हरिद्वार: बॉलीवुड एक्टर कंगना रनौत (Kangana Ranaut) के 'भीख में आजादी' वाले बयान पर सियासी घमासान मचा हुआ है. वहीं, उत्तराखंड के भाजपा प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम कंगना रनौत के बयान पर बचाव करते नजर आए. उन्होंने कहा कि, कंगना ने जो बयान दिया उसमें उन्होंने 1947 की आजादी और वर्तमान की आजादी की तुलना की है. हालांकि, उन्हें ऐसा करना नहीं चाहिए था. ऐसा बयान देने से बचना चाहिए था. यह कहना बिल्कुल गलत है कि आजादी भीख में मिली. आजादी बहुत मुश्किल से और हमारे महापुरुषों द्वारा कुर्बानी देने से मिली है.
आजादी में केवल गांधी परिवार का हाथ नहीं: उन्होंने कहा कि, ये देश का दुर्भाग्य रहा है कि 1947 में देश आजाद हुआ और आजादी एक ऐसे व्यक्ति के हाथों में पड़ गई जिसकी जिद के कारण देश को टुकड़ों में बंटना पड़ा. केवल विभाजन ही नहीं बल्कि 10 लाख से ज्यादा लोगों का कत्ल भी हुआ, शहादत भी हुई, इसमें बहुत से क्रांतिकारी और उनके परिवार के लोग भी थे. एक प्रधानमंत्री बनाने के लिए भारत के टुकड़े किए गये.
उन्होंने आगे कहा कि, जिन्होंने आजादी दिलाई उनका वो सम्मान करते हैं. देश की आजादी में केवल गांधी परिवार का ही हाथ नहीं है, इसमें सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह आदि कई हजारों स्वतंत्रता सेनानियों का भी हाथ रहा है. अबतक ऐसा दर्शाया गया कि एक खानदान नहीं होता तो आजादी नहीं मिलती. इन्होंने आजादी के बाद देश के टुकड़े करा दिये, वो भी हमको याद रखना चाहिए.
बयान को सही से समझा नहीं पाईं कंगना: हरिद्वार पहुंचे दुष्यंत गौतम ने कहा कि कंगना रनौत द्वारा जो बयान दिया गया वो अपने बयान को सही से एक्सप्लेन नहीं कर पाईं. वह भी मानते हैं कि 1947 के बाद जो प्रधानमंत्री मिले और जो प्रधानमंत्री 2014 में मिला अगर उसकी तुलना की जाए तो 2014 के बाद की स्थितियां काफी अच्छी दिखाई देती हैं, जिसमें युवाओं को रोजगार, बुजुर्गों को सम्मान और बहन-बेटियों की रक्षा होती दिखाई दे रही है. उन्होंने कहा कि आजादी भीख में नहीं बल्कि महापुरुषों के बलिदान से मिली है.उन्होंने कहा कि कंगना ने किस संदर्भ में यह बयान दिया, उसके बारे में वो नहीं कह सकते.
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दुष्यंत गौतम ने कहा कि आजादी का मतलब किसी एक परिवार से नहीं है बल्कि सुभाष चंद्र बोस सहित तमाम वह शहीद हैं, जो देश की खातिर अपने प्राणों की परवाह किए बगैर घर से निकल गए. बहरहाल, दुष्यंत गौतम कुछ भी कहना चाहते हों, लेकिन इतना जरूर है कि उन्हें कंगना रनौत के इस बयान से कुछ भी गलत नहीं लगता और बीजेपी ने एक तरह से कंगना का समर्थन कर दिया है.
देश की आजादी को लेकर कंगना का बयान: गौर हो कि कंगना रनौत ने गुरुवार को एक निजी कार्यक्रम में यह कहकर विवाद पैदा कर दिया था कि भारत को वास्तविक आजादी साल 2014 में तब मिली जब नरेंद्र मोदी के सरकार नेतृत्व में आई. उन्होंने साल 1947 में देश को मिली आजादी को 'भीख' करार दिया. उनके इस बयान के बाद विवाद शुरू हो गया है. कई पार्टी नेताओं ने एकसुर में कंगना रनौत का विरोध करना शुरू कर दिया है. सभी नेताओं ने राष्ट्रपति और सरकार से पद्मश्री अवॉर्ड वापस लेने की मांग की है.
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दो दिन पहले दिए कंगना रनौत के इस इंटरव्यू के बाद देश का एक बड़ा हिस्सा उनके विरोध में खड़ा हो गया है. लोग कह कर रहे हैं कि आखिरकार कंगना रानौत ने किस वजह से देश की आजादी को भीख में मिली आजादी बता दिया, कंगना कैसे भूल गईं कि आजादी के लिए देश के कितने सेनानियों ने अपना जीवन बलिदान दिया तब जाकर एक खूबसूरत भारत का निर्माण हुआ. कंगना कैसे भूल गईं कि जिस आजाद भारत में रहकर उन्हें देश के करोड़ों लोगों ने सिर-आंखों पर बिठाया वो लोग अखंड भारत का हिस्सा हैं. कंगना कैसे भूल गईं कि उनकी जुबान से निकला एक-एक शब्द करोड़ों देशवासियों की भावनाओं को आहत कर सकता है.
कंगना के इस बयान का न केवल विरोध हुआ बल्कि देश के कई हिस्सों में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया है. हालांकि, कंगना की तरफ से अब तक इस पर कोई सफाई नहीं आई है लेकिन बीजेपी के बड़े नेता दुष्यंत गौतम ने साफ कह दिया है कि कंगना जो कहना चाहती थी उसको सही ढंग से नहीं कह पाईं.