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मुख्यमंत्री के निर्देश पर संतों को भूमि आवंटन, 20 मार्च को होगा भूमि पूजन

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Published : Mar 18, 2021, 8:15 PM IST

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा बैरागी अखाड़ों और शंकराचार्य को भूमि आवंटन नहीं की गई थी, जिससे साधु-संतों में उनके खिलाफ काफी नाराजगी देखने को मिल रही थी. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा भूमि आवंटन के आदेश के बाद अब भूमि आवंटन का कार्य शुरू हो गया है.

शंकराचार्य को भूमि आवंटन के निर्देश
शंकराचार्य को भूमि आवंटन के निर्देश

हरिद्वार: उत्तराखंड सरकार द्वारा शंकराचार्य को भूमि आवंटन के निर्देश देने के बाद कुंभ मेला प्रशासन हरकत में आया है. मेला प्रशासन ने शंकराचार्य को भूमि आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. कुंभ मेले के अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह ने शंकराचार्य स्वरूपानंद के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद से की मुलाकात की और शंकराचार्य को दी जाने वाली व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा की गई.

8 अप्रैल को शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती भव्य रुप से नगर प्रवेश करेंगे और 20 मार्च को शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा मेला प्रशासन द्वारा दी गई भूमि का भूमि पूजन किया जाएगा. बता दें कि कुंभ मेले में साधु संत और शंकराचार्य पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से काफी नाराज थे. क्योंकि उनके द्वारा कुंभ मेले में साधु-संतों को भूमि आवंटन नहीं की गई थी, संतों की नाराजगी को नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा कुछ हद तक कम किया गया है. क्योंकि तीरथ सिंह रावत ने बैरागी अखाड़ों और शंकराचार्य को भूमि आवंटन करने के आदेश दिए हैं.

मुख्यमंत्री के निर्देश पर संतों को भूमि आवंटन.

अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह का कहना है कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात की. मुख्यमंत्री के निर्देश पर शंकराचार्य को भूमि का आवंटन किया गया है. जो कुंभ मेले में इनको सुविधाएं देनी है, उसका पत्र मुझे दिया गया है. 8 अप्रैल को शंकराचार्य स्वरूपानंद नगर प्रवेश करेगें उसका मार्ग और समय को लेकर चर्चा की गई है. 20 मार्च को अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा भूमि पूजन किया जाएगा. बैरागी अखाड़ों को दी जाने वाली भूमि का मेला अधिकारी और आईजी द्वारा निरीक्षण किया गया है और कई टीमें इस कार्य में लगी है.

ये भी पढ़ें: CM के विवादित बयान पर कांग्रेस ने बोला हल्ला, जगह-जगह पुतला फूंककर जताया विरोध

वही, शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि हरिद्वार में महाकुंभ शुरू हो गया है. मेला प्रशासन द्वारा शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के लिए भूमि का आवंटन कर दिया है. इसके बाद ही शंकराचार्य मध्य प्रदेश से रवाना भी हो गए और कई प्रदेशों का भ्रमण कर 6 अप्रैल को हरिद्वार पहुंचेंगे. 8 अप्रैल को उनका भव्य रूप से नगर प्रवेश कार्यक्रम होगा. उसके बाद ही वह कुंभ क्षेत्र में प्रवेश करेंगे. मेला प्रशासन द्वारा दी गई भूमि का भूमि पूजन हमारे द्वारा 20 मार्च को किया जाएगा और नगर प्रवेश यात्रा शंकराचार्य मठ से शुरू होकर चंद्राचार्य चौक परशुराम चौक शिव मूर्ति चौक हरकी पैड़ी से भीमगोड़ा होते हुए चंडी टापू में शंकराचार्य शिविर में पहुंचेगी.

अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने जन भावनाओं को समझा और सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी को हटाया. उन्होंने एक व्यवहारिक निर्णय लिया. क्योंकि जब कोरोना महामारी में बड़े आयोजन देश भर में हो सकते हैं तो कुंभ मेले पर क्यों पाबंदी लगाई गई थी. हम उनके द्वारा लिए गए निर्णय की सराहना करते हैं

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा कुंभ मेले को भव्य और दिव्य बनाने के लिए सभी पाबंदी को हटा दिया है इसको लेकर संत समाज में काफी खुशी का माहौल है. क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा बैरागी अखाड़ों और शंकराचार्य को भूमि आवंटन नहीं की गई थी, जिससे साधु-संतों में उनके खिलाफ काफी नाराजगी देखने को मिल रही थी. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा भूमि आवंटन के आदेश के बाद अब भूमि आवंटन का कार्य शुरू हो गया है, जिसको लेकर साधु संत मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का आभार व्यक्त कर रहे हैं.

हरिद्वार: उत्तराखंड सरकार द्वारा शंकराचार्य को भूमि आवंटन के निर्देश देने के बाद कुंभ मेला प्रशासन हरकत में आया है. मेला प्रशासन ने शंकराचार्य को भूमि आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. कुंभ मेले के अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह ने शंकराचार्य स्वरूपानंद के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद से की मुलाकात की और शंकराचार्य को दी जाने वाली व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा की गई.

8 अप्रैल को शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती भव्य रुप से नगर प्रवेश करेंगे और 20 मार्च को शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा मेला प्रशासन द्वारा दी गई भूमि का भूमि पूजन किया जाएगा. बता दें कि कुंभ मेले में साधु संत और शंकराचार्य पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से काफी नाराज थे. क्योंकि उनके द्वारा कुंभ मेले में साधु-संतों को भूमि आवंटन नहीं की गई थी, संतों की नाराजगी को नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा कुछ हद तक कम किया गया है. क्योंकि तीरथ सिंह रावत ने बैरागी अखाड़ों और शंकराचार्य को भूमि आवंटन करने के आदेश दिए हैं.

मुख्यमंत्री के निर्देश पर संतों को भूमि आवंटन.

अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह का कहना है कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात की. मुख्यमंत्री के निर्देश पर शंकराचार्य को भूमि का आवंटन किया गया है. जो कुंभ मेले में इनको सुविधाएं देनी है, उसका पत्र मुझे दिया गया है. 8 अप्रैल को शंकराचार्य स्वरूपानंद नगर प्रवेश करेगें उसका मार्ग और समय को लेकर चर्चा की गई है. 20 मार्च को अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा भूमि पूजन किया जाएगा. बैरागी अखाड़ों को दी जाने वाली भूमि का मेला अधिकारी और आईजी द्वारा निरीक्षण किया गया है और कई टीमें इस कार्य में लगी है.

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वही, शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि हरिद्वार में महाकुंभ शुरू हो गया है. मेला प्रशासन द्वारा शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के लिए भूमि का आवंटन कर दिया है. इसके बाद ही शंकराचार्य मध्य प्रदेश से रवाना भी हो गए और कई प्रदेशों का भ्रमण कर 6 अप्रैल को हरिद्वार पहुंचेंगे. 8 अप्रैल को उनका भव्य रूप से नगर प्रवेश कार्यक्रम होगा. उसके बाद ही वह कुंभ क्षेत्र में प्रवेश करेंगे. मेला प्रशासन द्वारा दी गई भूमि का भूमि पूजन हमारे द्वारा 20 मार्च को किया जाएगा और नगर प्रवेश यात्रा शंकराचार्य मठ से शुरू होकर चंद्राचार्य चौक परशुराम चौक शिव मूर्ति चौक हरकी पैड़ी से भीमगोड़ा होते हुए चंडी टापू में शंकराचार्य शिविर में पहुंचेगी.

अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने जन भावनाओं को समझा और सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी को हटाया. उन्होंने एक व्यवहारिक निर्णय लिया. क्योंकि जब कोरोना महामारी में बड़े आयोजन देश भर में हो सकते हैं तो कुंभ मेले पर क्यों पाबंदी लगाई गई थी. हम उनके द्वारा लिए गए निर्णय की सराहना करते हैं

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा कुंभ मेले को भव्य और दिव्य बनाने के लिए सभी पाबंदी को हटा दिया है इसको लेकर संत समाज में काफी खुशी का माहौल है. क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा बैरागी अखाड़ों और शंकराचार्य को भूमि आवंटन नहीं की गई थी, जिससे साधु-संतों में उनके खिलाफ काफी नाराजगी देखने को मिल रही थी. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा भूमि आवंटन के आदेश के बाद अब भूमि आवंटन का कार्य शुरू हो गया है, जिसको लेकर साधु संत मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का आभार व्यक्त कर रहे हैं.

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