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अहमद साबिर पाक की इबादत में बेशकीमती नजराना, अकीकतमंदों ने पेश किया सोने का ताज - Devotee presented Golden crown to Piran Kaliyar

सूफी संत हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक की दरगाह को लेकर लोगों में बड़ी आस्था है. यहीं कारण है कि यहां बड़ी दूर से दूर लोग आते है.

Piran Kaliyar in Roorkee
पेश किया सोने का ताज
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Published : Oct 9, 2020, 7:04 PM IST

रुड़की: पिरान कलियर में विश्व विख्यात सूफी संत हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक की दरगाह के प्रति लोगों की आस्था देखते ही बनती है. लोगों की दीवानगी का आलम ये है कि दरबार के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने से भी पीछे नहीं हटते. दरबार में चढ़ावे के रूप में सोना चांदी और अन्य बेशकीमती चीजों को दान किया जाता है. इसी वजह से साबिर पाक की दरगाह को उत्तराखंड की सबसे अधिक आय वाली दरगाह भी कहा जाता है.

गुरुवार को पंजाब के गुरदासपुर से आए अकीदतमंदों ने दरबार-ए-साबरी में हाजरी पेश की और बतौर नजराना सोने का मुकुट पेश किया. उन्होंने बताया करीब सवा पांच तोला के सोने का मुकुट दरबार में चढ़ाया.

पढ़ें- विधायक के बेटे पर लगा अपहरण का आरोप, देर रात कोतवाली में चला हाई वोल्टेज ड्रामा

अकीदतमंद अभिषेक मेहता ने कहा कि दरबार-ए-साबरी से उनकी गहरी आस्था है. यहां आकर उन्हें सुकून मिलता है. इसी दर की बदौलत वह इस मुकाम पर है, जो मिला है इसी दर से मिला है. इसीलिए दरबार के लिए उनका सब कुछ न्यौछावर है. इस दौरान उन्होंने दरबार शरीफ में अक़ीदत के लिए फूल-चादर भी पेश किए.

रुड़की: पिरान कलियर में विश्व विख्यात सूफी संत हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक की दरगाह के प्रति लोगों की आस्था देखते ही बनती है. लोगों की दीवानगी का आलम ये है कि दरबार के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने से भी पीछे नहीं हटते. दरबार में चढ़ावे के रूप में सोना चांदी और अन्य बेशकीमती चीजों को दान किया जाता है. इसी वजह से साबिर पाक की दरगाह को उत्तराखंड की सबसे अधिक आय वाली दरगाह भी कहा जाता है.

गुरुवार को पंजाब के गुरदासपुर से आए अकीदतमंदों ने दरबार-ए-साबरी में हाजरी पेश की और बतौर नजराना सोने का मुकुट पेश किया. उन्होंने बताया करीब सवा पांच तोला के सोने का मुकुट दरबार में चढ़ाया.

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अकीदतमंद अभिषेक मेहता ने कहा कि दरबार-ए-साबरी से उनकी गहरी आस्था है. यहां आकर उन्हें सुकून मिलता है. इसी दर की बदौलत वह इस मुकाम पर है, जो मिला है इसी दर से मिला है. इसीलिए दरबार के लिए उनका सब कुछ न्यौछावर है. इस दौरान उन्होंने दरबार शरीफ में अक़ीदत के लिए फूल-चादर भी पेश किए.

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