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बाबा हठयोगी की चेतावनी, अखाड़ों की परंपरा का उल्लंघन स्वीकार नहीं

किन्नर अखाड़े को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब हरिद्वार में दिगंबर अणी अखाड़े के स्थानीय प्रतिनिधि बाबा बलराम दास हठयोगी ने किन्नर अखाड़े को मान्यता देने का विरोध किया है.

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Published : Jan 5, 2021, 3:40 PM IST

Updated : Jan 5, 2021, 3:53 PM IST

हरिद्वारः किन्नर अखाड़े को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. बयानबाजी का सिलसिला लगातार जारी है. वहीं अब हरिद्वार में दिगंबर अणी अखाड़े के स्थानीय प्रतिनिधि व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा बलराम दास हठयोगी ने कहा है कि आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित अखाड़ा परंपरा का उल्लंघन कतई स्वीकार नहीं कि जाएगा. किन्नर अखाड़े को लेकर अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बाबा हठयोगी ने कहा कि सदियों से चली आ रही अखाड़ा परंपरा के तहत केवल तेरह अखाड़ों को ही मान्यता प्राप्त है. ऐसे में परंपराओं का उल्लंघन कर किसी नए अखाड़े को मान्यता नहीं दी जा सकती है.

बाबा हठयोगी की चेतावनी.

उन्होंने कहा कि तीन बैरागी अणियों में 18 अखाड़े शामिल हैं. लेकिन सभी बैरागी अखाड़े तीनों अणियों के साथ ही कुंभ मेले में शाही स्नान करते हैं. श्रीमहंत हरिगिरी चाहें तो जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़े को भी स्नान करा सकते हैं. लेकिन परंपराओं का उल्लंघन कर किन्नर अखाड़े को मान्यता नहीं दी सकती है. इससे गलत परंपरा प्रचलित होगी और समाज का कोई वर्ग अखाड़ा गठित कर शाही स्नान की मांग कर सकता है, जिससे अनावश्यक रूप से विवाद उत्पन्न होगा.

ये भी पढ़ेंः खुशखबरी: मुख्यमंत्री ने नर्सिंग भर्ती के मानकों में बदलाव के दिए निर्देश

उन्होंने आगे कहा कि सरकार व मेला प्रशासन के पास उपलब्ध कुंभ मेला संबंधी रिकार्ड में भी केवल तेरह अखाड़ों का उल्लेख है. 2010 के हरिद्वार कुंभ में तत्कालीन अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज के समक्ष भी किन्नर अखाड़े के रूप में चौदहवां अखाड़ा गठित करने का प्रस्ताव आया था. लेकिन श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज ने परंपराओं का पालन करते हुए प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. बाबा हठयोगी ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि इस मामले को लेकर उनका दृष्टिकोण बिल्कुल स्पष्ट व सराहनीय है.

श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज पारदर्शिता रखते हुए बिना किसी भेदभाव के और कोई नया विवाद उत्पन्न ना हो इसके लिए प्रयास कर रहे हैं. श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज परंपराओं के साथ हैं और परंपराओं को पथभ्रष्ट नहीं होने देना चाहते हैं.

हरिद्वारः किन्नर अखाड़े को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. बयानबाजी का सिलसिला लगातार जारी है. वहीं अब हरिद्वार में दिगंबर अणी अखाड़े के स्थानीय प्रतिनिधि व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा बलराम दास हठयोगी ने कहा है कि आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित अखाड़ा परंपरा का उल्लंघन कतई स्वीकार नहीं कि जाएगा. किन्नर अखाड़े को लेकर अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बाबा हठयोगी ने कहा कि सदियों से चली आ रही अखाड़ा परंपरा के तहत केवल तेरह अखाड़ों को ही मान्यता प्राप्त है. ऐसे में परंपराओं का उल्लंघन कर किसी नए अखाड़े को मान्यता नहीं दी जा सकती है.

बाबा हठयोगी की चेतावनी.

उन्होंने कहा कि तीन बैरागी अणियों में 18 अखाड़े शामिल हैं. लेकिन सभी बैरागी अखाड़े तीनों अणियों के साथ ही कुंभ मेले में शाही स्नान करते हैं. श्रीमहंत हरिगिरी चाहें तो जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़े को भी स्नान करा सकते हैं. लेकिन परंपराओं का उल्लंघन कर किन्नर अखाड़े को मान्यता नहीं दी सकती है. इससे गलत परंपरा प्रचलित होगी और समाज का कोई वर्ग अखाड़ा गठित कर शाही स्नान की मांग कर सकता है, जिससे अनावश्यक रूप से विवाद उत्पन्न होगा.

ये भी पढ़ेंः खुशखबरी: मुख्यमंत्री ने नर्सिंग भर्ती के मानकों में बदलाव के दिए निर्देश

उन्होंने आगे कहा कि सरकार व मेला प्रशासन के पास उपलब्ध कुंभ मेला संबंधी रिकार्ड में भी केवल तेरह अखाड़ों का उल्लेख है. 2010 के हरिद्वार कुंभ में तत्कालीन अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज के समक्ष भी किन्नर अखाड़े के रूप में चौदहवां अखाड़ा गठित करने का प्रस्ताव आया था. लेकिन श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज ने परंपराओं का पालन करते हुए प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. बाबा हठयोगी ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि इस मामले को लेकर उनका दृष्टिकोण बिल्कुल स्पष्ट व सराहनीय है.

श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज पारदर्शिता रखते हुए बिना किसी भेदभाव के और कोई नया विवाद उत्पन्न ना हो इसके लिए प्रयास कर रहे हैं. श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज परंपराओं के साथ हैं और परंपराओं को पथभ्रष्ट नहीं होने देना चाहते हैं.

Last Updated : Jan 5, 2021, 3:53 PM IST
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