देहरादून: उत्तराखंड में प्राकृतिक संपदा का खजाना होने के बावजूद प्रदेश को इसका बेहतर लाभ नहीं मिल पा रहा है. सरकार के तमाम दावों के बीच हकीकत यह है कि पर्यटन विभाग के पास एक्सपर्ट की वो टीम ही नहीं है, जो उत्तराखंड को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पटल पर पर्यटन प्रदेश के रूप में पहचान दिला सके. विश्व पर्यटन दिवस पर उत्तराखंड पर्यटन के लिए सबसे बड़े रोड़ें पर एक नजर डालते हैं.
उत्तर प्रदेश से विभाजित हुए उत्तराखंड को पर्यटन से बेहद ज्यादा उम्मीदें थीं. इन उम्मीदों पर खरा उतरने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी उत्तराखंड पर्यटन विभाग पर रही, लेकिन राज्य में आई तमाम सरकारों ने नैसर्गिक सौंदर्य और जैव विविधता वाले इस प्रदेश में पर्यटन विभाग का ऐसा भट्टा बैठाया कि प्रदेश का पर्यटन बढ़ना तो दूर खुद पर्यटन विभाग के हालात ही नहीं सुधर पाए.
आज विभिन्न तरह के पर्यटन के मकसद को लेकर करोड़ों यात्री उत्तराखंड में पहुंच रहे हैं. यह प्रदेश की प्राकृतिक संपदा ही है कि यहां यात्री धार्मिक पर्यटन भी कर रहा है तो सांस्कृतिक और साहसिक पर्यटन के लिए भी पहुंच रहा है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य में पर्यटन को बढ़ाने के लिए इतने सालों बाद भी पर्यटन विभाग को एक्सपर्ट लोगों की तलाश है.
उत्तराखंड टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड का गठन
बता दें कि साल 2001 में उत्तराखंड टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड (यूटीडीबी) का गठन हुआ. इससे पहले पर्यटन निदेशालय के अधीन ही तय ढांचे के साथ पर्यटन को लेकर काम किया जाता था. राज्य स्थापना के एक साल बाद पर्यटन के क्षेत्र में कुछ बेहतर करने के लिए यूटीडीबी की स्थापना की गई.
500 कर्मचारियों की दरकार
हालात का अंदाजा लगाइए की 18 साल बाद अब पर्यटन विभाग यूटीडीबी के आधीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक्सपर्ट की तलाश कर रहा है. फिलहाल यूटीडीबी में 234 कर्मचारियों का ढांचा स्वीकृत है, जबकि पर्यटन विभाग को दरकार 500 से भी ज्यादा कर्मचारियों की है.
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इसमें खासतौर पर उन एक्सपर्ट को तलाशा जा रहा है, जो पर्यटन को लेकर प्लानिंग प्रचार प्रसार समेत फील्ड के जरूरी कामों को देख सकें. हम जानते हैं कि हाल ही में त्रिवेंद्र सरकार ने पर्यटन को भी उद्योग का दर्जा दिया है.
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी पर्यटन को विदेशों की योजनाओं से तुलना कर प्रदेश को भी उसी दिशा में ले जाने के दावे करते रहे हैं, लेकिन हालात देखिए कि पर्यटन मंत्री अपने विभाग में एक्सपर्ट अधिकारियों की भर्ती को लेकर ही फिलहाल स्वीकृति नहीं दे पाए हैं. राज्य स्थापना के दौरान पर्यटन निदेशालय के पास 149 कर्मचारी और अधिकारियों का ढांचा था. इस ढांचे को 2001 में यूटीडीबी स्थापना के बाद 234 किया गया.
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लर्निंग बेहद जरूरी है, जरूरी यह भी है कि पर्यटन क्षेत्रों का प्रचार-प्रसार भी एक्सपर्ट लोगों के हाथों में रहे, लेकिन उद्योग का दर्जा पा चुके पर्यटन के पास एक्सपर्ट अधिकारियों की ही कमी पूरी नहीं हो पा रही है. परेशानी यह भी है कि सड़क, परिवहन, बेस्ट एकोमोडेशन जैसी मूलभूत जरूरतें भी प्रदेश में अब तक फुल फील नहीं की जा सकी.