ETV Bharat / state

केले के तने से बनाई थी बिजली, अब 'गोपालास्का थ्योरी' पर हो रहा काम, NASA-व्हाइट हाउस से मिल चुका है न्योता

देहरादून के ग्राफिक एरा में शोध कर रहे 19 वर्षीय बिहार के युवा वैज्ञानिक ने महज 13 साल की उम्र में ही केले के तने से बिजली बनाने का कारनामा कर दिखाया था. इसके साथ ही उन्होंने कई शोध भी किए हैं.

young scientist
युवा वैज्ञानिक गोपाल
author img

By

Published : Feb 3, 2020, 8:26 AM IST

Updated : Feb 3, 2020, 5:17 PM IST

देहरादून: कुछ करने की इच्छा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता और न ही आपकी उम्र उस काम में रुकावट बनती है. इन लाइनों को बिहार के रहने वाले 19 साल के युवा वैज्ञानिक गोपाल ने सार्थक साबित कर दिया है. क्या आपने कभी केले के तने से बिजली बनाने का कारनामा सुना है. लेकिन, इस युवा वैज्ञानिक गोपाल ने 13 साल की उम्र में ही ये आयाम हासिल कर इसको सच कर दिखाया था. इस समय गोपाल देहरादून स्थित ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में शोध कर रहे हैं. इस युवा वैज्ञानिक को अबतक नासा और दुनिया की कई बड़ी संस्थाएं शोध के लिए आमंत्रित कर चुकी हैं.

राजधानी के निजी विश्वविद्यालय में शोध कर रहे युवा वैज्ञानिक गोपाल इन दिनों चार प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. महज 13 साल की उम्र में ही गोपाल ने केले के तने से बिजली बनाने का आविष्कार कर दिया था. अभी गोपाल फिलहाल 19 साल के हैं और अपने दो अविष्कार पेटेंट करवा चुके हैं. इसमें बनाना बायो सेल और पेपर बायो सेल शामिल हैं.

युवा वैज्ञानिक गोपाल से खास बातचीत.

आम भाषा में कहें तो इन्होंने केले के तने और वेस्ट पेपर से बिजली बनाने का कारनामा कर दिखाया है. गोपाल के इन अविष्कार के बाद ऑक्सफोर्ड, न्यू जर्सी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी समेत चीन, जापान और दूसरे देशों की बड़ी संस्थाओं से उन्हें शोध के लिए बुलावा भेजा गया है. यही नहीं, नासा भी 2 बार उन्हें आमंत्रित कर चुका है, जबकि व्हाइट हाउस से भी उन्हें अमेरिका में शोध के लिए बुलाया जा चुका है.

ये भी पढ़ें: विधाता का नहीं कोई सानी, मिक्कू-बन्नी और स्कैली की प्रतिभा सभी ने मानी

युवा वैज्ञानिक गोपाल को उनके आविष्कार के लिए भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की तरफ से इंस्पायर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है. इसके साथ ही भारत की आई स्मार्ट कंपनी ने गोपाल को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया है. गोपाल इन दिनों ग्राफिक एरा की लैब में शोध कर रहे हैं, जहां वो गोपोनीयम ऑयल जो सूर्य के अध्ययन से जुड़े विषय पर शोध कर रहे हैं. इसके अलावा गोपालास्का थ्योरी पर भी वे काम कर रहे हैं. ये थ्योरी न्यूक्लियर रेडिएशन कम करने को लेकर है.

इससे पहले गोपाल ने अहमदाबाद स्थित एनआईएफ संस्थान में 6 आविष्कार फाइल कर दिए हैं, इसमें जी स्टार पाउडर शामिल है जो डिफेंस के क्षेत्र में बेहद कारगर साबित हो सकता है. साथ ही हाइड्रो इलेक्ट्रिक बायो सेल जो आसमान से बिजली गिरने पर उसे स्टोर करने से जुड़ा शोध हैं.

गोपाल का सपना है कि वे शोध के लिए अपनी लैब स्थापित करें, जिसमें युवा शोधकर्ता उससे जुड़ सकें. दरअसल, गोपाल का वैज्ञानिक बनने का सफर बेहद मुश्किलों भरा रहा. गोपाल बिहार के भागलपुर स्थित ध्रुवगंज के रहने वाले हैं और उनके पिता प्रेम रंजन कुमार एक किसान हैं. गोपाल की दो बहनें और एक भाई हैं. बिहार में साल 2008 में आई बाढ़ ने गोपाल को वैज्ञानिक बना दिया. इस बार में गोपाल के पिता की केले की खेती पूरी तरह बर्बाद हो गई थी, जिसके बाद गोपाल ने बर्बाद हुए केले की फसल के उपयोग को लेकर सोचना शुरू कर दिया. यहीं से शुरू हुआ नन्हें गोपाल से युवा वैज्ञानिक गोपाल बनने का सफर.

ये भी पढ़ें: अपनी लेखनी से युवाओं को राह दिखा रहा 'मित्र पुलिस' का ये जवान

लैब के लिए उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात भी की. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सोशल मीडिया और पत्र के जरिए अपनी बात पहुंचाई लेकिन उनकी समस्या का हल नहीं निकला. इसके बाद दूसरे देशों से शोध के लिए आमंत्रण आने के बाद युवा वैज्ञानिक ने देश में ही रहकर शोध करने पर इच्छा जाहिर की.

वहीं, 2 अगस्त 2017 को पीएम नरेंद्र मोदी ने मुलाकात के बाद युवा वैज्ञानिक को अहमदाबाद स्थित NIF में शोध के लिए अनुमति मिल गई. इसके साथ ही वैज्ञानिक गोपाल अब तक कई विषयों पर शोध कर चुके हैं. इसके साथ ही कई विषयों में शोध जारी है.

कुछ करने की इच्छा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता और न ही आपकी उम्र उस काम में रुकावट बनती है. ये लाइनों को 19 साल के युवा वैज्ञानिक गोपाल ने सार्थक साबित कर दिया है.

देहरादून: कुछ करने की इच्छा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता और न ही आपकी उम्र उस काम में रुकावट बनती है. इन लाइनों को बिहार के रहने वाले 19 साल के युवा वैज्ञानिक गोपाल ने सार्थक साबित कर दिया है. क्या आपने कभी केले के तने से बिजली बनाने का कारनामा सुना है. लेकिन, इस युवा वैज्ञानिक गोपाल ने 13 साल की उम्र में ही ये आयाम हासिल कर इसको सच कर दिखाया था. इस समय गोपाल देहरादून स्थित ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में शोध कर रहे हैं. इस युवा वैज्ञानिक को अबतक नासा और दुनिया की कई बड़ी संस्थाएं शोध के लिए आमंत्रित कर चुकी हैं.

राजधानी के निजी विश्वविद्यालय में शोध कर रहे युवा वैज्ञानिक गोपाल इन दिनों चार प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. महज 13 साल की उम्र में ही गोपाल ने केले के तने से बिजली बनाने का आविष्कार कर दिया था. अभी गोपाल फिलहाल 19 साल के हैं और अपने दो अविष्कार पेटेंट करवा चुके हैं. इसमें बनाना बायो सेल और पेपर बायो सेल शामिल हैं.

युवा वैज्ञानिक गोपाल से खास बातचीत.

आम भाषा में कहें तो इन्होंने केले के तने और वेस्ट पेपर से बिजली बनाने का कारनामा कर दिखाया है. गोपाल के इन अविष्कार के बाद ऑक्सफोर्ड, न्यू जर्सी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी समेत चीन, जापान और दूसरे देशों की बड़ी संस्थाओं से उन्हें शोध के लिए बुलावा भेजा गया है. यही नहीं, नासा भी 2 बार उन्हें आमंत्रित कर चुका है, जबकि व्हाइट हाउस से भी उन्हें अमेरिका में शोध के लिए बुलाया जा चुका है.

ये भी पढ़ें: विधाता का नहीं कोई सानी, मिक्कू-बन्नी और स्कैली की प्रतिभा सभी ने मानी

युवा वैज्ञानिक गोपाल को उनके आविष्कार के लिए भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की तरफ से इंस्पायर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है. इसके साथ ही भारत की आई स्मार्ट कंपनी ने गोपाल को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया है. गोपाल इन दिनों ग्राफिक एरा की लैब में शोध कर रहे हैं, जहां वो गोपोनीयम ऑयल जो सूर्य के अध्ययन से जुड़े विषय पर शोध कर रहे हैं. इसके अलावा गोपालास्का थ्योरी पर भी वे काम कर रहे हैं. ये थ्योरी न्यूक्लियर रेडिएशन कम करने को लेकर है.

इससे पहले गोपाल ने अहमदाबाद स्थित एनआईएफ संस्थान में 6 आविष्कार फाइल कर दिए हैं, इसमें जी स्टार पाउडर शामिल है जो डिफेंस के क्षेत्र में बेहद कारगर साबित हो सकता है. साथ ही हाइड्रो इलेक्ट्रिक बायो सेल जो आसमान से बिजली गिरने पर उसे स्टोर करने से जुड़ा शोध हैं.

गोपाल का सपना है कि वे शोध के लिए अपनी लैब स्थापित करें, जिसमें युवा शोधकर्ता उससे जुड़ सकें. दरअसल, गोपाल का वैज्ञानिक बनने का सफर बेहद मुश्किलों भरा रहा. गोपाल बिहार के भागलपुर स्थित ध्रुवगंज के रहने वाले हैं और उनके पिता प्रेम रंजन कुमार एक किसान हैं. गोपाल की दो बहनें और एक भाई हैं. बिहार में साल 2008 में आई बाढ़ ने गोपाल को वैज्ञानिक बना दिया. इस बार में गोपाल के पिता की केले की खेती पूरी तरह बर्बाद हो गई थी, जिसके बाद गोपाल ने बर्बाद हुए केले की फसल के उपयोग को लेकर सोचना शुरू कर दिया. यहीं से शुरू हुआ नन्हें गोपाल से युवा वैज्ञानिक गोपाल बनने का सफर.

ये भी पढ़ें: अपनी लेखनी से युवाओं को राह दिखा रहा 'मित्र पुलिस' का ये जवान

लैब के लिए उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात भी की. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सोशल मीडिया और पत्र के जरिए अपनी बात पहुंचाई लेकिन उनकी समस्या का हल नहीं निकला. इसके बाद दूसरे देशों से शोध के लिए आमंत्रण आने के बाद युवा वैज्ञानिक ने देश में ही रहकर शोध करने पर इच्छा जाहिर की.

वहीं, 2 अगस्त 2017 को पीएम नरेंद्र मोदी ने मुलाकात के बाद युवा वैज्ञानिक को अहमदाबाद स्थित NIF में शोध के लिए अनुमति मिल गई. इसके साथ ही वैज्ञानिक गोपाल अब तक कई विषयों पर शोध कर चुके हैं. इसके साथ ही कई विषयों में शोध जारी है.

कुछ करने की इच्छा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता और न ही आपकी उम्र उस काम में रुकावट बनती है. ये लाइनों को 19 साल के युवा वैज्ञानिक गोपाल ने सार्थक साबित कर दिया है.

Intro:कृपया फीड बिहार डेस्क को भी भेज दें...

Summary- तेरह साल की छोटी सी उम्र में केले के तने से बिजली बनाने वाला युवा वैज्ञानिक गोपाल देश मे शोध को एक नए आयाम तक पहुंचाना चाहता है..नासा और दुनिया की कई बड़ी संस्थाएं गोपाल के शोध को देखकर न केवल हैरान हैं बल्कि उसको शोध के लिए अपने देश मे आमंत्रित भी कर रही हैं...देखिये युवा वैज्ञानिक गोपाल पर etv भारत संवाददाता नवीन उनियाल की स्पेशल रिपोर्ट...


Body:देहरादून के निजी विश्वविद्यालय में शोध कर रहे गोपाल इनदिनों 4 प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं..महज 13 साल की उम्र में ही गोपाल ने केले के तने से बिजली बनाने का अविष्कार कर दिया था..गोपाल फिलहाल 19साल के हैं और अपने दो अविष्कार पेटेंट करवा चुके हैं...जिसमें बनाना बायो सेल और पेपर बायो सेल शामिल है...सामान्य भाषा मे कहें तो केले के तने और वेस्ट पेपर से बिजली बनाने का अविष्कार उन्होंने किया है...युवा वैज्ञानिक गोपाल के इन अविष्कार के बाद ऑक्सफ़ोर्ड, न्यू जर्सी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी समेत चीन, जापान और दूसरे देशों की बड़ी संस्थाओं से उन्हें शोध के लिए बुलावा भेजा गया है...यही नही नासा भी 2 बार उन्हें आमंत्रित कर चुका है..जबकि वाइट हाउस से भी उन्हें अमेरिका में शोध के लिए बुलाया गया है...


बाईट-गोपाल, युवा वैज्ञानिक


गोपाल को उनके आविष्कार के लिए भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की तरफ से इंस्पायर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है.. यही रही भारत की आई स्मार्ट कंपनी ने गोपाल को अपना ब्रैंड अंबेसडर बनाया है... गोपाल इन दिनों ग्राफिक एरा की लैब में शोध कर रहे हैं.. जहां वह गोपनीयम आयल यानी सूर्य के अध्यक्ष से जुड़े विषय पर शोर कर रहे हैं... इसके अलावा गोपालासका थ्योरी पर भी वे काम कर रहे हैं.. यह थ्योरी न्यूक्लियर रेडिएशन कम करने को लेकर है...उधर इससे पहले ही गोपाल अहमदाबाद स्थित एनआईएफ संस्थान में 6 अविष्कार फाइल कर दिए हैं... इसमें जी स्टार पाउडर शामिल है जो डिफेंस के क्षेत्र में बेहद कारगर साबित हो सकता है, साथ ही हाइड्रोइलेक्ट्रिक बायो सेल जिसमे आसमान से बिजली गिरने पर उसे स्टोर करने से जुड़ा शोध हैं..


बाइट गोपाल युवा वैज्ञानिक


गोपाल का सपना है कि वह शोध के लिए अपनी लैब स्थापित कर सके. जिसमें युवा शोधकर्ता उससे जुड़कर अपने शोध कर सके ताकि शोध को लेकर जो परेशानी उसे हुई है वह किसी और युवा को ना हो... दरअसल गोपाल का वैज्ञानिक बनने  सफर बेहद मुश्किल भरा रहा... गोपाल बिहार के भागलपुर स्थित ध्रुवगंज का रहने वाला है.. और उसके पिता प्रेम रंजन कुमार एक छोटे किसान है... गोपाल की दो बहने और एक भाई है.. साल 2008 में बिहार में आई बाढ़ ने गोपाल को वैज्ञानिक बना दिया.. इस बार में गोपाल के पिता की केले की खेती पूरी तरह बर्बाद हो गई थी.. जिसके बाद गोपाल ने बर्बाद हुए केले की फसल के उपयोग को लेकर सोचना शुरु कर दिया।। और यहीं से नन्हे गोपाल से युवा वैज्ञानिक गोपाल का सफर शुरू हुआ... इसके बाद गोपाल डे के लेके तरह से बिजली का आविष्कार किया और इस प्रोजेक्ट को अपने स्कूल तुलसीपुर हाईस्कूल के जरिए जिले और प्रदेश तक पहुंचा कर सबकी वाहवाही लूटी... हालांकि इसके बाद भी गोपाल की मुश्किलें खत्म नहीं हुई और गोपाल लैब की सुविधा पाने के लिए दर-दर भटकता रहा... बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोशल मीडिया और पत्र के जरिए अपनी बात पहुंचाई लेकिन उसकी समस्या का हल नही निकला.. इसके बाद दूसरे देशों से उसे शोध के लिए आमंत्रण मिलने लगे... लेकिन देश में ही देश के लिए काम करने की इच्छा रखने वाले गोपाल ने अब भी हिम्मत नहीं हारी... अब गोपाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे मुलाकात करने के प्रयास में जुट गया... और आखिरकार 2 अगस्त 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उसकी मुलाकात हुई.. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद स्थित NIF में शोध के लिए गोपाल को अनुमति दी... जिसके बाद गोपाल अब तक कई विषयों पर शोध कर चुका है और कुछ पर अब भी उसका शोध जारी है...


बाइट गोपाल युवा वैज्ञानिक




Conclusion:कुछ करने की इच्छा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता, गोपाल सही कहते हैं कि संघर्ष जितना मुश्किल हो सफलता का मजा भी उतना ही ज्यादा होता है।।।


देहरादून से नवीन उनियाल ईटीवी भारत


Last Updated : Feb 3, 2020, 5:17 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.