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हरकी पैड़ी पर हर्षोल्लास के साथ मनाई गई देव दिवाली, टनल में फंसे मजदूरों के लिए की कामना - Dev Diwali in Haridwar

हरिद्वार हरकी पैड़ी पर हर्षोल्लास के साथ देव दिवाली मनाई गई. इस दौरान घाट पर हजारों दिये जलाये गये. देव दिवाली के दौरान टनल में फंसे मजदूरों की कुशलता के लिए कामना की गई.

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हरकी पैड़ी पर हर्षोल्लास के साथ मनाई गई देव दिवाली
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 26, 2023, 10:19 PM IST

हरकी पैड़ी पर हर्षोल्लास के साथ मनाई गई देव दिवाली

हरिद्वार: कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर देव दीपावली धूमधाम से मनाई गई. इस मौके पर हरकी पैड़ी पर हजारों दीप जलाए गए. मान्यता है कि इस दिन देवता दिवाली मनाते हैं. पुराणों के अनुसार देव दिवाली के दिन ही भगवान विष्णु को बलीराजा से मुक्ति मिली थी. वह स्वर्ग पधारे थे, जिसके बाद सारे देवताओं ने दीप जलाकर खुशियां मनाई. इसलिए कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संख्या पर देव दिवाली मनाई जाती है.

देवताओं द्वारा मनाई जाने वाली दीवाली धरती को ऊर्जा देती है. कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर कई हजार दीप जलाकर देव दीपावली को भव्य तरीके से मनाया गया, साथ ही आतिशबाजी भी की गई. श्रीगंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम ने बताया आज के दिन देवताओं के निमित्त दीपदान का आध्यात्मिक महत्व है. देव दिवाली के दिन देवताओं के लिए दीपदान किया जाता है. उससे हमारे जीवन में आजीवन उजाला रहता है, क्योंकि दीप प्रकाश का प्रतीक है. यह परंपरा अनादि काल से चली आ रही है.

पढे़ं- हरिद्वार में कल होगा कार्तिक पूर्णिमा स्नान, तैयारियां में जुटा पुलिस-प्रशासन, पढ़िये क्या है व्यवस्थाएं

श्रीगंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड एक अलौकिक स्थान है. इस स्थान पर हजारों दीप जलने का दृश्य बहुत ही अद्भुत है. उन्होंने बताया आज देव दिवाली के मौके पर उत्तरकाशी के सिल्क आरा में टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों के लिए मां गंगा से कामना की गई है कि वह जल्द से जल्द अपने परिवार से मिले. देव दिवाली के मौके पर हरकी पैड़ी पर पहुंचे हजारों श्रद्धालु खुश नजर आए. श्रद्धालुओं का कहना है कि हरकी पैड़ी पर आकर उन्हें का काफी अच्छा लगा.

हरकी पैड़ी पर हर्षोल्लास के साथ मनाई गई देव दिवाली

हरिद्वार: कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर देव दीपावली धूमधाम से मनाई गई. इस मौके पर हरकी पैड़ी पर हजारों दीप जलाए गए. मान्यता है कि इस दिन देवता दिवाली मनाते हैं. पुराणों के अनुसार देव दिवाली के दिन ही भगवान विष्णु को बलीराजा से मुक्ति मिली थी. वह स्वर्ग पधारे थे, जिसके बाद सारे देवताओं ने दीप जलाकर खुशियां मनाई. इसलिए कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संख्या पर देव दिवाली मनाई जाती है.

देवताओं द्वारा मनाई जाने वाली दीवाली धरती को ऊर्जा देती है. कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर कई हजार दीप जलाकर देव दीपावली को भव्य तरीके से मनाया गया, साथ ही आतिशबाजी भी की गई. श्रीगंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम ने बताया आज के दिन देवताओं के निमित्त दीपदान का आध्यात्मिक महत्व है. देव दिवाली के दिन देवताओं के लिए दीपदान किया जाता है. उससे हमारे जीवन में आजीवन उजाला रहता है, क्योंकि दीप प्रकाश का प्रतीक है. यह परंपरा अनादि काल से चली आ रही है.

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श्रीगंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड एक अलौकिक स्थान है. इस स्थान पर हजारों दीप जलने का दृश्य बहुत ही अद्भुत है. उन्होंने बताया आज देव दिवाली के मौके पर उत्तरकाशी के सिल्क आरा में टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों के लिए मां गंगा से कामना की गई है कि वह जल्द से जल्द अपने परिवार से मिले. देव दिवाली के मौके पर हरकी पैड़ी पर पहुंचे हजारों श्रद्धालु खुश नजर आए. श्रद्धालुओं का कहना है कि हरकी पैड़ी पर आकर उन्हें का काफी अच्छा लगा.

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