ETV Bharat / state

1874 से वैज्ञानिक जेम्स की याद में 'धड़क' रही ये घड़ी, हर 15 मिनट में घंटा बजाकर बताती है वक्त - देहरादून न्यूज

18वीं शताब्दी के वैज्ञानिक जेम्स बेसवी की याद में 1871 में लंदन से एक घड़ी देहरादून मगंवाई गई थी, जो आजतक चल रही है. इस तरह की दुनिया में दो ही घड़ी हैं. एक लंदन के घटाघर पर लगी हुई है और दूसरी देहरादून में है.

dehradun
घड़ी
author img

By

Published : Feb 29, 2020, 6:28 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 9:43 PM IST

देहरादून: आप ने घड़ियों के इतिहास व उनके बारे में काफी सुना और पढ़ा होगा. लेकिन आज हम आपको विश्व की सबसे पुरानी घड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद अपने कहीं नहीं पढ़ा होगा. इस घड़ी की खासियत यह है कि ये आज भी चल रही है. दुनिया में सिर्फ दो ही ऐसी घड़ी हैं जो हर 15 मिनट में घंटा बजाकर समय बताती हैं. जिसमें से एक लंदन के घंटाघर पर लगी हुई, जबकि दूसरी देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया के भवन पर लगी है.

अनोखी है ये घड़ी.

यह घड़ी वैज्ञानिक जेम्स बेसवी के दोस्तों ने उनके निधन के बाद 1871 में उनकी याद में लंदन से मगंवाई थी. तब उसकी कीमत दो हजार रुपए थी. 1874 में देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया संस्थान ने इस घड़ी को घंटाघर नुमा भवन के उपर स्थापित किया था. तब से लेकर आज तक ये घड़ी चल रही है.

पढ़ें- राष्ट्रीय विज्ञान दिवस: 18वीं शताब्दी में कैसे मापी गई थी पृथ्वी की गोलाई, देखें वीडियो

पेंडुलम के मूवमेंट में चलती है घड़ी

जानकार बताते हैं कि वैज्ञानिक जेम्स की रिसर्च की यादों को ताजा रखने के लिए यह घड़ी लंदन से मंगवाई गई थी. इस घड़ी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये पेंडुलम के मूवमेंट से काम करती है. वैज्ञानिक जेम्स पेंडुलम के मूवमेंट से ही पृथ्वी की ग्रेविटी का एक्युरेसी निकालने के कार्य में जुटे थे. इसीलिए जेम्स के निधन के बाद उनके दोस्तों ने उनकी रिसर्च को ताजा रखने के लिए पेंडुलम से चलने वाली ये घड़ी यहां स्थापित की थी.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवसः लेह में 111 किमी दौड़ कर मिसाल कयाम करेंगी मेजर शशि मेहता

ऐसे काम करती है ये घड़ी

सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक अरुण कुमार के मुताबिक घड़ी से नीचे एक लंबी सितार के द्वारा सुबह नौ बजे इसे खींचा जाता है तो घंटी बजती है. इसके बाद उनके ऑफिस का समय शुरू होता है. इसके बाद एक बजे फिर खींचा जाता है, जो लंच समय बताता है. इतना ही नहीं शाम को 5.30 बजे ऑफिस समाप्त होने के समय भी इसी घड़ी की लंबी तार को खींचकर घंटा बजाया जाता है. हालांकि बदले दौर के साथ सर्वे ऑफ इंडिया में ड्यूटी बायोमैट्रिक सिस्टम से चलती है. लेकिन आज भी वैज्ञानिक जेम्स की याद में वे इस घड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं. यही कारण है कि 1874 से ये घड़ी उसी तरह चल रही है.

देहरादून: आप ने घड़ियों के इतिहास व उनके बारे में काफी सुना और पढ़ा होगा. लेकिन आज हम आपको विश्व की सबसे पुरानी घड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद अपने कहीं नहीं पढ़ा होगा. इस घड़ी की खासियत यह है कि ये आज भी चल रही है. दुनिया में सिर्फ दो ही ऐसी घड़ी हैं जो हर 15 मिनट में घंटा बजाकर समय बताती हैं. जिसमें से एक लंदन के घंटाघर पर लगी हुई, जबकि दूसरी देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया के भवन पर लगी है.

अनोखी है ये घड़ी.

यह घड़ी वैज्ञानिक जेम्स बेसवी के दोस्तों ने उनके निधन के बाद 1871 में उनकी याद में लंदन से मगंवाई थी. तब उसकी कीमत दो हजार रुपए थी. 1874 में देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया संस्थान ने इस घड़ी को घंटाघर नुमा भवन के उपर स्थापित किया था. तब से लेकर आज तक ये घड़ी चल रही है.

पढ़ें- राष्ट्रीय विज्ञान दिवस: 18वीं शताब्दी में कैसे मापी गई थी पृथ्वी की गोलाई, देखें वीडियो

पेंडुलम के मूवमेंट में चलती है घड़ी

जानकार बताते हैं कि वैज्ञानिक जेम्स की रिसर्च की यादों को ताजा रखने के लिए यह घड़ी लंदन से मंगवाई गई थी. इस घड़ी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये पेंडुलम के मूवमेंट से काम करती है. वैज्ञानिक जेम्स पेंडुलम के मूवमेंट से ही पृथ्वी की ग्रेविटी का एक्युरेसी निकालने के कार्य में जुटे थे. इसीलिए जेम्स के निधन के बाद उनके दोस्तों ने उनकी रिसर्च को ताजा रखने के लिए पेंडुलम से चलने वाली ये घड़ी यहां स्थापित की थी.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवसः लेह में 111 किमी दौड़ कर मिसाल कयाम करेंगी मेजर शशि मेहता

ऐसे काम करती है ये घड़ी

सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक अरुण कुमार के मुताबिक घड़ी से नीचे एक लंबी सितार के द्वारा सुबह नौ बजे इसे खींचा जाता है तो घंटी बजती है. इसके बाद उनके ऑफिस का समय शुरू होता है. इसके बाद एक बजे फिर खींचा जाता है, जो लंच समय बताता है. इतना ही नहीं शाम को 5.30 बजे ऑफिस समाप्त होने के समय भी इसी घड़ी की लंबी तार को खींचकर घंटा बजाया जाता है. हालांकि बदले दौर के साथ सर्वे ऑफ इंडिया में ड्यूटी बायोमैट्रिक सिस्टम से चलती है. लेकिन आज भी वैज्ञानिक जेम्स की याद में वे इस घड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं. यही कारण है कि 1874 से ये घड़ी उसी तरह चल रही है.

Last Updated : Feb 29, 2020, 9:43 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.