हरिद्वार: 2021 में आयोजित होने वाले हरिद्वार महाकुंभ को लेकर पुलिस-प्रशासन जोर-शोर से तैयारी में जुटा हुआ है. पुराने हादसों से सबक लेते हुए पुल आदि का निर्माण कराया जा रहा है. हरिद्वार में पहले ही भी गंगा पर बने पुल के कारण कई बड़े हादसे हो चुके हैं. जिनमें कई लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. इस बार ऐसा कुछ न हो इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है.
कुंभ मेले के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचेंगे, जहां उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. कुंभ मेले के दौरान हरकी पैड़ी के आसपास कई पुल बनाए जाते हैं. जिन पर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आवाजाही करेंगे. पहले भी इन पुलों पर हादसे हो चुके हैं. कितने ही लोगों ने अपनी जान भी गंवा चुके हैं.
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स्थानीय निवासी कैलाश केसवानी के मुताबिक हरिद्वार में जिस तरह से लगातार श्रद्धालु की संख्या बढ़ रही है उसको देखते हुए पुलों की कैपेसिटी बढ़ाने की जरूरत है. साथ ही जर्जर अवस्था में पड़े पुलों का निर्माण भी सही तरीके से होना चाहिए. ताकि भीड़ के दौरान यहां कोई बड़ा हादसा न हो.
हरिद्वार में पुलों पर हुए हादसे
- 1986 के कुंभ में तीन प्रदेशों के मुख्यमंत्री के आने की वजह से पुल पर बैरिकेड लगा दिए गए थे, जिससे वहां भीड़ इकट्ठा हो गई थी. इसकी वजह से वहां बड़ा हादसा हो गया था.
- उसके बाद 1996 में सोमवती अमावस्या पर गऊघाट पुल के ऊपर हादसा हुआ था. यहां पर भगदड़ मच गई थी.
- इसके बाद 2010 के कुंभ में भी ललतारा पुल पर एक बड़ा हादसा हुआ था. पुल की रेलिंग काफी कमजोर होने के कारण टूट गई थी. इस हादसे में भी कई लोगों की जान जली गई थी.
यहीं कारण है इन हादसों से सबक लेते हुए प्रशासन इस बार पुलों को लेकर नई रूप रेखा तैयार की है. कुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल ने कहा कि पहले जितने भी हादसे हुए हैं उनका अध्ययन किया गया है. जिन कमियों की वजह से हादसे हुए थे उन्हें इस बार दूर किया जाएगा. ट्रैफिक को नियंत्रण करने के साथ कैसे डायवर्जन किया जाएगा, इसका फाइनल स्वरूप तैयार कर लिया गया है. पुल की कितनी क्षमता है उसका भी आकलन किया जा रहा है.