हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार एक पौराणिक और धार्मिक नगरी है, जहां भारी संख्या में श्रद्धालु घूमने और मंदिरों के दर्शन करने पहुंचते हैं. वही, हरिद्वार में धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार मृतकों का अस्थि विसर्जन तीर्थ पुरोहित द्वारा मोक्ष दायिनी मां गंगा में कराया जाता है. यह धार्मिक कर्मकांड देश में कोरोना आपदा के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से 23 मार्च से बंद था. जिसके बाद राज्य सरकार की अनुमति मिलने पर आज से हर की पैड़ी में अस्थियों का विसर्जन शुरू हो गया है.
आपको बता दे कि धार्मिक गरुड़ पुराण के अनुसार, मोक्षदायिनी मा गंगा में अस्थि विसर्जन करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगीरथ ही मा गंगा को धरती पर अपने पूर्वज राजा सकर के साठ हजार पुत्रो का उद्धार करने के लिए भगवान शिव की जटाओं से धरती पर लाए थे. उसी समय से ही गंगा में अस्थि विसर्जन और कर्मकांड करने की धार्मिक रीति चली आ रही है. ऐसा पहली बार देखने को मिला कि 45 दिन तक अस्थियों का विसर्जन मां गंगा में नहीं हुआ.
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अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीकांत वशिष्ठ का कहना है कि जब 23 मार्च को लॉकडाउन हुआ तो, उसके बाद अनुमति लेकर हरिद्वार अस्थि विसर्जन करने आ रहे लोगो को पुलिस द्वारा हरिद्वार बॉर्डर पर ही रोक दिया गया था. इनसे शुक्रताल और गढ़मुक्तेश्वर में अस्थि विसर्जन के लिए कहा जाने लगा, जबकि मृतक का अस्थि विसर्जन 10 दिन के भीतर हो जाना चाहिए. जिसमें विलंब हो रहा था. इसको लेकर हमारे द्वारा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से हरिद्वार में अस्थि विसर्जन करने की मांग की गई थी. इसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री द्वारा कैबिनट बैठक में हरिद्वार में अस्थि विसर्जन के लिए अनुमति दी गई. इसके लिए हम मुख्यमंत्री के आभारी है.