हरिद्वारः नवरात्र के पावन दिनों में हरिद्वार के सुरेश्वरी देवी मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है. हरिद्वार से 8 किमी दूर राजाजी टाइगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज में घने जंगल के बीच सुरकुट पर्वत पर मां सुरेश्वरी देवी का मंदिर स्थित है. वैसे तो सालभर इस पौराणिक मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्र के दिनों में मंदिर की छटा अलग ही देखने को मिलती है. वहीं आज नवमी पर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुटी हुई है.
नवरात्र के दिनों में सुरेश्वरी देवी मंदिर में भक्तों का भारी सैलाब उमड़ा रहा. वहीं, आज नवमी पर मंदिर में भक्तों का भारी सैलाब है. सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुटी हुई है. घने जंगल के बीच इस मंदिर में मां दुर्गा और मां भगवती सिद्धपीठ के रूप में विराजमान है. स्कंदपुराण के केदारखंड में भी इस मंदिर का उल्लेख है.
मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित कृति बताते हैं कि प्राचीन काल में जब चंद्रवंशी राजा रजी के पुत्रों ने देवलोक पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया था, तब भगवान विष्णु की प्रेरणा से देवताओं के राजा देवराज इंद्र ने इसी सुरकुट पर्वत पर मां भगवती की स्तुति की थी. स्तुति से प्रसन्न होकर मां भगवती ने देवराज इंद्र को दर्शन दिए और असुरों से मुक्ति दिलाई. उसके बाद इसी स्थान पर मां भगवती विराजमान हो गईं और आज तक भक्तों का कल्याण करती आ रही हैं.
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हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु हरिद्वार से 8 किलोमीटर दूर जंगल की दूरी तय करके मां सुरेश्वरी देवी का आशीर्वाद लेने मंदिर आते हैं. मान्यता है कि मां सुरेश्वरी देवी अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करती है. राजाजी टाइगर रिजर्व के इस घने जंगल में गुलदार और हाथी जैसे कई खतरनाक जानवर भी रहते हैं, लेकिन कहा जाता है कि आज तक मंदिर जाने वाले किसी भी श्रद्धालु को इन जानवरों ने नुकसान नहीं पहुंचाया.
गौरतलब है कि सुरेश्वरी देवी मंदिर के प्रति भक्तों की आस्था अटल है. इसी आस्था के बल पर आबादी से दूर घने जंगल के बीच से गुजरकर श्रद्धालु मां सुरेश्वरी देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं.
कैसे पहुंचें: हरिद्वार निकटतम रेलवे स्टेशन है. हरिद्वार भारत के प्रमुख स्थलों के साथ रेलवे नेटवर्क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.