हरिद्वार/देहरादूनः हरिद्वार में गंगा नदी में छलांग लगाने वाली दादी को ईटीवी भारत ने खोज लिया है. 28 जून से सोशल मीडिया पर बुजुर्ग दादी द्वारा हरिद्वार के पुल पर चढ़ कर गंगा में छलांग लगाने का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. गंगा में अपनी तैराकी के कारनामे से दादी रातों-रात सोशल मीडिया पर स्टार बन गई हैं. गंगा नदी में छलांग लगाने वाली दादी की पहचान हो गई है, दादी हरियाणा के जिले सोनीपत के गांव बंदेपुर की रहने वाली हैं, दादी का नाम ओमवती है. 75 साल की ओमवती इस उम्र में ना केवल तैराकी करती है, बल्कि वह डांस में भी माहिर हैं.
दादी ने बताया गंगा में छलांग लगाने का किस्साः ईटीवी भारत से खास बातचीत में दादी ओमवती ने बताया कि उस दिन हरिद्वार गंगा नदी में पानी बहुत गहरा था. जब उनका बेटा और पोता-पोती छलांग लगा रहे थे तो उनके मन में भी आया कि वह भी छलांग लगाएं. वह पहले भी हरिद्वार आकर तैराकी कर चुकी हैं, इसलिए किसी तरह का डर नहीं लगा. हालांकि उस दिन अधिक भीड़ थी. सब लोगों ने कहा था कि अगर तैरना नहीं आता तो वह छलांग ना लगाएं. लेकिन वह तैराकी जानती हैं, इसलिए गंगा में छलांग लगा दी. लोगों ने उनके इस तरह कूदने को मोबाइल में कैदकर लिया. दादी ओमवती ने बताया कि वह जब भी हरिद्वार जाती हैं, इसी तरह छलांग लगाती हैं.
खान पान का कमालः अपनी तैराकी को लेकर दादी ओमवती बताती हैं कि वह बचपन से ही खान-पान का ख्याल रखती आई हैं. दादी ओमवती के मुताबिक उन्होंने देसी घी बहुत खाया है, उसी का असर अभी तक दिखाई दे रहा है. दादी ओमवती ने बताया कि वह रोज सुबह 4 बजे उठती हैं और सैर-सपाटे के साथ-साथ व्यायाम भी करती हैं. दादी ओमवती डांस में भी बहुत एक्टिव हैं. उनके घर के आसपास के युवा दादी को देख कर हैरान रहते हैं कि दादी इस उम्र में भी इतनी एक्टिव कैसे रहती हैं.
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...जब टूट गए थे दोनों पैरः तैराकी में माहिर दादी ओमवती बताती है कि वह बचपन में नदी और तालाबों में तैराकी करती थीं. इसका फायदा उन्हें अभी तक मिल रहा है. उन्होंने बताया कि एक समय उनका हादसा हो गया था और उनके दोनों पैर टूट गए थे. इसके बाद उनके पैर की सर्जरी हुई और परिवार की मेहनत से आज वह बिल्कुल ठीक हैं. यह खानपान का ही असर है कि वह इस उम्र में भी इस तरह एक्टिव रहती हैं.
दादी ओमवती की पोती रेनू का कहना है कि वह अपनी दादी को देखकर बहुत कुछ सीख रही हैं. उनकी दादी 75 साल की उम्र में भी सेहतमंद हैं. वह हर काम खुद करती हैं. चक्की चलाने से लेकर पशुओं का चारा काटना के काम खुद ही करती हैं. हालांकि, उन्हें अब कम सुनाई देता है, लेकिन वह शारीरिक रूप से मजबूत हैं.