हरिद्वार: कहते हैं सत्ता का नशा सिर चढ़कर बोलता है. प्रदेश सरकार को ये नशा सत्ता का नहीं, बल्कि शराब का चढ़ा लगता है. तभी तो लॉकडाउन के दौरान सरकार ने मंदिर-मठों को बंद रखने का आदेश दिया लेकिन शराब की दुकानों को एशेंनशियल सर्विस मानकर उन्हें खुले रखने का फरमान सुनाया है. वहीं, शिवरात्रि पर मंदिरों के बंद होने से भक्त मंदिर में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक नहीं कर पाए. जिसको लेकर कुछ साधु-संतों और भक्तों ने आपत्ति भी जताई है. उन्होंने कहना था कि एक तरफ सरकार ने मंदिर में प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंधित लगाया और दूसरी तरफ मधुशालाओं को खुला रखा है. आखिर सरकार करना क्या चाहती है?
हरिद्वार में भक्तों का कहना है कि जब सरकार शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दे सकती हैं तो मंदिर में क्या दिक्कत है. जैसे लोग शराब के लेने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे वैसे ही मंदिर में जलाभिषेक के दौरान भी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा सकता है. पुलिस-प्रशासन को मंदिर में भी पूरी व्यवस्था करना चाहिए थी.
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दूसरी तरफ साधु-संतों ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. महंत रूपेंद्र प्रकाश ने कहा कि सरकार ने कोरोना की चेन तोड़ने के लिए जो निर्णय लिए है उसका वे स्वागत करते है. लेकिन सरकार को जनमानस की भावनाओं को भी समझना चाहिए. शिवरात्रि और सोमवती अमावस्या हिंदुओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है. जिसे हिंदु बड़े ही उत्साह से मनाता है. सरकार ने मठ-मंदिरों को बंद करने के निर्देश तो दे दिए, लेकिन मधुशालाओं को खोलने की अनुमति क्यों दी? सरकार को कोरोना काल में सिर्फ अपना फायदा देख रही है.