हरिद्वार: गुरुकुल महाविद्यालय को लेकर चल रही लड़ाई के बीच आज किसान यूनियन टिकैत ने एंट्री की है. दरअसल किसान यूनियन टिकैत ने अपना कार्यालय गुरुकुल महाविद्यालय में खोल दिया है. जिसका आज विधिवत रूप से गुरुकुल बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष योगाचार्य कर्मवीर ने उद्घाटन किया है. 1907 में स्वामी दर्शनानंद द्वारा आर्य समाज के सिद्धांतों पर आधारित गुरुकुल कांगड़ी के नजदीक ही गुरुकुल महाविद्यालय की स्थापना की गई थी. कभी 1 रुपये के दान और एक छात्र से शुरू हुए महाविद्यालय की करीब 350 बीघा जमीन आज खुद महाविद्यालय के लिए अभिशापित होती नजर आ रही है.
गुरुकुल महाविद्यालय की कीमती जमीन पर नजर: दरअसल महाविद्यालय जिस जगह स्थित है, वह आज नेशनल हाईवे से सटा होने के कारण उनकी जमीन की कीमत लाखों-करोड़ों में नहीं, कई सौ करोड़ों में है. जिसके चलते पिछले वर्षो में संस्था के दो गुटों में संस्था पर आधिपत्य को लेकर संघर्ष हो रहा है. एक पक्ष जो महाविद्यालय पर काबिज है, उसने दूसरे पक्ष पर आरोप लगाया था कि वह योग गुरु के साथ मिलकर इस आर्य समाज की संस्था को समाप्त करना चाहते हैं.
सीएम और राज्यपाल से मिलेंगे आचार्य कर्मवीर: आचार्य कर्मवीर ने कहा कि गुरुकुल को बचाने के लिए एक बड़े आंदोलन की आवश्यकता है. जिसके लिए मैं सभी से यही अनुरोध करना चाहूंगा कि अगर आज हम गुरुकुल के लिए नहीं खड़े हुए, तो गुरुकुल नहीं बच पाएगा. हम जल्द एक मीटिंग करके निर्णय लेंगे कि आगे की रूपरेखा इस लड़ाई की क्या रहेगी. उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा मुख्यमंत्री और उत्तराखंड के राज्यपाल दोनों से बैठकर वार्तालाप की जाएगी और इस गुरुकुल को बचाया जाएगा. अगर इस गुरुकुल को बचाने के लिए एक बड़ा आंदोलन भी हमें करना पड़ा तो हम उसमें भी पीछे नहीं हटेंगे.
गुरुकुल महाविद्यालय में खुला भाकियू का कार्यालय: भारतीय किसान यूनियन के गढ़वाल मंडल के अध्यक्ष संजय चौधरी ने कहा कि आज गुरुकुल महाविद्यालय में विधिवत रूप से हमने कार्यालय का उद्घाटन कर दिया है. अब भारतीय किसान यूनियन इस महाविद्यालय की सभी गतिविधियों पर निगरानी रखेगा. उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में भारतीय किसान यूनियन का कार्यालय खोलने का उद्देश्य भी यही है कि इस जमीन पर जिन लोगों की निगाह बनी हुई है, वो अब अपनी निगाह हटा लें, क्योंकि अब भारतीय किसान यूनियन ने इस महाविद्यालय को बचाने का बीड़ा उठा लिया है.
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बता दें कि गुरुकुल महाविद्यालय की सैकड़ों बीघा की संपत्ति को लेकर चली आ रही दो गुटों की लड़ाई में अब बड़े योगपीठ का नाम भी शामिल हो गया है. महाविद्यालय के एक धड़े ने योगपीठ के साथ इस संपत्ति का एकीकरण करने का प्रस्ताव दिया है. सूत्रों की मानें तो योगपीठ में 14 मई को उस गुट की अंतरंग सभा की बैठक हुई थी. जिसको लेकर महाविद्यालय में सक्रिय गुट ने इसका विरोध किया है.
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