हरिद्वार: कोरोना और महामारी के कारण हर वर्ग के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इन दिनों उपजे हालातों ने जन-जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है. वहीं इस नाजुक दौर ने राज्य सरकारों द्वारा आम नागरिकों को दी जाने वाली सुविधाओं की भी पोल खोलकर रख दी है. इस दौर में जब हर राज्य की सरकार अपने प्रदेशवासियों को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए ये सरकारी दावे कोरे हैं.
बीते कई दिनों से उत्तराखंड के देहरादून में हरदोई(उत्तरप्रदेश) के रहने वाले कई लोग फंसे हैं. मगर महीने बीत जाने के बाद भी अब तक किसी ने इनकी सुध नहीं ली है. हां, राज्य सरकार के 'घर वापसी' और तमाम दावे इनके कानों तक जरुर पहुंचे. जिससे इन्हें कुछ समय के सुकून के अलावा कुछ नहीं मिला. लंबे इंतजार के बाद भी न इन तक कोई मदद पहुंची और न ही कोई सरकार, नतीजा इन लोगों ने 'आत्मनिर्भर' होकर खुद ही घर वापसी का विचार बनाया.
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ये लोग लगातार कड़ी धूप में देहरादून से हरदोई के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं. इनके साथ कई छोटे बच्चे भी हैं. जो कभी गर्मी से परेशान होते हैं तो कभी भूख से बिलबिलाते हैं. मगर फिर भी तमाम परेशानियों को दरकिनार कर ये लोग लगातार अपनी मंजिल की ओर बढ़े जा रहे हैं. जब इन लोगों से इनकी मजबूरी और परेशानियों के बारे में पूछा गया तो इन्होंन जो भी कहा वह सच में दिल को झकझोर देने वाला था. उन लोगों ने कहा इस नाजुक दौर में बेरहमी मकान मालिक ने उन्हें घर से निकाल दिया. अब ऐसे में इस पराये में शहर में रोजी का सहारा था, वो तो है नहीं, अब किसके लिए यहां रुकें. जिसके कारण उन्हें मजबूरन अपने गांव हरदोई जाना पड़ रहा है.
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पैदल चल रहे राम का कहना है मकान मालिक के कारण उन्हें अपने गाँव हरदोई जाना पड़ रहा है. मकान मालिक ने उन्हे पहले बिना बताए ही कमरा खाली करने को कह दिया. उसके बाद लॉकडाउन में गुजर सबर करने के लिए जो पैसे बचे भी थे उसे भी मकान मालिक ने ले लिया. जिसके कारण उनके सामने अब रोजी से ज्यादा रोटी का संकट खड़ा हो गया था, नतीजा अब उन्होंने बिना सरकारी मदद के घर जाने का फैसला किया है.