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संस्थाओं ने कांवड़ियों के लिए लगाए शिविर, भोजन से लेकर ठहरने तक की सुविधा

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी कांवड़ मेला शुरू हो चुका है. 14 दिन तक चलने वाली इस कावड़ यात्रा के दौरान रुड़की शहर वासियों द्वारा अलग-अलग स्थानों पर शिव भक्तों के लिए शिविर कैंप लगाए गए हैं.

kanwar
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Published : Jul 20, 2019, 3:49 PM IST

रुड़की: कांवड़ मेले की शुरुआत हो चुकी है. दूर-दूराज से शिव भक्त रुड़की के रास्ते से गुजर कर हरिद्वार पहुंच रहे हैं. शहर में शिव भक्तों की सुविधाओं के लिए जगह-जगह पर आराम करने के लिए शिविर लगाए जा रहे हैं.जिसके चलते शिव भक्तों को किसी भी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े. वहीं, अगर बात करें प्रशासन की तो इस बार भी पूरी तरह से अलर्ट दिखाई दे रहा है.

रुड़की में कांवडियों के लिए लगाया गया शिविर.

दरअसल, 14 दिन तक चलने वाली इस कांवड़ यात्रा के दौरान रुड़की शहर वासियों द्वारा अलग-अलग स्थानों पर शिव भक्तों के लिए शिविर कैंप लगाए गए हैं. शिविर के अंदर एक बड़ी एलईडी टीवी का भी बंदोबस्त किया गया है. जिसमें हर समय धार्मिक गाने व धार्मिक फिल्म चलती रहती है. जिसको देखकर कांवड़िया झूमने लगते हैं, जिससे उनकी थकान दूर हो जाती है. अगर बात करें कांवड़ियों के स्वास्थ्य की तो शिविर में उनके उपचार के लिए मेडिकल कैंप की भी सुविधा का इंतजाम किया गया है. साथ ही कांवड़ियों के लिए शिविर में बड़ी मात्रा में भंडारे का भी इंतजाम किया गया है. बता दें कि यह शिविर अलग-अलग संस्थाओं द्वारा लगाए जाते हैं. जिसका पूरा खर्च संस्था देखती है, जिसमें सरकार से किसी भी तरह का कोई सहयोग नहीं होता है.

महिला कावड़ियों के लिए अलग नियम

भंडारे में शिव भक्तों को अलग-अलग समय में भोजन परोसा जाता है. भोजन परोसते समय महिलाओं की लाइन नहीं लगती है. महिलाएं पंडाल के अंदर जिस जगह पर बैठी होती हैं. उनको वही पर भोजन की थाली परोसी जाती है. यात्रियों को गर्मी निजात दिलाने के लिए कूलर, पंखे व पानी की व्यवस्था भी की गई है.

ये भी पढ़ेंः राहत: दारोगा और इंस्पेक्टरों के वेतन कटौती मामले पर सरकार का यू-टर्न

जमीन पर कावड़ रखने के भी होते हैं नियम

बता दें कि 26 सालों से राजस्थान से लगातार हरिद्वार जाकर जल भरते है. एक शिव भक्त ने बताया कि कावड़ को जमीन पर रखने के भी कुछ नियम होते हैं. अगर हम कांवड़ को जमीन पर रखते हैं तो 12 घंटे से पहले उस कांवड़ को उठाकर दोबारा से अपने कंधे पर रखना पड़ता है. उसके बाद हम कांवड़ को फिर से जमीन पर रख सकते हैं. वहीं, छोटी कावड़ रखने के लिए बांस बांधकर एक अलग से जगह बनाई जाती है.

वहीं, जब ईटीवी भारत से बात करते हुए एक कांवड़ यात्री से रुड़की में लगे शिविरों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि रुड़की के लोग उनकी दिल खोलकर सेवा करते हैं. कांवड़ियों स्वागत किया जाता है. उनकी देखभाल अच्छे तरीके से की जाती है. वहीं, दूसरे कांवड़ यात्री ने बताया कि रुड़की में जो शिव भक्तों के लिए शिविर लगाए गए हैं उनमें काफी अच्छी सुविधा है. सभी कांवड़ यात्री हरिद्वार से खुशी-खुशी जल भरकर अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान करते हैं. वहीं, प्रशासन भी इस बार पूरी तरह से अलर्ट दिखाई दे रहा है.

रुड़की: कांवड़ मेले की शुरुआत हो चुकी है. दूर-दूराज से शिव भक्त रुड़की के रास्ते से गुजर कर हरिद्वार पहुंच रहे हैं. शहर में शिव भक्तों की सुविधाओं के लिए जगह-जगह पर आराम करने के लिए शिविर लगाए जा रहे हैं.जिसके चलते शिव भक्तों को किसी भी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े. वहीं, अगर बात करें प्रशासन की तो इस बार भी पूरी तरह से अलर्ट दिखाई दे रहा है.

रुड़की में कांवडियों के लिए लगाया गया शिविर.

दरअसल, 14 दिन तक चलने वाली इस कांवड़ यात्रा के दौरान रुड़की शहर वासियों द्वारा अलग-अलग स्थानों पर शिव भक्तों के लिए शिविर कैंप लगाए गए हैं. शिविर के अंदर एक बड़ी एलईडी टीवी का भी बंदोबस्त किया गया है. जिसमें हर समय धार्मिक गाने व धार्मिक फिल्म चलती रहती है. जिसको देखकर कांवड़िया झूमने लगते हैं, जिससे उनकी थकान दूर हो जाती है. अगर बात करें कांवड़ियों के स्वास्थ्य की तो शिविर में उनके उपचार के लिए मेडिकल कैंप की भी सुविधा का इंतजाम किया गया है. साथ ही कांवड़ियों के लिए शिविर में बड़ी मात्रा में भंडारे का भी इंतजाम किया गया है. बता दें कि यह शिविर अलग-अलग संस्थाओं द्वारा लगाए जाते हैं. जिसका पूरा खर्च संस्था देखती है, जिसमें सरकार से किसी भी तरह का कोई सहयोग नहीं होता है.

महिला कावड़ियों के लिए अलग नियम

भंडारे में शिव भक्तों को अलग-अलग समय में भोजन परोसा जाता है. भोजन परोसते समय महिलाओं की लाइन नहीं लगती है. महिलाएं पंडाल के अंदर जिस जगह पर बैठी होती हैं. उनको वही पर भोजन की थाली परोसी जाती है. यात्रियों को गर्मी निजात दिलाने के लिए कूलर, पंखे व पानी की व्यवस्था भी की गई है.

ये भी पढ़ेंः राहत: दारोगा और इंस्पेक्टरों के वेतन कटौती मामले पर सरकार का यू-टर्न

जमीन पर कावड़ रखने के भी होते हैं नियम

बता दें कि 26 सालों से राजस्थान से लगातार हरिद्वार जाकर जल भरते है. एक शिव भक्त ने बताया कि कावड़ को जमीन पर रखने के भी कुछ नियम होते हैं. अगर हम कांवड़ को जमीन पर रखते हैं तो 12 घंटे से पहले उस कांवड़ को उठाकर दोबारा से अपने कंधे पर रखना पड़ता है. उसके बाद हम कांवड़ को फिर से जमीन पर रख सकते हैं. वहीं, छोटी कावड़ रखने के लिए बांस बांधकर एक अलग से जगह बनाई जाती है.

वहीं, जब ईटीवी भारत से बात करते हुए एक कांवड़ यात्री से रुड़की में लगे शिविरों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि रुड़की के लोग उनकी दिल खोलकर सेवा करते हैं. कांवड़ियों स्वागत किया जाता है. उनकी देखभाल अच्छे तरीके से की जाती है. वहीं, दूसरे कांवड़ यात्री ने बताया कि रुड़की में जो शिव भक्तों के लिए शिविर लगाए गए हैं उनमें काफी अच्छी सुविधा है. सभी कांवड़ यात्री हरिद्वार से खुशी-खुशी जल भरकर अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान करते हैं. वहीं, प्रशासन भी इस बार पूरी तरह से अलर्ट दिखाई दे रहा है.

Intro:शिव भक्तों के लिए सुविधा


Body:कावड़ मेला शुरू हो चुका है और दूर दूर से शिव भक्त रुड़की के रास्ते से गुजर कर हरिद्वार पहुंच रहे हैं ऐसे में रुड़की शहर में शिव भक्तों की सुविधाओं के लिए जगह जगह आराम करने के लिए शिविर लगाए गए हैं जिसके चलते शिव भक्तों को किसी भी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े।

दरअसल आपको बता दें की हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी कावड़ मेला शुरू हो चुका है 14 दिन तक चलने वाली इस कावड़ यात्रा के लिए रुड़की शहर वासियों द्वारा अलग-अलग स्थानों पर शिव भक्तों के लिए शिविर कैंप लगाए गए हैं शिविर के अंदर एक बड़ी एलसीडी का भी बंदोबस्त है जिसमें धार्मिक गाने व धार्मिक फिल्म हर समय चलती रहती है जिसको देखकर कावड़िए झूम ने लगते हैं जिससे उनकी थकान दूर हो जाती है अगर बात करें कावड़ियों के स्वास्थ्य की तो शिविर में उनके उपचार के लिए मेडिकल कैंप की भी सुविधा का इंतजाम किया हुआ है और साथ ही शिविर में बड़ी संख्या में भंडारे का भी कावड़ियों के लिए इंतजाम किया गया है बता दें कि यह शिविर अलग-अलग संस्थाओं द्वारा लगाए जाते हैं जिसका पूरा खर्च संस्था द्वारा किया जाता है जिसमें सरकार से किसी भी तरह का कोई खर्च नहीं लिया जाता है।

महिला कावड़ियों के लिए अलग नियम

भंडारे में शिव भक्तों को अलग-अलग समय में सभी तरह का खाना हर रोज अलग अलग सब्ज़ी परोसी जाती है वहीं पुरुषों को लाइन के साथ खाना परोसा जाता है खाना परोसते समय महिलाओं की लाइन नहीं लगती है महिलाएं पंडाल के अंदर जिस जगह पर बैठी होती हैं उनको वहीं पर खाने की थाली परोसी जाती है वहीं यात्रियों के खाने-पीने व आराम करने के लिए पंडाल में कूलर पंखे व गर्मी से निजात दिलाने के लिए पानी की व्यवस्था भी की गई है।

ज़मीन पर कावड़ रखने के भी होते हैं नियम

इस दौरान राजस्थान के 26 सालों से लगातार हरिद्वार जल लेने आ रहे एक शिव भक्त ने बताया कि कावड़ को जमीन पर रखने के भी कुछ नियम होते हैं अगर हम कावड़ को जमीन पर रखते हैं तो 12 घंटे से पहले उस कावड़ को उठाकर दोबारा से अपने कंधे पर रखना पड़ता है उसके बाद हम कावड़ को फिर से जमीन पर रख सकते हैं वही छोटी कावड़ रखने के लिए बांस बांधकर एक अलग से जगह बनाई गई है जिस पर छोटी कावड़ रखी जाती है।








Conclusion:वहीं जब ईटीवी भारत में एक कावड़ यात्री से रुड़की में लगे शिविरों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि रुड़की के लोग उनकी दिल खोलकर सेवा करते हैं और उनका स्वागत हुआ उनकी देखभाल खूब अच्छे तरीके से करते हैं वहीं दूसरे कावड़ यात्री ने बताया कि रुड़की में जो शिव भक्तों के लिए शिविर लगाए गए हैं उनमें काफी अच्छी सुविधा है और सभी कावड़ यात्री हरिद्वार से खुशी-खुशी सकुशल अपने घर जल लेकर प्रस्थान कर रहे हैं वहीं अगर बात करें प्रशासन की तो प्रशासन इस बार भी पूरी तरह अलर्ट दिखाई दे रहा है।

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