हरिद्वार: कुंभ नगरी हरिद्वार में हर छह साल में सैंकड़ों करोड़ रुपया खर्च किया जाता है. इतना पैसा खर्च होने के बावजूद यहां का जिला मुख्य चिकित्सालय खस्ताहाल है. यहां सबसे ज्यादा परेशानी शवों को सुरक्षित रखने में आती है. यहां कई शवों को रखने के लिए लाखों की लागत के डीप फ्रीजर रखे गए हैं, लेकिन इनमें अधिकतर बदइंतजामी के चलते धूल फांक रहे हैं.
बता दें हरिद्वार के जिला मुख्य चिकित्सालय में रोजाना काफी शव पोस्टमार्टम के लिए लाए जाते हैं. इनमें से बहुत से शव ऐसे होते हैं जिन्हें एक से तीन दिन तक मोर्चरी में रखना पड़ता है. इन शवों को रखने के लिए कई मल्टी बॉडी डीप फ्रीजर हैं लेकिन इनमें से अधिकतर खस्ताहाल हैं. जिसके कारण यहां के कर्मचारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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मोर्चरी पर राजनीति: लाखों की लागत से करीब साढ़े तीन साल पहले रोशनाबाद क्षेत्र में एक अत्याधुनिक मोर्चरी बनाई गई थी. इस मोर्चरी में कई डीप फ्रीजर की भी व्यवस्था की गई थी, लेकिन राजनीति व स्थानीय लोगों के विरोध के चलते इसके उद्घाटन से एक दिन पहले ही इस पर क्षेत्रीय विधायक ने रोक लगवा दी, जो आजतक नहीं हट पाई है.
परिजनों से पैसा वसूलने का खेल: मोर्चरी में अपने परिजन का शव रखने आए लोगों से यहां धड़ल्ले से उगाही होती है. आलम यह है कि पहले से परेशान परिजनों से शवों को सील करने के नाम पर कपड़ा पन्नी मंगाई जाती है. साथ ही उनसे पांच सौ रुपए भी लिए जाते हैं, जबकि यह व्यवस्था अस्पताल की ओर से निशुल्क होती है.
क्या कहते हैं पार्षद: पार्षद शुभम मंडोला का कहना है कि बुधवार को सड़क दुर्घटना में मारे गए फरीदाबाद के युवक के लिए डीप फ्रीजर देने से इसलिए इनकार कर दिया गया चूंकि वे खराब थे. उन्होंने सीएमओ, सीएमएस एवं डीएम से सवाल किया, लेकिन यह अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला छाड़ते नजर आये.
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क्या कहते हैं चिकित्सा अधीक्षक: जिला चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ चंदन मिश्रा का कहना है कि जो डीप फ्रीजर खराब हैं उन्हें बाहर से ठीक करवाने पर पचास हजार का खर्चा आ रहा है. यदि विभाग कराए तो उसका प्रोसेस अलग है. जिसकी प्रक्रिया चल रही है. इनका कहना है कि छह शव रखने के लिए डीप फ्रीजर की व्यवस्था हमारे पास है. उन्होंने कहा यदि किसी ने शव को रखने के लिए फ्रीजर देने से इंकार किया तो गलत किया है. शव को रखने के लिए किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है.