देहरादून: पूरे देश में शिवरात्रि की धूम मची है, मंदिरों और शिवालयों में शिव भक्तों का तांता लगा है. महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर शिवभक्त भक्तिमय होकर भगवान शंकर की पूजा कर रहे हैं और शिवलिंग का श्रृंगार कर जलाभिषेक कर रहे हैं. वहीं मंदिरों में हर-हर महादेव के नारे से गुंजायमान कतारों में लगे लोग भगवान भोले का अभिषेक करने के लिए इंतजार करते दिखाई दिये.
देवभूमि उत्तराखंड के सारे शिवालयों में सुबह से ही शिव भक्तों की भीड़ लगी हुई है. राजधानी देहरादून स्थित टपकेश्वर मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. यह मंदिर पौराणिक काल का बताया जाता है. साथ ही महाभारत काल के महान योद्धा अश्वत्थामा से भी इस मंदिर का संबंध बताया जाता है. इसलिये इस मंदिर की लोगों में काफी महत्ता है.
वहीं मंदिर के पुरोहित पंडित विपिन जोशी ने बताया कि इस बार महाशिवरात्रि सोमवार के दिन पड़ी है, ऐसे में आज का दिन बेहद ही शुभ है. वहीं इस बार शिवरात्रि के मौके पर मंदिर में कई शिव शिवलिंग तैयार किए गए हैं जो देश की रक्षा में जान न्योछावर करने वाले जवानों के नाम हैं.
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हल्द्वानी
महाशिवरात्रि के मौके पर हल्द्वानी सहित पूरे नैनीताल जिले के मंदिरों में भीड़ सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है. हल्द्वानी के पिपलेश्वर महादेव, अष्टभुजी महालक्ष्मी मंदिर और लालकुआं अवंतिका शक्तिपीठ में सुबह से लोगों का जुटना शुरू हो गया था. साथ ही ये सिलसिला जारी है. श्रद्धालु मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक कर पूजा- अर्चना कर रहे हैं. मंदिरों में सुबह से लोग लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखाई दिये. वहीं अवंतिका शक्तिपीठ में दूर-दूर से श्रद्धालु जलाभिषेक के लिये पहुंच रहे हैं.
ऋषिकेश
सोमवार को महाशिवरात्रि पड़ने की वजह से लोगों में खासा उत्साह दिख रहा है. लोग ऋषिकेश के वीरभद्र मंदिर में सुबह से ही भगवान शिव को दूध, दही और गंगाजल से अभिषेक कर रहे हैं.सुबह से ही तीर्थ नगरी के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ जुट रही है. शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए ऋषिकेश स्थित पौराणिक वीरभद्र मंदिर में सुबह से ही भक्तों की लंबी लंबी लाइन लगी दिखाई दी. साथ ही पूरा परिसर हर-हर महादेव के उद्घोष से शिवमय हो गया. साथ ही नीलकंठ महादेव मंदिर में भी सुबह से भक्तों का पहुंचना शुरू हो गया था. वहीं कुछ लोगों ने पुलवामा में शहीद हुए शहीदों की आत्मा की शांति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की.
मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है कि वीरभद्र भगवान शिव का भैरव स्वरूप है. स्कंदपुराण के केदारखंड में वर्णित कथानुसार शिव ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ को ध्वस्त करने के लिए अपनी जटा को पटक कर वीरभद्र की उत्पत्ति की थी. माना जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर वीरभद्र का क्रोध शांत किया था और वीरभद्र ने ही यहां पर शिवलिंग की स्थापना की थी. बताया जाता है कि वीरभद्र महादेव का यह इकलौता मंदिर है.