हरिद्वारः गंगा की अविरलता और निर्मलता की लड़ाई लड़ने वाली संस्था मातृ सदन ने एक बार फिर से अनशन कर दिया है. इस बार यह अनशन किसी नई मांग को लेकर नहीं है, बल्कि मातृ सदन की ओर से पूर्व में लड़े जा रहे विचाराधीन मामलों को लेकर किया जा रहा है. इन्हें लेकर स्वामी शिवानंद के शिष्य ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद अनशन पर बैठ गए हैं. वे स्वामी निगमानंद, स्वामी सानंद और साध्वी पद्मावती मामले की निष्पक्ष जांच व न्याय की मांग कर रहे हैं.
मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने कहा कि मातृ सदन के दर्जनों केस ऐसे हैं, जिन पर अभी तक सुनवाई भी शुरू नहीं हुई है. जिसके लिए मातृ सदन ने आज से अनशन शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि मातृ सदन हमेशा से ही अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहा है. जिसमें कई संत भी शहीद हो गए हैं. इनमें गंगा की अविरलता और निर्मलता की लड़ाई लड़ने वाले स्वामी निगमानंद और स्वामी सानंद प्रमुख हैं.
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स्वामी शिवानंद ने कहा कि उनके वाद भी न्यायालय में विचाराधीन हैं. जिन पर उनकी मांग है कि उनके सभी मामलों को संज्ञान में लेते हुए एसआईटी गठित की जाए. जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के जज की ओर से की जाए. साथ ही कहा कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती, तब तक आत्मबोधानंद का अनशन लगातार जारी रहेगा.
मातृ सदन की मांगेंः साल 2011 में स्वामी निगमानंद और 2018 में स्वामी सानंद की हत्या मामले की आगे की जांच के लिए नैनीताल हाईकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच दल का गठन हो. साथ ही सीबीआई की ओर से तत्काल मामले में आगे की कार्रवाई की जाए.
साल 2020 में साध्वी पद्मावती के साथ हुए घटनाक्रम की जांच के लिए एक महिला जांच अधिकारी के नेतृत्व में विशेष जांच दल का गठित किया जाए और तत्काल इसमें कार्रवाई की जाए. इसके अलावा जिला न्यायालय हरिद्वार में मातृ सदन के जितने भी मुकदमे लंबित हैं, उन पर एक विशेष पैनल बनाकर तत्काल सुनवाई हो.
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गंगा को लेकर सरकार की ओर से मातृ सदन को जितने भी आश्वासन दिए गए हैं, जिनमें 9 अक्टूबर 2018, 1 अक्टूबर 2019, 2 सितंबर 2020 और 1 अप्रैल 2021 के पत्र शामिल हैं. उन्हें धरातल पर लागू किया जाए. जल शक्ति राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया की ओर से राज्य सभा में 31 जुलाई 2019 को मातृ सदन को दिए गए सारे आश्वासनों को प्रशासन तत्काल लागू करें.
वहीं, उन्होंने आरोप लगाया कि हरिद्वार में बीते कुछ सालों में राजनेताओं, पुलिस, प्रशासन और जिला न्यायालय के कुछ जज एवं मजिस्ट्रेट का गठजोड़ हो गया है. उसके लिए केंद्र सरकार तत्काल एक पैनल बनाकर इनके खिलाफ जांच बैठाए. उन्होंने भगवान दास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. निरंजन मिश्रा की गिरफ्तारी को मिलीभगत का परिणाम बताया है.