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हरिद्वार में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, बैसाखी पर 16 लाख लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी - हरिद्वार में बैसाखी पर 16 लाख लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी

हरिद्वार में बैसाखी का पर्व जोश और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. धर्मनगरी में हरकी पैड़ी समेत गंगा के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. बैसाखी पर 16 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई.

Haridwar
हरिद्वार
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Published : Apr 14, 2022, 11:52 AM IST

Updated : Apr 14, 2022, 8:54 PM IST

हरिद्वार: हरिद्वार में बैसाखी का पर्व जोश और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. धर्मनगरी में हरकी पैड़ी समेत गंगा के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. बैसाखी पर 16 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. कोरोनाकाल में दो साल बाद पहली बार बिना किसी रोक टोक के बैसाखी एवं मेष संक्रांति स्नान हुआ. धर्मनगरी में स्नान पर्व को लेकर एक सप्ताह पहले ही ऑनलाइन होटल बुक हो गए थे.

स्नान पर्व से एक दिन पहले बुधवार को ही शहर के सभी होटलों में यात्रियों का आना शुरू हो गया था. वहीं धर्मशालाओं के अलावा गुरुओं के आश्रमों में आकर भी यात्रियों ने डेरा डाल दिया था. आज सुबह चार बजे से बैसाखी व मेष संक्रांति के स्नान पर्व पर स्नान शुरू हो गया था, जो देर शाम तक चला. बैसाखी स्नान करने के चलते हरिद्वार के घाटों पर काफी ज्यादा भीड़ भी देखने को मिली.

बैसाखी पर हर-हर गंगे

बैसाखी क्यों मनाते हैं? सिख समुदाय बैसाखी को नए साल के रुप में मनाते हैं. इस दिन तक फसलें पक जाती हैं और उनकी कटाई होती है, उसकी खुशी में भी यह त्योहार मनाया जाता है. इसका एक धार्मिक महत्व भी है. सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह जी ने बैसाखी के अवसर पर 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ बनाया था, इसलिए भी सिख समुदाय के लिए बैसाखी का विशेष महत्व है. इस दिन केसरगढ़ साहिब आनंदपुर में विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है क्योंकि यहां पर ही खालसा पंथ की स्थापना हुई थी.

वहीं, बैसाखी पर फसल तैयार हो जाती है और इस दिन से फसल कटनी शुरू हो जाती है. आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. स्नान करने के पश्चात अन्न दान का भी महत्व है. आज के दिन अन्न का दान करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. जीवन में अन्न दान से बड़ा कोई दान नहीं है. श्रद्धालुओं का मानना है कि गंगा में डुबकी लगाने मात्र से ही सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. मां गंगा मनचाही मुराद पूरी करती हैं और मोक्ष प्रदान करती हैं.
पढ़ें- चमोली: गोविंदघाट गुरूद्वारे में सिख श्रद्धालुओं ने हर्षोल्लास के साथ मनाया बैसाखी पर्व

हरिद्वार में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था: सीओ सिटी शेखर सुयाल (CO City Shekhar Suyal) का कहना है कि हरिद्वार में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात था. यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए जगह-जगह बैरीकेडिंग लगाए गए हैं. पूरे मेला क्षेत्र को 4 सुपर जोन, 9 जोन और 38 सेक्टर में बांटा गया था. मेले के लिए चार एडिशनल एसपी रैंक के अधिकारी तैनात थे. 9 डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी, 80 इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर के साथ ही 300 से अधिक पीएसी के जवान तैनात थे.

हरिद्वार: हरिद्वार में बैसाखी का पर्व जोश और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. धर्मनगरी में हरकी पैड़ी समेत गंगा के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. बैसाखी पर 16 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. कोरोनाकाल में दो साल बाद पहली बार बिना किसी रोक टोक के बैसाखी एवं मेष संक्रांति स्नान हुआ. धर्मनगरी में स्नान पर्व को लेकर एक सप्ताह पहले ही ऑनलाइन होटल बुक हो गए थे.

स्नान पर्व से एक दिन पहले बुधवार को ही शहर के सभी होटलों में यात्रियों का आना शुरू हो गया था. वहीं धर्मशालाओं के अलावा गुरुओं के आश्रमों में आकर भी यात्रियों ने डेरा डाल दिया था. आज सुबह चार बजे से बैसाखी व मेष संक्रांति के स्नान पर्व पर स्नान शुरू हो गया था, जो देर शाम तक चला. बैसाखी स्नान करने के चलते हरिद्वार के घाटों पर काफी ज्यादा भीड़ भी देखने को मिली.

बैसाखी पर हर-हर गंगे

बैसाखी क्यों मनाते हैं? सिख समुदाय बैसाखी को नए साल के रुप में मनाते हैं. इस दिन तक फसलें पक जाती हैं और उनकी कटाई होती है, उसकी खुशी में भी यह त्योहार मनाया जाता है. इसका एक धार्मिक महत्व भी है. सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह जी ने बैसाखी के अवसर पर 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ बनाया था, इसलिए भी सिख समुदाय के लिए बैसाखी का विशेष महत्व है. इस दिन केसरगढ़ साहिब आनंदपुर में विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है क्योंकि यहां पर ही खालसा पंथ की स्थापना हुई थी.

वहीं, बैसाखी पर फसल तैयार हो जाती है और इस दिन से फसल कटनी शुरू हो जाती है. आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. स्नान करने के पश्चात अन्न दान का भी महत्व है. आज के दिन अन्न का दान करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. जीवन में अन्न दान से बड़ा कोई दान नहीं है. श्रद्धालुओं का मानना है कि गंगा में डुबकी लगाने मात्र से ही सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. मां गंगा मनचाही मुराद पूरी करती हैं और मोक्ष प्रदान करती हैं.
पढ़ें- चमोली: गोविंदघाट गुरूद्वारे में सिख श्रद्धालुओं ने हर्षोल्लास के साथ मनाया बैसाखी पर्व

हरिद्वार में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था: सीओ सिटी शेखर सुयाल (CO City Shekhar Suyal) का कहना है कि हरिद्वार में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात था. यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए जगह-जगह बैरीकेडिंग लगाए गए हैं. पूरे मेला क्षेत्र को 4 सुपर जोन, 9 जोन और 38 सेक्टर में बांटा गया था. मेले के लिए चार एडिशनल एसपी रैंक के अधिकारी तैनात थे. 9 डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी, 80 इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर के साथ ही 300 से अधिक पीएसी के जवान तैनात थे.

Last Updated : Apr 14, 2022, 8:54 PM IST
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