देहरादून: कुछ करने की इच्छा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता और न ही आपकी उम्र उस काम में रुकावट बनती है. इन लाइनों को बिहार के रहने वाले 19 साल के युवा वैज्ञानिक गोपाल ने सार्थक साबित कर दिया है. क्या आपने कभी केले के तने से बिजली बनाने का कारनामा सुना है. लेकिन, इस युवा वैज्ञानिक गोपाल ने 13 साल की उम्र में ही ये आयाम हासिल कर इसको सच कर दिखाया था. इस समय गोपाल देहरादून स्थित ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में शोध कर रहे हैं. इस युवा वैज्ञानिक को अबतक नासा और दुनिया की कई बड़ी संस्थाएं शोध के लिए आमंत्रित कर चुकी हैं.
राजधानी के निजी विश्वविद्यालय में शोध कर रहे युवा वैज्ञानिक गोपाल इन दिनों चार प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. महज 13 साल की उम्र में ही गोपाल ने केले के तने से बिजली बनाने का आविष्कार कर दिया था. अभी गोपाल फिलहाल 19 साल के हैं और अपने दो अविष्कार पेटेंट करवा चुके हैं. इसमें बनाना बायो सेल और पेपर बायो सेल शामिल हैं.
आम भाषा में कहें तो इन्होंने केले के तने और वेस्ट पेपर से बिजली बनाने का कारनामा कर दिखाया है. गोपाल के इन अविष्कार के बाद ऑक्सफोर्ड, न्यू जर्सी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी समेत चीन, जापान और दूसरे देशों की बड़ी संस्थाओं से उन्हें शोध के लिए बुलावा भेजा गया है. यही नहीं, नासा भी 2 बार उन्हें आमंत्रित कर चुका है, जबकि व्हाइट हाउस से भी उन्हें अमेरिका में शोध के लिए बुलाया जा चुका है.
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युवा वैज्ञानिक गोपाल को उनके आविष्कार के लिए भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की तरफ से इंस्पायर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है. इसके साथ ही भारत की आई स्मार्ट कंपनी ने गोपाल को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया है. गोपाल इन दिनों ग्राफिक एरा की लैब में शोध कर रहे हैं, जहां वो गोपोनीयम ऑयल जो सूर्य के अध्ययन से जुड़े विषय पर शोध कर रहे हैं. इसके अलावा गोपालास्का थ्योरी पर भी वे काम कर रहे हैं. ये थ्योरी न्यूक्लियर रेडिएशन कम करने को लेकर है.
इससे पहले गोपाल ने अहमदाबाद स्थित एनआईएफ संस्थान में 6 आविष्कार फाइल कर दिए हैं, इसमें जी स्टार पाउडर शामिल है जो डिफेंस के क्षेत्र में बेहद कारगर साबित हो सकता है. साथ ही हाइड्रो इलेक्ट्रिक बायो सेल जो आसमान से बिजली गिरने पर उसे स्टोर करने से जुड़ा शोध हैं.
गोपाल का सपना है कि वे शोध के लिए अपनी लैब स्थापित करें, जिसमें युवा शोधकर्ता उससे जुड़ सकें. दरअसल, गोपाल का वैज्ञानिक बनने का सफर बेहद मुश्किलों भरा रहा. गोपाल बिहार के भागलपुर स्थित ध्रुवगंज के रहने वाले हैं और उनके पिता प्रेम रंजन कुमार एक किसान हैं. गोपाल की दो बहनें और एक भाई हैं. बिहार में साल 2008 में आई बाढ़ ने गोपाल को वैज्ञानिक बना दिया. इस बार में गोपाल के पिता की केले की खेती पूरी तरह बर्बाद हो गई थी, जिसके बाद गोपाल ने बर्बाद हुए केले की फसल के उपयोग को लेकर सोचना शुरू कर दिया. यहीं से शुरू हुआ नन्हें गोपाल से युवा वैज्ञानिक गोपाल बनने का सफर.
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लैब के लिए उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात भी की. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सोशल मीडिया और पत्र के जरिए अपनी बात पहुंचाई लेकिन उनकी समस्या का हल नहीं निकला. इसके बाद दूसरे देशों से शोध के लिए आमंत्रण आने के बाद युवा वैज्ञानिक ने देश में ही रहकर शोध करने पर इच्छा जाहिर की.
वहीं, 2 अगस्त 2017 को पीएम नरेंद्र मोदी ने मुलाकात के बाद युवा वैज्ञानिक को अहमदाबाद स्थित NIF में शोध के लिए अनुमति मिल गई. इसके साथ ही वैज्ञानिक गोपाल अब तक कई विषयों पर शोध कर चुके हैं. इसके साथ ही कई विषयों में शोध जारी है.
कुछ करने की इच्छा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता और न ही आपकी उम्र उस काम में रुकावट बनती है. ये लाइनों को 19 साल के युवा वैज्ञानिक गोपाल ने सार्थक साबित कर दिया है.