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World Blood Donor Day: ब्लड डोनेट करने से पांच बीमारियों की हो जाती है स्क्रीनिंग - नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन

14 जून को हर साल विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है. सन् 1997 में डब्ल्यूएचओ ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान की शुरुआत की थी. जिसमें 124 प्रमुख देशों को शामिल करके स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की अपील की गई थी.

विश्व रक्तदान दिवस
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Published : Jun 14, 2019, 11:42 AM IST

देहरादून: विश्व रक्तदान दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है. शरीर विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक कार्ल लेण्डस्टेन की याद में पूरे विश्व में 14 जून को यह दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहन देना और उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है.

आज का युवा समझ रहा है रक्तदान की महत्ता- अर्जुन सिंह

सन् 1997 में डब्ल्यूएचओ ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान की शुरुआत की थी. जिसमें 124 प्रमुख देशों को शामिल करके स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की अपील की गई थी. इस पहल का मुख्य कारण था कि किसी भी व्यक्ति को रक्त की अगर आवश्यकता पड़े तो उसे पैसे देकर रक्त ना खरीदना पड़े. उत्तराखंड की अगर बात करें तो 2018 के आंकड़ों के मुताबिक देहरादून के लोगों ने बढ़-चढ़कर रक्तदान किया था. इसके ठीक विपरीत टिहरी जिले ने सबसे कम रक्तदान किया था.

पढ़ें- दो किलो चांदी से बना है कारोबारी गुप्ता बंधु के बेटों की शादी का कार्ड, कीमत 8 लाख

इस संबंध में नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के अपर परियोजना निदेशक अर्जुन सिंह सेंगर कहते हैं कि आज की युवा पीढ़ी बढ़ चढ़कर रक्तदान कर रही है. उन्होंने कहा कि रक्त का कोई विकल्प नहीं होता है और आज का युवा विकास की रीढ़ माना जाता है. ऐसे में आज के युवा जागरूक हैं और जानते हैं कि आज की तारीख में जितनी भी दुर्घटनाएं हो रही हैं. उस में रक्त का कितना महत्व है.

युवाओं को स्कूलों व I.C.E. के माध्यम से भी जागरूक किया जाता है कि रक्त का कोई विकल्प नहीं होता है. बल्कि रक्तदान करने से कोई हानि नहीं होती. रक्तदान करने से ये फायदा होता है कि कम से कम पांच बीमारियों की स्क्रीनिंग इससे हो जाती है.

डॉ. अर्जुन सिंह सेंगर कहते हैं कि सभी जिलों में ब्लड डोनेट करने की सुविधाएं सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई हैं. तो वहीं, 18 साल से अधिक के युवा स्वैच्छिक रक्तदान करने के लिए आगे आ रहे हैं. उत्तराखंड सरकार को भारत सरकार ने जो लक्ष्य दिया था उसके अनुरूप 130 प्रतिशत रक्तदान करवाया गया है. कोशिश यही है कि जरूरतमंद लोगों जिसमें गर्भवती महिला दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति थैलेसीमिया, हीमोफीलिया, एनीमिया के मरीजों को रक्त उपलब्ध कराया जाए ताकि कोई भी मरीज रक्त से वंचित न हो सकें.

देहरादून: विश्व रक्तदान दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है. शरीर विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक कार्ल लेण्डस्टेन की याद में पूरे विश्व में 14 जून को यह दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहन देना और उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है.

आज का युवा समझ रहा है रक्तदान की महत्ता- अर्जुन सिंह

सन् 1997 में डब्ल्यूएचओ ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान की शुरुआत की थी. जिसमें 124 प्रमुख देशों को शामिल करके स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की अपील की गई थी. इस पहल का मुख्य कारण था कि किसी भी व्यक्ति को रक्त की अगर आवश्यकता पड़े तो उसे पैसे देकर रक्त ना खरीदना पड़े. उत्तराखंड की अगर बात करें तो 2018 के आंकड़ों के मुताबिक देहरादून के लोगों ने बढ़-चढ़कर रक्तदान किया था. इसके ठीक विपरीत टिहरी जिले ने सबसे कम रक्तदान किया था.

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इस संबंध में नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के अपर परियोजना निदेशक अर्जुन सिंह सेंगर कहते हैं कि आज की युवा पीढ़ी बढ़ चढ़कर रक्तदान कर रही है. उन्होंने कहा कि रक्त का कोई विकल्प नहीं होता है और आज का युवा विकास की रीढ़ माना जाता है. ऐसे में आज के युवा जागरूक हैं और जानते हैं कि आज की तारीख में जितनी भी दुर्घटनाएं हो रही हैं. उस में रक्त का कितना महत्व है.

युवाओं को स्कूलों व I.C.E. के माध्यम से भी जागरूक किया जाता है कि रक्त का कोई विकल्प नहीं होता है. बल्कि रक्तदान करने से कोई हानि नहीं होती. रक्तदान करने से ये फायदा होता है कि कम से कम पांच बीमारियों की स्क्रीनिंग इससे हो जाती है.

डॉ. अर्जुन सिंह सेंगर कहते हैं कि सभी जिलों में ब्लड डोनेट करने की सुविधाएं सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई हैं. तो वहीं, 18 साल से अधिक के युवा स्वैच्छिक रक्तदान करने के लिए आगे आ रहे हैं. उत्तराखंड सरकार को भारत सरकार ने जो लक्ष्य दिया था उसके अनुरूप 130 प्रतिशत रक्तदान करवाया गया है. कोशिश यही है कि जरूरतमंद लोगों जिसमें गर्भवती महिला दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति थैलेसीमिया, हीमोफीलिया, एनीमिया के मरीजों को रक्त उपलब्ध कराया जाए ताकि कोई भी मरीज रक्त से वंचित न हो सकें.

Intro:विश्व रक्तदान दिवस प्रत्येक वर्ष 14 जून को मनाया जाता है डब्ल्यूएचओ द्वारा इस दिन को रक्तदान दिवस के रूप में भी जाना जाता है । दरअसल शरीर विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन की याद में पूरे विश्व में यह
दिवस मनाया जाता है इस दिन को मनाने का उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहन देना और उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है, सन 1997 में डब्ल्यूएचओ ने 100 फ़ीसदी स्वैच्छिक रक्तदान की शुरुआत की थी जिसमें 124 प्रमुख देशों को शामिल करके सभी देशों को स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की अपील की गई थी। इस पहल का मुख्य कारण यह था कि किसी भी व्यक्ति को रक्त कि अगर आवश्यकता पड़े तो उसे पैसे देकर रक्त ना खरीदना पड़े। उत्तराखंड की अगर बात करें तो तो 2018 के आंकड़ों के मुताबिक देहरादून के लोगों ने बढ़-चढ़कर रक्तदान किया था इसके ठीक विपरीत टिहरी जिले ने सबसे कम रक्तदान किया था।


Body: इस संबंध में नेशनल ऐड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के अपर परियोजना निदेशक अर्जुन सिंह सेंगर विस्तृत जानकारी देते हुए बताते हैं कि रक्तदान करने वालों में आज की सोसाइटी के युवा बढ़चढ़ कर ब्लड डोनेट कर रहे है। उन्होंने कहा कि रक्त का कोई विकल्प नहीं होता है और आज का युवा विकास की रीढ़ माना जाता है ऐसे में आज के युवा जागरुक हैं और जानते हैं कि आज की तारीख में जितनी भी दुर्घटनाएं हो रही है उस में रक्त का कितना महत्व है ।युवाओं को स्कूलों व i.c.e. के माध्यम से भी जागरूक किया जाता है कि रक्त का कोई विकल्प नहीं होता है बल्कि रक्तदान करने से कोई हानि नहीं घटती है। रक्तदान करने से ये भी फायदा होता है ,कि कम से कम पांच बीमारियों की स्क्रीनिंग इससे हो जाती है, उसका लाभ यह होता है कि रक्तदान से किसी व्यक्ति का जीवन भी बच जाता और साथ ही अपनी बीमारियों का भी स्वतः ही पता लग जाता है।

बाईट-डॉ अर्जुन सिंह सेंगर, अपर परियोजना निदेशक, नाको


वहीं डॉ अर्जुन सिंह सेंगर ने बताया कि आज रक्तदान दिवस है,और ये दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग रक्तदान दिवस की महत्ता को समझें। आज के दिन जो कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं उसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं नई सोसायटी के युवा बढ़-चढ़कर रक्तदान कर रहे हैं सभी जिलों में ब्लड डोनेट करने की सुविधाएं सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई हैं तो वही 18 साल से अधिक आयु के युवा स्वैच्छिक रक्तदान करने के लिए आगे आ रहे हैं ,उत्तराखंड सरकार को भारत सरकार ने जो लक्ष्य दिया था उसके अनुरूप 130 प्रतिशत रक्तदान करवाया गया है ।कोशिश यही है कि जरूरतमंद लोगों जिसमें गर्भवती महिला दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति थैलेसीमिया, हीमोफीलिया, एनीमिया के मरीजों को रक्त उपलब्ध कराया जाए ताकि कोई भी मरीज रक्त से वंचित ना हो सके।

बाईट-डॉ अर्जुन सिंह सेंगर, अपर परियोजना निदेशक, नाको

नाको के अपर परियोजना निदेशक के मुताबिक राज्य में 42 सरकारी व गैर सरकारी ब्लड बैंक संचालित किए जा रहे हैं,और हर ब्लड बैंक मे यह सुविधा प्रदान की गई है कि कोई भी व्यक्ति वहां जाकर स्वैच्छिक रक्तदान कर सकता है। साथ ही नाको और स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से समय-समय पर रक्तदान शिविर आयोजित किए जाते हैं ,और उसमें समुचित सुविधा उपलब्ध कराई जाती है ताकि कोई भी व्यक्ति कैंप में आकर स्वैच्छिक रक्तदान कर सके। दुर्गम क्षेत्रों में रक्तदान शिविर लगाने के लिए एक मोबाइल वैन भी तैनात की गई है जो वहां जाकर रक्तदान के काम में लाई जाती है।

बाईट-डॉ अर्जुन सिंह सेंगर, अपर परियोजना निदेशक नाको


Conclusion:2018 के आंकड़ों के मुताबिक स्वैच्छिक रक्तदान में 13 जिलों में सबसे ऊपर देहरादून शामिल है-

1-देहरादून-63811 यूनिट
2-ऊधमसिंह नगर-25449 यूनिट
3-नैनीताल-18928 यूनिट
4-हरिद्वार-14431 यूनिट
5-पौड़ी गढ़वाल-4560 यूनिट
6-पिथौरागढ़-2699 यूनिट
7-अल्मोड़ा-1161 यूनिट
8-उत्तरकाशी-452 यूनिट
9-चमोली-282 यूनिट
10-रुदप्रयाग-सेंटर अभी शुरू हुआ है
11-बागेश्वर-सेंटर अभी शुरू हुआ है
12-चम्पावत-सेंटर अभी शुरू हुआ है
13-टिहरी-324 यूनिट

राज्य भर में कुल 42 ब्लड बैंक है जिसमें से केवल अट्ठारह ब्लड बैंकों को नाको सहयोग करता है ।

देहरादून की अगर बात करें तो देहरादून में कुल 9 ब्लड बैंक है जिसमें प्रमुख़ रूप से दून मेडिकल कॉलेज का ब्लड बैंक, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का ब्लड बैंक, श्री महंत इंद्रेश अस्पताल का ब्लड बैंक, जॉली ग्रांट अस्पताल का ब्लड बैंक, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ऋषिकेश का ब्लड बैंक,और एसपीएस ऋषिकेश का ब्लड बैंक शामिल हैं।

समूचे उत्तराखंड की अगर बात करें तो वर्तमान में 11832 यूनिट रक्त उपलब्ध था जिसमें से अभी मात्र 20 प्रतिशत रक्त ब्लड बैंकों में उपलब्ध है बाकी यूज हो गया है।

रक्त से संबंधित सत्य-

दरअसल रक्त के अभाव में शरीर की कोशिकाएं एवं उत्तर समाप्त हो जाते हैं जैसे फेफड़ों से ऑक्सीजन तथा पाचन तंत्र से पोषक तत्व कोशिकाओं तक पहुंचाता है CO2 को फेफड़ों द्वारा बाहर फेकता है और दूषित तत्व को किडनी के द्वारा बाहर निकालता है रत हारमोंस और क्लोटिंग एजेंट्स को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य करता है।

रक्तदान क्यों किया जाना चाहिए-

-असल में अस्पतालों में खून की बहुत अधिक मांग रहती है और रक्त के अभाव में कई व्यक्ति अकाल मौत के मुंह में समा जाते हैं इसलिए मानव रक्त का कोई अन्य विकल्प नहीं है रत को कृत्रिम विधि से उत्पादित नहीं किया जा सकता है और ना ही किसी जानवर का रक्त किसी व्यक्ति पर चढ़ाया जा सकता है।

- रक्त का भंडारण अधिक समय तक नहीं किया जा सकता है इसलिए रक्तदान की आवश्यकता हर समय बनी रहती है।

- हिमोफीलिया और थैलीसीमिया जैसे रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को नियमित रूप से नए रक्त चढ़ाए जाने की जरूरत होती है दुर्भाग्य से ऐसे मरीजों में रक्त की कमी हमेशा बनी रहती है जो कि रक्तदान जैसे नेक कार्य से ही पूरी हो सकती है।

रक्तदान के बाद उस रक्त का क्या किया जाता है-

एचआईवी,सिफलिस,हेपेटाइटिस सी,हेपटाइटिस बी,मलेरिया, के साथ ही ब्लड ग्रुप और आरएच की पहचान की जाती है इसके साथ ही अलग अलग तत्वो में अलग किया जाता है जिसमें चार व्यक्तियों के जीवन को बचाया जा सकता है, रक्त का प्रयोग किए जाने तक नियमित रूप से आवश्यक सुरक्षित तापमान पर उसे रखा जाता है साथ ही रक्त दाताओं को ब्लड ग्रुप कार्ड भेज दिया जाता है और रक्त को चढ़ाने से पूर्व रोगी के रक्त से मिलान किया जाता है।

उत्तराखंड के देहरादून निवासी यूथ रेड क्रॉस के अध्यक्ष अनिल वर्मा ने 133 से भी अधिक बार रक्तदान करके रक्तदान महादान की थीम का विधिवत तरीके से निर्वाह किया है।

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