हरिद्वारः गुरू के प्रति शिष्य का आदर भाव व्यक्त करने का पर्व गुरू पूर्णिमा आस्था और उल्लास के साथ पतंजलि योगपीठ में मनाया गया. व्यास पूजन यानी गुरू पर्व पर अपने गुरू का सम्मान करने के लिए दूर-दूर से पहुंचे लोगों ने योग गुरू बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को शॉल ओढ़ाकर और चरण वंदन कर आभार व्यक्त किया.
इस अवसर पर आचार्यकुलम के पतंजलि विद्यालय के बच्चों ने और अन्य अनुयायियों ने हवन यज्ञ किया, जबकि मुस्लिम धर्मगुरू ने भी बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अंग वस्त्र ओढ़ाकर और माला पहनाकर स्वागत किया. खुद बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने भी अपने गुरू का सम्मान कर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की.
गुरू महोत्सव पर योग गुरू बाबा रामदेव ने गुरू शिष्य की सनातन परंपरा के बारे में बताया. बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि योगपीठ में श्रीमद्भागवत गीता वाणी, अष्टाध्याई सामान्य से 5 उपदेश 9 उपनिषद इसके साथ वेद चाणक्य, विदुर नीति शास्त्र कंठस्थ करने वाले बच्चों को देखकर हमें विश्वास है कि भारत का धर्म और संस्कृति सुरक्षित हाथों में है.
हमारे सनातन आर्य हिंदू वैदिक परंपरा का यश गौरव बढ़ाने के लिए एक नई पीढ़ी पतंजलि योगपीठ में तैयार कर रहे हैं. गुरू परंपरा ऋषि परंपरा यह हमारी सनातन परंपरा है.
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इसी परंपरा के आधार पर भारत विश्व गुरू था और गुरुओं का ज्ञान जीवन आचरण चरित्र इतना ऊंचा था कि उसे पूरी दुनिया शिक्षा लिया करती थी. ऐसा भारत जिसको पूरा विश्व अपना आदर्श माना करता था, उस भारत की गुरू सत्ता और इसी सप्ताह फिर से गौरवान्वित हो रही है और पूरी दुनिया अब भारत की ओर देख रही है.
हमें भारत को दुनिया की सबसे बड़ी आध्यात्मिक और आर्थिक महाशक्ति बनाना है. इस संकल्प के साथ गुरू पूर्णिमा उत्सव मनाया है. 2050 तक भारत को विश्व की सबसे बड़ी आध्यात्मिक और आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए बड़ा प्रयास पतंजलि योगपीठ कर रहा है.
बाबा रामदेव का कहना है कि भारत स्वभाव से ही एक अध्यात्मिक देश है. हम अपनी मूल संस्कृति और मूल परंपरा से जुड़कर और सभी पंत संप्रदाय का सम्मान करते हुए हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध सब साथ में मिलकर आगे बढ़ना है.
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सभी प्रकार की गुरू परंपरा का सम्मान करते हुए मिलजुल कर एक मजबूत भारत का निर्माण करना है. समाज और सरकार, संत और सैनिक सभी क्षेत्र के लोग जब साथ मिलकर पुरुषार्थ करेंगे तो ही भारत विश्व गुरू बनेगा.
इस दौरान पूरे विधि-विधान से पतंजलि योगपीठ में छोटे बच्चों सहित युवा और बुजुर्ग सभी ने हवन कुंड में आहुति दी. देश के निर्माण के लिए संकल्प लिया कि आने वाले वक्त में भारत को विश्व गुरू बनाना है और इसके लिए अध्यात्म एक सच्चा मार्ग है.