड़ी: 50 का दशक आते-आते गीता राम हलवाई की रबड़ी और खुरचन का नाम इस कदर हो गया था कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को इसका स्वाद चखाया गया था. साल 1962 में कांग्रेसी नेताओं के साथ डाम कोठी आए में आए पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी ज्वालापुर के प्रसिद्ध वैद्य शंकर दत्त शर्मा से गीता राम हलवाई की रबड़ी मंगाई थी.
पढ़ें- हल्द्वानी में फेमस हैं 'गुप्ता जी के छोले-भटूरे', क्या आपने खाए ?

सुबह साढ़े आठ बजे खुलती है दुकान: गर्मियों के मौसम में गीता राम हलवाई की दुकान सुबह 8:30 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक खुलती है, जबकि सर्दियों के मौसम में सुबह 9:00 बजे से रात्रि 9:30 बजे तक दुकान को खोला जाता है. पंडित गीता राम हलवाई के पिता ने शुरुआत तो सिर्फ रबड़ी से ही की थी, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने भी अपना व्यापार बढ़ाया और बाद में लौकी की लॉज, मिलकेक, बर्फी और पेड़ा बनाना भी शुरू किया. खास बात यह है कि इनके यहां तैयार होने वाली तमाम मिठाइयां खालिस दूध से तैयार की जाती है. जिन्होंने व्रत में खाया जा सकता है.

सर्दियों में भी मिलती है ये फेमस मिठाइयां: जिस तरह गर्मियों में यहां पर रबड़ी के साथ कई अन्य मिठाईयां ग्राहकों को परोसी जाती हैं. उसी तरह सर्दियों में भी ग्राहकों का यहां पर पूरा ध्यान रखा जाता है. सर्दियों के मौसम में मुख्य रूप से तिल के लड्डू, मलाई की खुरचन और शाही गाजर का हलवा तैयार किया जाता है, जिसे खाने के लिए भी लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं.

ऐसे पहुंचे गीताराम हलवाई की दुकान तक: यदि आप हरिद्वार में रहते हैं तो ज्वालापुर के कटहरा बाजार पहुंच देवताल मोहल्ले तक जा सकते हैं, जहां इन की प्राचीन दुकान स्थित है. बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए बस अड्डे और रेलवे स्टेशन दोनों ही जगहों से ज्वालापुर के लिए आपको ऑटो या ई-रिक्शा करना होगा. यहां पर वाहन चालक को आप मोहल्ला देवताल जाने के लिए कहे, जहां पर पंडित गीता राम हलवाई की दुकान मौजूद है.

यदि आप अपने निजी वाहन से आते हैं तो आपको अपना वाहन रेल चौकी ज्वालापुर के आसपास कहीं पार्क करना होगा, जहां से ई-रिक्शा या ऑटो द्वारा आप मोहल्ला देवतान स्थित पंडित गीता राम हलवाई की दुकान तक आसानी से पहुंच जाएंगे. रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से ई रिक्शा या ऑटो ज्वालापुर के देवतान मोहल्ले तक जाने के लिए आपसे लगभग ₹100 चार्ज करेगा, जबकि रेल चौकी से दुकान तक जाने के लिए ई-रिक्शा या ऑटो आपसे ₹25 किराया लगेगा.

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