हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में हुई जहरीली शराब कांड को अब 6 महीने से अधिक हो चुके हैं. एक और जहरीली शराब के सैंपल की रिपोर्ट आ गई है. शराब में स्प्रिट का ज्यादा उपयोग बताया गया है. वहीं आबकारी विभाग ने अपने छह महीनों में अवैध शराब और कच्ची शराब पर की गई कार्रवाई के आंकड़े सामने रखे है.
408 शराब माफिया पर मुकदमे दर्ज: आबकारी विभाग के अनुसार इन 6 महीनों में कुल 408 शराब तस्करों और शराब माफिया के खिलाफ मुकदमे दर्ज किये गए हैं. करीब 116,440 लीटर कच्ची शराब बनाने वाली लहन आबकारी विभाग द्वारा नष्ट की गयी है. इसी के साथ विदेशी, देसी और कच्ची शराब की अगर बात करें तो कुल 8673 लीटर अवैध शराब आबकारी विभाग द्वारा द्वारा पकड़ी गई है.
कच्ची शराब के खिलाफ जारी है अभियान: हरिद्वार के जिला आबकारी अधिकारी प्रभा शंकर मिश्रा ने बताया कि जहरीली शराब कांड के बाद से लगातार हमारे द्वारा कच्ची और अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई जारी है. हमारे आंकड़े हमारे द्वारा किए गए कार्य को दर्शाते हैं. इतना ही नहीं हमने इन 6 महीनों में कच्ची शराब और अवैध शराब के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाया. इस अभियान में हमें काफी सफलता मिली. इसी का परिणाम है कि पिछले 6 महीनों में देसी और विदेशी मदिरा की सेल में भी धर्मनगरी हरिद्वार में बढ़ोतरी देखने को मिली है.
आर्थिक क्षति पहुंचाकर शराब माफियाओं पर शिकंजा कस रहा है आबकारी विभाग: कच्ची शराब पर आबकारी विभाग शराब माफियाओं को आर्थिक क्षति पहुंचाकर शिकंजा कसने का कार्य कर रहा है. जिला आबकारी अधिकारी प्रभा शंकर मिश्रा ने बताया कि हमारे द्वारा शराब कच्ची शराब को लेकर लगातार शराब की भट्ठियों को तोड़ा जा रहा है. इसी के साथ हम कच्ची शराब बनाने के उपकरणों को भी नष्ट कर रहे हैं. ताकि शराब माफियाओं को आर्थिक क्षति पहुंचा सकें और यह कार्य हमारे द्वारा निरंतर चल रहा है.
मुखबिर तंत्र का ले रहा आबकारी विभाग सहारा: जिला आबकारी अधिकारी प्रभा शंकर मिश्रा ने बताया कि पहले की अपेक्षा हमारा मुखबिर तंत्र भी काफी मजबूत हो गया है. जब से हरिद्वार में जहरीली शराब कांड हुआ है, तब से लोग जागरूक हुए हैं. अब आलम यह है कि उन्हीं के द्वारा हमें सूचनाएं प्राप्त होती हैं और हम कार्रवाई करते हैं.
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आबकारी विभाग ने विशेष गांवों को कर रखा है चिन्हित: जिला आबकारी अधिकारी प्रभा शंकर मिश्रा ने बताया कि हमारे द्वारा कच्ची शराब बनाने वाले लक्सर के पास के गांवों को चिन्हित किया गया है. इन गांवों में कच्ची शराब बनाने का कार्य किया जाता है. इसी के साथ कुछ जंगल के ऐसे इलाके हैं, जहां पर शराब माफिया कच्ची शराब बनाने का कार्य करते हैं. उन्हें भी हमारे द्वारा चिन्हित कर लिया गया है.