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हालात ऐसे ही रहे तो 20 साल बाद हम सब कुछ खोने वाले हैं : डॉ. अनिल जोशी

पर्यावरणविद् पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी ने कहा किपहाड़ की परिस्थितियां संवेदनशील होती हैं, नदिया, जंगल होने के कारण प्रकृति का प्रतिकूल असर इन्हीं पर ज्यादा पड़ता है.

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पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी
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Published : Oct 1, 2021, 7:45 AM IST

Updated : Oct 1, 2021, 9:27 AM IST

रुड़की: पर्यावरणविद् पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में बांध बनाने के लिए नए सिरे से सरकार को सोचने की आवश्यकता है. बांध का निर्माण करना पर्यावरण और प्राकृतिक दृष्टिकोण से सही नहीं है. उन्होंने कहा कि बांध अब हमारे पक्ष में ज्यादा बेहतर नहीं हो सकते, खासतौर पर जब बाढ़ जैसी आपदायें हो रही हैं.

पर्यावरणविद् डॉ. अनिल जोशी ने कहा उन्होंने प्रदेश के पर्यटन मंत्री को प्रकृति और पर्यटन पर एक राष्ट्रीय गोष्टी करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि पर्यटन का सबसे बड़ा बोझ प्रकृति पर पड़ रहा है, जिसे सरकार को गम्भीरता से सोचने की जरूरत है. कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (कोर) पहुंचे डॉ.अनिल जोशी का प्रबंधन ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया.

बदलते पर्यावरण पर जोशी ने जताई चिंता.

पढ़ें-चारधाम यात्रा: श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने को लेकर HC पहुंची धामी सरकार, सोमवार को हो सकती है सुनवाई

इस दौरान पर्यावरणविद् अनिल जोशी ने छात्रों को पर्यावरण के बारे में विस्तार से जानकारी दी. पत्रकार वार्ता में डॉ.अनिल जोशी ने कहा कि वह एक रणनीति बना रहे हैं जिसमें सरकार शायद बंध जाए, हालांकि उन्होंने इस रणनीति को मीडिया से साझा नहीं किया. जोशी ने बताया कि पहाड़ के लोगों के लिए ज्यादा परेशानी की बात है, क्योंकि पहाड़ की परिस्थितियां संवेदनशील होती हैं, नदिया, जंगल होने के कारण प्रकृति का प्रतिकूल असर इन्हीं पर ज्यादा पड़ता है.

पढ़ें-बलबीर गिरि बने नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी, निरंजनी अखाड़े के पंचों ने किया फैसला

उन्होंने कहा आने वाली को इन तमाम बातों से अवगत कराना बेहद जरूरी है, शिक्षा सबसे बड़ा हिस्सा है. इसलिए छात्रों को पर्यावरण की पूरी जानकारी होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि यदि हालात ऐसे ही रहे तो 20 साल बाद हम सबकुछ खोने वाले हैं.

रुड़की: पर्यावरणविद् पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में बांध बनाने के लिए नए सिरे से सरकार को सोचने की आवश्यकता है. बांध का निर्माण करना पर्यावरण और प्राकृतिक दृष्टिकोण से सही नहीं है. उन्होंने कहा कि बांध अब हमारे पक्ष में ज्यादा बेहतर नहीं हो सकते, खासतौर पर जब बाढ़ जैसी आपदायें हो रही हैं.

पर्यावरणविद् डॉ. अनिल जोशी ने कहा उन्होंने प्रदेश के पर्यटन मंत्री को प्रकृति और पर्यटन पर एक राष्ट्रीय गोष्टी करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि पर्यटन का सबसे बड़ा बोझ प्रकृति पर पड़ रहा है, जिसे सरकार को गम्भीरता से सोचने की जरूरत है. कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (कोर) पहुंचे डॉ.अनिल जोशी का प्रबंधन ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया.

बदलते पर्यावरण पर जोशी ने जताई चिंता.

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इस दौरान पर्यावरणविद् अनिल जोशी ने छात्रों को पर्यावरण के बारे में विस्तार से जानकारी दी. पत्रकार वार्ता में डॉ.अनिल जोशी ने कहा कि वह एक रणनीति बना रहे हैं जिसमें सरकार शायद बंध जाए, हालांकि उन्होंने इस रणनीति को मीडिया से साझा नहीं किया. जोशी ने बताया कि पहाड़ के लोगों के लिए ज्यादा परेशानी की बात है, क्योंकि पहाड़ की परिस्थितियां संवेदनशील होती हैं, नदिया, जंगल होने के कारण प्रकृति का प्रतिकूल असर इन्हीं पर ज्यादा पड़ता है.

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उन्होंने कहा आने वाली को इन तमाम बातों से अवगत कराना बेहद जरूरी है, शिक्षा सबसे बड़ा हिस्सा है. इसलिए छात्रों को पर्यावरण की पूरी जानकारी होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि यदि हालात ऐसे ही रहे तो 20 साल बाद हम सबकुछ खोने वाले हैं.

Last Updated : Oct 1, 2021, 9:27 AM IST
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