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महाकुंभ SOP को लेकर दो धड़ों में बंटा संत समाज, व्यापारियों ने भी जताया विरोध - Mahakumbh SOP Latest News

हरिद्वार में केंद्र द्वारा जारी एसओपी को लेकर अलग-अलग मत हैं. जहां कुछ साधु-संत इसका समर्थन कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं. वहीं, हरिद्वार के व्यापारी खुलकर एसओपी के विरोध में उतर आये हैं.

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महाकुंभ SOP को लेकर दो धड़ों में बंटा संत समाज
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Published : Feb 28, 2021, 8:35 PM IST

हरिद्वार: भारत सरकार ने कुंभ को लेकर एसओपी जारी की है. एसओपी में कुंभ मेले में भजन-कीर्तन, भागवत, कथा और बड़े आयोजनों को बैन किया गया है. एसओपी को लेकर जहां कुछ साधु-संत इसका विरोध कर रहे हैं तो वहीं कुछ साधु-संत इसका समर्थन भी कर रहे हैं. बात अगर हरिद्वार व्यापारियों की करें तो वे खुलकर एसओपी का विरोध कर रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार को एसओपी में बदलाव करने चाहिए.

केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य है. सवाल यह उठता है कि जब श्रद्धालु कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट लेकर आएंगे तो उसके बाद धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है. इसको लेकर साधु संत भी बंटे हुए नजर आ रहे हैं. महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि भारत सरकार धार्मिक आयोजन में काफी सख्ती कर रही है. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.

महाकुंभ SOP को लेकर दो धड़ों में बंटा संत समाज

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उन्होंने कहा देश में कई राज्यों में चुनाव और बड़ी-बड़ी जनसभाएं की जा रही हैं. किसानों का आंदोलन हो रहा है. कुंभ मेले पर इतनी सख्ती होने से सनातन धर्म को मानने वाले लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है. इसमें साधु-संतों को भजन कीर्तन और कथा करने से रोका जा रहा है. जिसका साधु-संत विरोध कर रहे हैं.

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उनका कहना है कि राज्य सरकार द्वारा एक अप्रैल से गाइडलाइन जारी की जा रही है. उसके बाद अखाड़ा परिषद और साधु संत बैठक कर इस पर निर्णय लेंगे.

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वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने भारत सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी का समर्थन किया है. हरि गिरि का कहना है कि बाहर भजन-कीर्तन करने की बजाय अपने घर, तंबू में भजन कीर्तन करें, इसकी कोई मनाही नहीं है. बस कहीं पर भी भीड़ इकट्ठी न हो इसके लिए ये अपील की गई है. उन्होंने कहा अगर आप अपने परिवार का भला चाहते हैं तो कुंभ मेल में आने से पहले कोरोना की जांच कराएं. गंगा किनारे स्नान कर सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करें. हम अपने अखाड़ों के साधु-संतों से भी अपील कर रहे हैं कि सब कोरोना की जांच कराएं.

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उधर, भारत सरकार द्वारा जारी की गई इस एसओपी का हरिद्वार के व्यापारियों ने खुलकर विरोध किया है. व्यापारियों का कहना है कि कुंभ लोगों की आस्था का विषय है. संविधान में भी लिखा है कि आस्था पर ज्यादा सख्ती नहीं की जा सकती. कुंभ के शाही स्नान पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. बाकी दिनों में कुंभ के आयोजनों पर किसी भी प्रकार की कोई सख्ती नहीं करनी चाहिए. भजन-कीर्तन पर कोई पाबंदी नहीं लगनी चाहिए, क्योंकि भजन कीर्तन के बिना कुंभ निराधार है.

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व्यापारियों का कहना है कि हम इस एसओपी से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं. हमारे द्वारा मुख्यमंत्री, देश के शिक्षा मंत्री, गृहमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से लिखित में अनुरोध किया गया है कि व्यापारियों के हितों को ध्यान में रखकर एसओपी जारी की जाये.

हरिद्वार: भारत सरकार ने कुंभ को लेकर एसओपी जारी की है. एसओपी में कुंभ मेले में भजन-कीर्तन, भागवत, कथा और बड़े आयोजनों को बैन किया गया है. एसओपी को लेकर जहां कुछ साधु-संत इसका विरोध कर रहे हैं तो वहीं कुछ साधु-संत इसका समर्थन भी कर रहे हैं. बात अगर हरिद्वार व्यापारियों की करें तो वे खुलकर एसओपी का विरोध कर रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार को एसओपी में बदलाव करने चाहिए.

केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य है. सवाल यह उठता है कि जब श्रद्धालु कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट लेकर आएंगे तो उसके बाद धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है. इसको लेकर साधु संत भी बंटे हुए नजर आ रहे हैं. महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि भारत सरकार धार्मिक आयोजन में काफी सख्ती कर रही है. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.

महाकुंभ SOP को लेकर दो धड़ों में बंटा संत समाज

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उन्होंने कहा देश में कई राज्यों में चुनाव और बड़ी-बड़ी जनसभाएं की जा रही हैं. किसानों का आंदोलन हो रहा है. कुंभ मेले पर इतनी सख्ती होने से सनातन धर्म को मानने वाले लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है. इसमें साधु-संतों को भजन कीर्तन और कथा करने से रोका जा रहा है. जिसका साधु-संत विरोध कर रहे हैं.

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उनका कहना है कि राज्य सरकार द्वारा एक अप्रैल से गाइडलाइन जारी की जा रही है. उसके बाद अखाड़ा परिषद और साधु संत बैठक कर इस पर निर्णय लेंगे.

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वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने भारत सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी का समर्थन किया है. हरि गिरि का कहना है कि बाहर भजन-कीर्तन करने की बजाय अपने घर, तंबू में भजन कीर्तन करें, इसकी कोई मनाही नहीं है. बस कहीं पर भी भीड़ इकट्ठी न हो इसके लिए ये अपील की गई है. उन्होंने कहा अगर आप अपने परिवार का भला चाहते हैं तो कुंभ मेल में आने से पहले कोरोना की जांच कराएं. गंगा किनारे स्नान कर सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करें. हम अपने अखाड़ों के साधु-संतों से भी अपील कर रहे हैं कि सब कोरोना की जांच कराएं.

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उधर, भारत सरकार द्वारा जारी की गई इस एसओपी का हरिद्वार के व्यापारियों ने खुलकर विरोध किया है. व्यापारियों का कहना है कि कुंभ लोगों की आस्था का विषय है. संविधान में भी लिखा है कि आस्था पर ज्यादा सख्ती नहीं की जा सकती. कुंभ के शाही स्नान पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. बाकी दिनों में कुंभ के आयोजनों पर किसी भी प्रकार की कोई सख्ती नहीं करनी चाहिए. भजन-कीर्तन पर कोई पाबंदी नहीं लगनी चाहिए, क्योंकि भजन कीर्तन के बिना कुंभ निराधार है.

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व्यापारियों का कहना है कि हम इस एसओपी से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं. हमारे द्वारा मुख्यमंत्री, देश के शिक्षा मंत्री, गृहमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से लिखित में अनुरोध किया गया है कि व्यापारियों के हितों को ध्यान में रखकर एसओपी जारी की जाये.

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