हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार मां गंगा की वजह से न सिर्फ देश, बल्कि दुनिया भर में मशहूर है. हर साल यहां पर करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु बीते कई दशकों से आ रहे हैं. यही कारण है कि यहां के बाजारों में विशेष तौर से खाने पीने पर खास ध्यान दिया जाता है. यदि कोई चाट खाने का विशेष शौकीन है तो वह हरिद्वार की तंग गलियों से होता हुआ चाट गली में स्थित जैन साहब की चाट खाने जरूर पहुंचता है. यहां की चाट का जायका इतना मशहूर है कि 71 सालों से आम लोगों के साथ-साथ राजनीति के दिग्गज भी यहां चाट खाने आ चुके हैं.
हरिद्वार के सबसे मशहूर मोती बाजार में ठंडे कुएं के पास करीब 70 साल पुरानी चाट गली आज भी मशहूर है. करीब डेढ़ दशक पहले तक इस गली में सिर्फ चाट वालों की ही दुकानें हुआ करती थी. जहां पर गोलगप्पे, टिक्की, दही, पापड़ी सहित कई तरह की चाट की वैरायटी मिला करती थी, लेकिन समय के बदलने के साथ आज इस चाट गली में सिर्फ एक ही ऐसी चाट की दुकान रह गई है. जिसका स्वाद गुणवत्ता और आतिथ्य सत्कार में कोई कमी या बदलाव नहीं आया है.
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हरिद्वार में शायद खाने-पीने की यह अकेली ऐसी दुकान है, जहां पर ग्राहकों से पैसा चाट खिलाने के बाद ही दिया जाता है. यदि कोई ग्राहक बिना पैसे दिए चला भी गया तो उससे रोक कर पैसे नहीं मांगे जाते. चाट भंडार के मालिक का मानना है कि इससे अतिथि का अपमान होता है और उनकी दुकान देश ही नहीं दुनिया भर में अतिथि सत्कार के लिए भी जानी जाती है.
पांचवी पीढ़ी खिला रही चाट: जैन चाट भंडार की स्थापना सन् 1951 में तब हुई थी, जब जैन चाट भंडार के संस्थापक स्वर्गीय रतन लाल जैन ने अपना पुश्तैनी कारोबार मीठे और घी के कारोबार को बंद कर. इस गली में छोटी सी चाट की दुकान लगाई थी. इस समय दुकान में रतन लाल की पांचवी पीढ़ी लोगों को बहुत ही प्रेम के साथ अपने हाथों से चाट खिलाने का काम कर रही है.
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सन 1980 में आई थी रौनक: 1980 तक चाट वाली इस गली में गिनती के दो तीन चाट वाले हुआ करते थे, लेकिन 1980 से 2008 तक इस गली में सिर्फ चाट की ही दुकानें लगा करती थी. यह गली भले काफी संकरी थी, लेकिन बावजूद इसके इस गली में न केवल शहर बल्कि बाहर से आने वाले श्रद्धालु भी चाट खाने पहुंचते थे.
बड़े बड़े नेता रहे यहां की चाट के दीवाने: देश के प्रथम राष्ट्रपति से लेकर केंद्र के कई बड़े नेता हो या फिर उत्तराखंड के कई मुख्यमंत्री जैन चाट भंडार की चाट के दीवाने रहे हैं. कई बार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, हरिद्वार सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने यहां की चाट का जायका लिया है. वहीं, मशहूर शेफ संजीव कपूर भी जैन चाट भंडार की चाट का स्वाद ले चुके हैं.
तमाम मसाले खुद करते हैं तैयार: समय के बदलाव के साथ शहर के अन्य इलाकों में मिलने वाली चाट के जायके में बदलाव आने का सबसे बड़ा कारण चाट मसालों में होने वाली मिलावट है, लेकिन जैन चाट भंडार के स्वाद में किसी तरह का कोई बदलाव न आने का सबसे बड़ा कारण यह है कि जब से यह दुकान खुली है, तब से आज तक चाट के तमाम मसाले स्वयं अपने हाथों से पीसते हैं. बताया जाता है कि सिर्फ दही एक ऐसा आइटम है, जिसे यह अपनी विश्वसनीय डेयरी से ही तैयार करवाते हैं.
बेहद हल्की होती है यहां की चाट: जैन चाट भंडार पर मिलने वाली पापड़ी चाट में डालने वाली पापड़ी इस कदर हल्की होती है कि उसका वजन तराजू पर भी बमुश्किल ही आता है. हल्की होने के कारण यह आसानी से हजम हो जाती है. यह किसी तरह का कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाती, यही कारण है कि लोग कई बार पेट भर कर इस चाट का आनंद उठाते हैं.
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छोटी दुकान बड़ा नाम: ठंडी कुएं के पास मोती बाजार स्थित गली की जैन चाट भंडार भले एक छोटी सी दुकान से संचालित हो रहा हो, लेकिन इसका नाम चाट की दुनिया में काफी बड़ा है. जिस तरह खाने के शौकीन हरकी पैड़ी पर मोहनपुरी वाले की पूरी ढूंढते हुए पहुंचते हैं और लस्सी के दीवाने प्रकाश लोक की लस्सी पीने पहुंचते हैं, उसी तरह चाट के शौकीन जैन चाट भंडार पर जरूर आते हैं.
शाम को करें अवॉइड: जैन चाट भंडार के मालिक का कहना है कि चाट खाने का सबसे सही समय दोपहर से शाम के बीच का होता है. क्योंकि इस समय खाई चाट किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाती. धर्मनगरी होने के कारण शाम के समय बाजार में काफी भीड़ रहती है. जिसके कारण लोगों को दुकान तक पहुंचने में थोड़ी परेशानी हो सकती है.
नहीं नुकसान देती दही व विशेष सौंठ: जैन चाट भंडार पर मिलने वाली दही पापड़ी, भल्ला पापड़ी में प्रयोग होने वाली दही जहां शुद्ध दूध से तैयार कराई जाती है. वहीं, चाट में डालने वाली सौंठ भी स्वयं तैयार कराए गए विशेष मसालों से निर्मित होने के साथ इसमें कुछ भी ऐसा नहीं डाला जाता.
बारह महीने मिलता है कांजीवड़ा: जैन चाट भंडार पर चाट के साथ-साथ एक और आइटम भी काफी फेमस है. उसका नाम है कांजीवड़ा, जिसे राई और घर के मसालों से तैयार किया जाता है. वड़े को दाल पानी के साथ सर्व किया जाता है. यह विशेष व्यंजन 10 से 15 दिन तक खराब नहीं होता. ग्राहक इसे दुकान पर खाने के साथ ही अपने घर के लिए भी पैक करा कर ले जाते हैं.
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सुबह दस से रात ग्यारह बजे तक मिलती है चाट: जैन चाट भंडार सुबह 10 बजे खुलता है और रात को 11 बजे तक लोगों को चाट खिलाने का काम करता है. यही कारण है कि सुबह से रात तक इस दुकान पर ग्राहकों की भारी भीड़ जमा रहती है.
यह हैं यहां पर दाम: जिस क्वालिटी की चाट जैन चाट भंडार पर उपलब्ध कराई जाती है, उसकी कीमत उसकी गुणवत्ता के अनुरूप काफी कम रखी गई है. कांजी का एक गिलास ₹20, दो कांजी वड़ा ₹40, दही भल्ले की चाट ₹50, पापड़ी चाट ₹50 जबकि भल्ला पापड़ी चाट की कीमत भी सिर्फ ₹50 ही रखी गई है.
पैदल जाना ज्यादा आसान: हरिद्वार की सबसे तंग बाजारों में शुमार मोती बाजार स्थित ठंडे कुएं के पास चाट गली है. इसी गली में मशहूर जैन चाट भंडार है. जहां दो पहिया वाहन, ई-रिक्शा या ऑटो को जाने में काफी परेशानी होती है. इसलिए यदि आप इस मशहूर दुकान की चाट खाना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि आप रोड तक रिक्शा से जाएं और उसके बाद पैदल ही चाट वाली गली तक का सफर करें.
कैसे पहुंचे चाट वाली गली: यदि आप बस या ट्रेन से हरिद्वार आते हैं तो यहां से आपको रिक्शा लेनी होगी. यह रिक्शावाला कोतवाली होते हुए आपको मोती बाजार ले जाएगा. जहां ठंडे कुएं से पहले चाट वाली गली में जैन चाट भंडार मोजूद है. बस स्टैंड का रेलवे स्टेशन से रिक्शावाला आपसे प्रति सवारी ₹50 चार्ज कर सकता है. यदि आप अपने वाहन से हरिद्वार आ रहे हैं तो आपके लिए बेहतर होगा कि आप अपने वाहन को नीलधारा स्थित पार्किंग में पार्क करें और यहां से सिर्फ 20 मिनट की दूरी पर ही चार्ट वाली गली मोती बाजार स्थित है. जिसके लिए आप हाथी पुल से होते हुए सीधे मोती बाजार में प्रवेश कर सकते हैं.