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कोरोनाकाल में नहीं हुआ जागरण तो संगीतकारों ने कहा- 'हम भी हैं' - haridwar musicians in corona crisis

जागरण से जुड़े म्यूजिशियंस व वाद्य यंत्रों के वादकों को भी कोरोना काल में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में इन संगीतकारों ने संगीत के माध्यम से अपनी परेशानियों को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है.

haridwar singers in corona crisis
आप भी सुनें म्यूजिशियंस का दर्द.
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Published : Oct 5, 2020, 2:10 PM IST

हरिद्वार: कोरोना महामारी के कारण जहां पूरा देश आर्थिक मंदी से जूझ रहा है, वहीं एक विशेष वर्ग पर भी इसका खासा असर देखने को मिला है. यह वह वर्ग है जो आम आदमी की खुशियों व सुख में सम्मिलित हुआ करता था. आज इनके पास अपने गुजर-बसर करने के लिए कोई काम नहीं है. जी हां हम बात कर रहे हैं देवी जागरण से जुड़े म्यूजिशियंस व वाद्य यंत्रों के वादकों की. इन वर्गों पर इस कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन का खासा असर देखने को मिला है.

कोरोना काल में परेशान हैं संगीतकार.

जहां आम दिनों में इन्हें छोटे-मोटे प्रोग्राम मिल जाया करते थे और नवरात्रों के गणपति महोत्सव में इनका सीजन रहा करता था, लेकिन इस बार कोई भी इन्हें नवरात्रों में जागरण की बुकिंग नहीं मिली है. इससे इनको गुजर-बसर करने में काफी समस्या आ रही है. इस वर्ग ने अपनी परेशानियों को आमजन तक पहुंचाने के लिए एक नया तरीका निकाला है. इन्होंने अपने ही ढंग से अपनी परेशानियों को गीत के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया है. जिस गीत का नाम है "हम भी हैं". इस गीत को धीरज चतरथ ने लिखा है.

आप भी सुनें म्यूजिशियंस का दर्द.

यह भी पढ़ें-सुशीला तिवारी अस्पताल में गलघोंटू से बच्ची की मौत

गीत लिखने वाले धीरज चतरथ का कहना है कि उन्होंने यह गीत इस लॉकडाउन के कारण ठप हुए कार्य और अपने साथियों पर इस लॉकडाउन के कारण जो परेशानियां आई हैं उस पर लिखा है. यह गीत लिखकर अपनी समस्याओं को आम जनता तक पहुंचाने का उनका प्रयास है कि वह उनकी ओर भी ध्यान दें. जिस तरह हम उनके सुख में अपनी सभी परेशानियां भूल कर सम्मिलित हुआ करते थे. उसी तरह आज इस घड़ी में अगर आमजन हमें भूल जाएंगे तो कैसे चलेगा. इसीलिए हमने यह गीत लिखा है जिसका नाम भी हमने "हम भी हैं" दिया है. कई संगीतकार और वादकों द्वारा ही इसका वीडियो शूट किया गया है और बताया गया है कि किस तरह इस लॉकडाउन में हमने अपने गुजर-बसर के लिए अपना व्यवसाय ही बदल दिया.

हरिद्वार: कोरोना महामारी के कारण जहां पूरा देश आर्थिक मंदी से जूझ रहा है, वहीं एक विशेष वर्ग पर भी इसका खासा असर देखने को मिला है. यह वह वर्ग है जो आम आदमी की खुशियों व सुख में सम्मिलित हुआ करता था. आज इनके पास अपने गुजर-बसर करने के लिए कोई काम नहीं है. जी हां हम बात कर रहे हैं देवी जागरण से जुड़े म्यूजिशियंस व वाद्य यंत्रों के वादकों की. इन वर्गों पर इस कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन का खासा असर देखने को मिला है.

कोरोना काल में परेशान हैं संगीतकार.

जहां आम दिनों में इन्हें छोटे-मोटे प्रोग्राम मिल जाया करते थे और नवरात्रों के गणपति महोत्सव में इनका सीजन रहा करता था, लेकिन इस बार कोई भी इन्हें नवरात्रों में जागरण की बुकिंग नहीं मिली है. इससे इनको गुजर-बसर करने में काफी समस्या आ रही है. इस वर्ग ने अपनी परेशानियों को आमजन तक पहुंचाने के लिए एक नया तरीका निकाला है. इन्होंने अपने ही ढंग से अपनी परेशानियों को गीत के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया है. जिस गीत का नाम है "हम भी हैं". इस गीत को धीरज चतरथ ने लिखा है.

आप भी सुनें म्यूजिशियंस का दर्द.

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गीत लिखने वाले धीरज चतरथ का कहना है कि उन्होंने यह गीत इस लॉकडाउन के कारण ठप हुए कार्य और अपने साथियों पर इस लॉकडाउन के कारण जो परेशानियां आई हैं उस पर लिखा है. यह गीत लिखकर अपनी समस्याओं को आम जनता तक पहुंचाने का उनका प्रयास है कि वह उनकी ओर भी ध्यान दें. जिस तरह हम उनके सुख में अपनी सभी परेशानियां भूल कर सम्मिलित हुआ करते थे. उसी तरह आज इस घड़ी में अगर आमजन हमें भूल जाएंगे तो कैसे चलेगा. इसीलिए हमने यह गीत लिखा है जिसका नाम भी हमने "हम भी हैं" दिया है. कई संगीतकार और वादकों द्वारा ही इसका वीडियो शूट किया गया है और बताया गया है कि किस तरह इस लॉकडाउन में हमने अपने गुजर-बसर के लिए अपना व्यवसाय ही बदल दिया.

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