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उत्तराखंड: मिट्टी के बर्तनों का बढ़ रहा क्रेज, ईको फ्रेंडली होने के साथ बीमारियों को रखते हैं दूर

वृंदावन की रहने वाली अंजली अग्रवाल हरिद्वार के हरिपुर कला क्षेत्र में मिट्टी के बर्तनों का कारोबार कर रही हैं. वे बताती हैं कि ये बर्तन इको फ्रेंडली होने के साथ ही बीमारियों से भी दूर रखते हैं.

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विलुप्त होते मिट्टी के बर्तनों की ओर खींचे जा रहे लोग
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Published : Oct 23, 2020, 6:39 PM IST

हरिद्वार: पुराने जमाने में मिट्टी के बर्तन काफी खास हुआ करते थे. मिट्टी के बर्तनों में बना भोजन स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था. आज धीरे-धीरे मिट्टी के बर्तन और इन्हे बनाने की कला खत्म होती जा रहा है. चकाचौंध भरी जिंदगी में लोग अपनी पुरानी सभ्यता को भूलते हुए आधुनिक बर्तनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. मगर धर्म नगरी हरिद्वार में इन दिनों भी मिट्टी के बने बर्तन जैसे कुकर, प्लेट चम्मच, कटोरी आदि स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. स्थानीय लोग इन मिट्टी के बने बर्तनों को लेकर काफी उत्साह हैं. हरिद्वार के हरिपुर कला क्षेत्र में मिट्टी के बर्तन आसानी से मिल जाते हैं. इन बर्तनों को गुजरात से हरिद्वार लाकर यहां बेचा जा रहा है. हालांकि इन मिट्टी के बर्तनों की कीमत थोड़ी ज्यादा है, मगर लोहे, एल्मुनियम, स्टील के बर्तनों के विपरीत इन मिट्टी के बर्तनों की उपयोगिता ज्यादा है.

विलुप्त होते मिट्टी के बर्तनों की ओर खींचे जा रहे लोग

इको फ्रेंडली मिट्टी के बर्तनों को हरिद्वार में लोगों तक पहुंचाने वाली अंजली अग्रवाल ने बताया कि वे वृंदावन की रहने वाली हैं, उन्हें बचपन से ही पुरानी चीजों से काफी लगाव रहा है. पुराने मिट्टी के बर्तनों को देख उन्होंने इन्हें एक बार फिर से इस्तेमाल में लाने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि मिट्टी के बर्तनों के इस्तेमाल से कई बीमारियों से बचा जा सकता है. अंजलि बताती हैं कि इन बर्तनों को बनाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है, इसकी वजह से बर्तनों की कीमत थोड़ी बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि मिट्टी के बर्तनों को लेकर लोगों में काफी अच्छी प्रतिक्रिया आ रही है. इन मिट्टी के बर्तनों को माइक्रोवेव में भी उपयोग किया जा सकता है. मिट्टी के बर्तनों का सभी सामान हमारे पास मिलताे हैं.

पढ़ें- हंसी प्रहरी को मेयर अनिता शर्मा ने निवास देने का दिया भरोसा

वहीं, मिट्टी के बर्तन खरीदने को लेकर भी लोग काफी उत्साहित नजर आते हैं. बर्तन खरीदने पहुंचे मनोज शर्मा का कहना है कि पुराने समय में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता था. नए जमाने में नए अविष्कारों में मिट्टी के बर्तन कई लुप्त हो गए हैं. आज के समय में एक आम व्यक्ति जबसे अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और संवेदनशील हुआ है तब से वह अपनी प्राचीन सभ्यता की ओर वापस लौटा है. पहले लोग मिट्टी के घड़ों का पानी पिया करते थे. बीमारियों के कारण अब लोग मिट्टी के बर्तनों का उपयोग अपनी दिनचर्या में करने लगे हैं. हमारे घरों में लोहे स्टील एल्मुनियम आदि धातुओं से बने बर्तन हैं. जिसका हम उपयोग करते हैं. रोजमर्रा इन धातुओं के इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियां होती हैं. इसलिए हम मिट्टी के बने बर्तनों को लेने आए हैं ताकि बीमारियों से बचा जा सके और हम अपनी प्राचीन सभ्यता में वापस लौट सके.

पढ़ें- पीएम का शुभेच्छा संदेश- आत्मनिर्भर भारत से पूरा करना है सोनार बांग्ला का संकल्प

मिट्टी के बर्तन खरीदने पहुंचे एक और ग्राहक मनीष का कहना है कि वह पहली बार अपने जीवन में इस तरह के मिट्टी के बर्तन देख रहे हैं. मिट्टी के बर्तनों को देख कर काफी अच्छा लग रहा है. आज तक हमने मिट्टी के बर्तनों में खाना नहीं खाया. हमारा भी मन है कि हम मिट्टी के बने बर्तनों में खाना खाए, प्राचीन समय में इन मिट्टी के बर्तनों का काफी उपयोग होता था मगर आज के समय में स्टील और लोहे के बर्तनों का उपयोग किया जा रहा है. इन बर्तनों में मिट्टी के गिलास, मिट्टी का प्रेशर कुकर, मिट्टी की बोतल आदि सभी समान हैं.

पढ़ें- रुड़की: संदिग्ध परिस्थितियों में महिला की मौत, परिजन कुट्टू के आटे को बता रहे वजह

बदलते माहौल, वातावरण के कारण आज लोग ज्यादा बीमार पड़ने लगे हैं. हमारा खान-पान और तरीके भी कहीं न कहीं इसकी एक बड़ी वजह हैं. यही कारण है कि लोग अब अलग-अलग तरीकों से पुरानी जीवन पद्धति को नये तीरके से इस्तेमाल कर रहे हैं. मिट्टी के बर्तनों में खाना, योग, और बहुत से ऐसे काम हैं जो आज के आधुनिक युग में बड़ी जोर शोर से अपनाया जा रहा है.

हरिद्वार: पुराने जमाने में मिट्टी के बर्तन काफी खास हुआ करते थे. मिट्टी के बर्तनों में बना भोजन स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था. आज धीरे-धीरे मिट्टी के बर्तन और इन्हे बनाने की कला खत्म होती जा रहा है. चकाचौंध भरी जिंदगी में लोग अपनी पुरानी सभ्यता को भूलते हुए आधुनिक बर्तनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. मगर धर्म नगरी हरिद्वार में इन दिनों भी मिट्टी के बने बर्तन जैसे कुकर, प्लेट चम्मच, कटोरी आदि स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. स्थानीय लोग इन मिट्टी के बने बर्तनों को लेकर काफी उत्साह हैं. हरिद्वार के हरिपुर कला क्षेत्र में मिट्टी के बर्तन आसानी से मिल जाते हैं. इन बर्तनों को गुजरात से हरिद्वार लाकर यहां बेचा जा रहा है. हालांकि इन मिट्टी के बर्तनों की कीमत थोड़ी ज्यादा है, मगर लोहे, एल्मुनियम, स्टील के बर्तनों के विपरीत इन मिट्टी के बर्तनों की उपयोगिता ज्यादा है.

विलुप्त होते मिट्टी के बर्तनों की ओर खींचे जा रहे लोग

इको फ्रेंडली मिट्टी के बर्तनों को हरिद्वार में लोगों तक पहुंचाने वाली अंजली अग्रवाल ने बताया कि वे वृंदावन की रहने वाली हैं, उन्हें बचपन से ही पुरानी चीजों से काफी लगाव रहा है. पुराने मिट्टी के बर्तनों को देख उन्होंने इन्हें एक बार फिर से इस्तेमाल में लाने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि मिट्टी के बर्तनों के इस्तेमाल से कई बीमारियों से बचा जा सकता है. अंजलि बताती हैं कि इन बर्तनों को बनाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है, इसकी वजह से बर्तनों की कीमत थोड़ी बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि मिट्टी के बर्तनों को लेकर लोगों में काफी अच्छी प्रतिक्रिया आ रही है. इन मिट्टी के बर्तनों को माइक्रोवेव में भी उपयोग किया जा सकता है. मिट्टी के बर्तनों का सभी सामान हमारे पास मिलताे हैं.

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वहीं, मिट्टी के बर्तन खरीदने को लेकर भी लोग काफी उत्साहित नजर आते हैं. बर्तन खरीदने पहुंचे मनोज शर्मा का कहना है कि पुराने समय में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता था. नए जमाने में नए अविष्कारों में मिट्टी के बर्तन कई लुप्त हो गए हैं. आज के समय में एक आम व्यक्ति जबसे अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और संवेदनशील हुआ है तब से वह अपनी प्राचीन सभ्यता की ओर वापस लौटा है. पहले लोग मिट्टी के घड़ों का पानी पिया करते थे. बीमारियों के कारण अब लोग मिट्टी के बर्तनों का उपयोग अपनी दिनचर्या में करने लगे हैं. हमारे घरों में लोहे स्टील एल्मुनियम आदि धातुओं से बने बर्तन हैं. जिसका हम उपयोग करते हैं. रोजमर्रा इन धातुओं के इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियां होती हैं. इसलिए हम मिट्टी के बने बर्तनों को लेने आए हैं ताकि बीमारियों से बचा जा सके और हम अपनी प्राचीन सभ्यता में वापस लौट सके.

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मिट्टी के बर्तन खरीदने पहुंचे एक और ग्राहक मनीष का कहना है कि वह पहली बार अपने जीवन में इस तरह के मिट्टी के बर्तन देख रहे हैं. मिट्टी के बर्तनों को देख कर काफी अच्छा लग रहा है. आज तक हमने मिट्टी के बर्तनों में खाना नहीं खाया. हमारा भी मन है कि हम मिट्टी के बने बर्तनों में खाना खाए, प्राचीन समय में इन मिट्टी के बर्तनों का काफी उपयोग होता था मगर आज के समय में स्टील और लोहे के बर्तनों का उपयोग किया जा रहा है. इन बर्तनों में मिट्टी के गिलास, मिट्टी का प्रेशर कुकर, मिट्टी की बोतल आदि सभी समान हैं.

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बदलते माहौल, वातावरण के कारण आज लोग ज्यादा बीमार पड़ने लगे हैं. हमारा खान-पान और तरीके भी कहीं न कहीं इसकी एक बड़ी वजह हैं. यही कारण है कि लोग अब अलग-अलग तरीकों से पुरानी जीवन पद्धति को नये तीरके से इस्तेमाल कर रहे हैं. मिट्टी के बर्तनों में खाना, योग, और बहुत से ऐसे काम हैं जो आज के आधुनिक युग में बड़ी जोर शोर से अपनाया जा रहा है.

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