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हिमालयी राज्यों में भवन मानकों को लेकर आपदा प्रबंधकों ने किया विचार, सरकार को सौंपी जाएगी रिपोर्ट

भवन मानकों के विस्तृत अध्ययन के लिए देहरादून में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर के आपदा प्रबंधकों ने हिस्सा लिया. बिल्डिंग बायलॉज के अध्ययन और कार्यशाला के निष्कर्ष के आधार पर सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी. जिसे सरकार अपनी पॉलिसी में शामिल करेगी.

भवन मानकों को लेकर आपदा प्रबंधकों की बैठक
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Published : Jul 19, 2019, 9:52 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड आपदा प्रबंधन और वर्ल्ड बैंक के माध्यम से प्रदेश में भवन मानकों को लेकर किये गए अध्ययन के बाद गुरुवार को देहरादून में एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया. जिसमें देश के सभी हिमालयी राज्यों के साथ आपदा के लिहाज से सवेंदनशील राज्यों के आपदा प्रबंधकों ने भाग लिया. कार्यशाला में खास तौर से आपदा संभावित राज्यों में भवन निर्माण और ढांचागत विकास में मनकों में नई जरूरतों पर चर्चा की गई. बिल्डिंग बायलॉज के अध्यन और कार्यशाला के निष्कर्ष के आधार पर सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी. जिसे सरकार अपनी पॉलिसी में शामिल करेगी.

इस कार्यशाला में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, यूपी और आंध्र प्रदेश सहित देश के कई राज्यों से सरकारी और गैर सरकारी विभागों के अधिकारियों के साथ-साथ विभिन्न संस्थानों संगठनों के लगभग 100 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया.

गौर हो कि उत्तराखंड राज्य में भवन मानकों यानी बिल्डिंग बायलॉज के विस्तृत अध्ययन के लिए 2018 में वर्ल्ड बैंक के सहयोग से बिल्डिंग बायलॉज कंसलटेंसी की मुहिम शुरू की गई थी. जिसका क्रियानयन डाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया था. कंसल्टेंसी का मुख्य उद्देश मौजूदा भवन निर्माण नियमों पर अपनी प्रस्तुतियां उपलब्ध कराना था, ताकि पूरे राज्य में भूकंप सुरक्षित भवन निर्माण संबंधित एक्टिविटी को बढ़ावा मिल सके.

भवन मानकों को लेकर आपदा प्रबंधकों की बैठक

आपदा प्रबंधन द्वारा बिल्डिंग बायलॉज को लेकर किए गए अध्ययन में शहरों के साथ-साथ गांव में विशेष रूप से सर्वे किया गया, जिसमें पाया गया कि अमूमन ग्रामीण स्तर पर ग्राम प्रधान द्वारा ही भवनों का मानचित्र आदि की संस्तुति की जाती है और अधिकांश जगह पर मानचित्र को लेकर कोई मानक निर्धारित नहीं हैं. जबकि इस प्रकार के कार्य एक प्राधिकरण की निगरानी में किए जाने जरूरी हैं.

पढ़ें- राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने सदन में उठाया उत्तराखंड में मोबाइल नेटवर्क की खराबी का मुद्दा

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन के निदेश पीयूष रौतेला ने कहा कि बिल्डिंग बाइलॉज का सीधा-सीधा सम्बन्ध हमारी सुरक्षा से हो, चाहे वो मकान बनाए जाने के नियम हों या फायर सेफ्टी की बात. ऐसे में हमें जरूरत है समय-समय पर अपने मानकों और धरातलीय स्थिति का आंकलन का. जिसको लेकर ये पूरी कवायत शुरू की गई है.

वहीं, उत्तराखंड डिजास्टर रेस्क्यू प्रोजेक्ट के प्रमुख गिरीश जोशी ने कहा कि बिल्डिंग बाइलॉज के अध्ययन और इस वर्कशॉप से जो निष्कर्ष निकलेगा, उस पर जो रिपोर्ट आएगी. वो निश्चित तौर से सरकार के लिए उपयोगी साबित होगी.

देहरादून: उत्तराखंड आपदा प्रबंधन और वर्ल्ड बैंक के माध्यम से प्रदेश में भवन मानकों को लेकर किये गए अध्ययन के बाद गुरुवार को देहरादून में एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया. जिसमें देश के सभी हिमालयी राज्यों के साथ आपदा के लिहाज से सवेंदनशील राज्यों के आपदा प्रबंधकों ने भाग लिया. कार्यशाला में खास तौर से आपदा संभावित राज्यों में भवन निर्माण और ढांचागत विकास में मनकों में नई जरूरतों पर चर्चा की गई. बिल्डिंग बायलॉज के अध्यन और कार्यशाला के निष्कर्ष के आधार पर सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी. जिसे सरकार अपनी पॉलिसी में शामिल करेगी.

इस कार्यशाला में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, यूपी और आंध्र प्रदेश सहित देश के कई राज्यों से सरकारी और गैर सरकारी विभागों के अधिकारियों के साथ-साथ विभिन्न संस्थानों संगठनों के लगभग 100 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया.

गौर हो कि उत्तराखंड राज्य में भवन मानकों यानी बिल्डिंग बायलॉज के विस्तृत अध्ययन के लिए 2018 में वर्ल्ड बैंक के सहयोग से बिल्डिंग बायलॉज कंसलटेंसी की मुहिम शुरू की गई थी. जिसका क्रियानयन डाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया था. कंसल्टेंसी का मुख्य उद्देश मौजूदा भवन निर्माण नियमों पर अपनी प्रस्तुतियां उपलब्ध कराना था, ताकि पूरे राज्य में भूकंप सुरक्षित भवन निर्माण संबंधित एक्टिविटी को बढ़ावा मिल सके.

भवन मानकों को लेकर आपदा प्रबंधकों की बैठक

आपदा प्रबंधन द्वारा बिल्डिंग बायलॉज को लेकर किए गए अध्ययन में शहरों के साथ-साथ गांव में विशेष रूप से सर्वे किया गया, जिसमें पाया गया कि अमूमन ग्रामीण स्तर पर ग्राम प्रधान द्वारा ही भवनों का मानचित्र आदि की संस्तुति की जाती है और अधिकांश जगह पर मानचित्र को लेकर कोई मानक निर्धारित नहीं हैं. जबकि इस प्रकार के कार्य एक प्राधिकरण की निगरानी में किए जाने जरूरी हैं.

पढ़ें- राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने सदन में उठाया उत्तराखंड में मोबाइल नेटवर्क की खराबी का मुद्दा

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन के निदेश पीयूष रौतेला ने कहा कि बिल्डिंग बाइलॉज का सीधा-सीधा सम्बन्ध हमारी सुरक्षा से हो, चाहे वो मकान बनाए जाने के नियम हों या फायर सेफ्टी की बात. ऐसे में हमें जरूरत है समय-समय पर अपने मानकों और धरातलीय स्थिति का आंकलन का. जिसको लेकर ये पूरी कवायत शुरू की गई है.

वहीं, उत्तराखंड डिजास्टर रेस्क्यू प्रोजेक्ट के प्रमुख गिरीश जोशी ने कहा कि बिल्डिंग बाइलॉज के अध्ययन और इस वर्कशॉप से जो निष्कर्ष निकलेगा, उस पर जो रिपोर्ट आएगी. वो निश्चित तौर से सरकार के लिए उपयोगी साबित होगी.

Intro:Summary- workshop on "बिल्डिंग रेगुलेशन फॉर रिलिजेन्स इन उत्तराखंड"

एंकर- उत्तराखंड आपदा प्रबंधन और वर्ड बैंक के माध्यम से उत्तराखंड में भवन मनको को लेकर किये गए अध्यन के बाद आज देहरादून में इस विषय पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें देश के सभी हिमालय राज्यों के साथ देश में आपदा के लिहाज से सवेंदनशील राज्यों के आपदा प्रबंधको ने भाग लिया। कार्यशाला में खास तौर से आपदा सम्भावित राज्यों में भवन निर्माण और ढाँचागत विकास में मनको में नई जरूरतों पर चर्चा की गई। बिल्डिंग बायलॉज के अध्यन और कार्यशाला के निष्कर्ष के आधार पर सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी जिसे सरकार अपनी पॉलिसी में समाहित करेगी।


Body:वीओ- उत्तराखंड में लगातार भूकंप की संभावना को देखते हुए बुनियादी स्तर पर संरचनाओं और बिल्डिंग बायलॉज को कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किए जाने के मकसद से उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने विश्व बैंक के साथ मिलकर आज "बिल्डिंग रेगुलेशन फॉर रिलिजेन्स इन उत्तराखंड" टॉपिक पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में J&K, हिमाचल, यूपी, आंध्र प्रदेश सहित देश के कई राज्यों से सरकारी और गैर सरकारी विभागों के अधिकारियों के साथ-साथ विभिन्न संस्थानों संगठनों के लगभग 100 से ज्यादा व्यक्तियों ने भाग लिया।

गौरतलब है कि उत्तराखंड राज्य में भवन मानकों यानी बिल्डिंग बायलॉज के विस्तृत अध्ययन के लिए 2018 में वर्ल्ड बैंक के सहयोग से बिल्डिंग बायलॉज कंसलटेंसी की मुहिम शुरू की गई थी जिसका क्रियानयन डाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया था। कंसल्टेंसी का मुख्य उद्देश मौजूदा भवन निर्माण नियमों पर अपनी प्रस्तुतियां उपलब्ध कराना था ताकि पूरे राज्य में भूकंप सुरक्षित भवन निर्माण संबंधित एक्टिविटी को बढ़ावा मिल सके। आपदा प्रबंधन द्वारा बिल्डिंग बायलॉज को लेकर किए गए अध्ययन में शहरों के साथ-साथ गांव में विशेष रूप से सर्वे किया गया और यह पाया गया कि अमूमन ग्रामीण स्तर पर ग्राम प्रधान द्वारा ही भवनों का मानचित्र आदि की संस्तुति की जाती है और अधिकांश जगह पर मानचित्र को लेकर कोई मानक निर्धारित नहीं है जबकि इस प्रकार के कार्य एक प्राधिकरण की निगरानी में किए जाने जरूरी है।

आज देहरादून में आयोजित की गई कार्यशाला में उपस्थित उत्तराखंड आपदा प्रबंधन के निदेश पीयूष रौंतेला ने कहा कि बिल्डिंग बाइलॉज का सीधा सीधा सम्बन्ध हमारी सुरक्षा से हो चाहे वो मकान बनाए जाने के नियम हो या फायर सेफ्टी की बात हो तो ऐसे में हमे जरूरत है समय समय पर अपने मनको ओर धरातलीय स्थिति का आंकलन का जिसको लेकर ये पूरी कवायत शुरू की गई है। वहीं उत्तराखंड डिजास्टर रेस्क्यू प्रोजेक्ट के प्रमुख गिरीश जोशी ने कहा कि बिल्डिंग बाइलॉज के अध्ययन और इस वर्कशॉप से जो निष्कर्ष निकलेगा उस पर जो रिपोर्ट आएगी वो निश्चित तौर से सरकार के लिए उपयोगी साबित होगी।

बाइट- पीयूष रौंतेल, निदेशक आपदा प्रबंधन
बाइट- गिरीश जोशी, प्रोजेक्ट मैनेजर, उत्तराखंड डिजास्टर रेस्क्यू प्रोजेक्ट





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