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स्वयं सहायता समूह की महिलाएं तैयार कर रही ऑर्गेनिक गुलाल, जानिए खासियत - होली रंगों का त्योहार

पछवादून की स्वयं सहायता समूह की 500 से अधिक महिलाएं होली को नजदीक देखते हुए, इन दिनों ऑर्गेनिक यानी कि प्राकृतिक गुलाल तैयार करने के जुटी हुई हैं. इन प्राकृतिक गुलाल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि, यह त्वचा के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है. इससे किसी भी तरह की एलर्जी होने का खतरा नहीं है.

महिलाएं बना रही ऑर्गेनिक गुलाल
महिलाएं बना रही ऑर्गेनिक गुलाल
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Published : Mar 23, 2021, 3:24 PM IST

Updated : Mar 23, 2021, 5:40 PM IST

देहरादून: रंगों का पर्व होली में अब कुछ दिन ही शेष रह गए हैं. हालांकि, देश के कई राज्यों में बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या को देखते हुए इस बार होली को लेकर लोगों में उत्साह कुछ कम है. यह हिंदुओं का बड़ा पर्व है. इसलिए लोग सीमित संख्या में एक जगह एकत्रित होकर होली मनाने की तैयारियों में जुट चुके हैं.

बात होली की तैयारियों की करें तो पछवादून की स्वयं सहायता समूह की 500 से अधिक महिलाएं होली को नजदीक देखते हुए, इन दिनों ऑर्गेनिक यानी कि प्राकृतिक गुलाल तैयार करने के जुटी हुई हैं. इन प्राकृतिक गुलाल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि, यह त्वचा के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है. इससे किसी भी तरह की एलर्जी होने का खतरा नहीं है.

महिलाएं तैयार कर रहीऑर्गेनिक गुलाल
महिलाएं बना रही ऑर्गेनिक गुलाल

स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इन प्राकृतिक रंगों को किस तरह तैयार कर रही है. इसका जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम स्वयं सहायता समूह पहुंची. इस दौरान स्वयं सहायता समूह नारी शक्ति स्वरूपा महिला प्रदेश संगठन की अध्यक्ष गीता मौर्य ने बताया कि वह अपनी संगठन की सदस्यों के साथ मिलकर लगातार स्थानीय महिलाओं को प्राकृतिक गुलाल तैयार करने का प्रशिक्षण दे रही है. यह प्राकृतिक गुलाल आरारोट में अलग-अलग तरह के फूड कलर मिलाकर तैयार किया जा रहा है. इसके साथ ही कुछ प्राकृतिक गुलाल ऐसे भी हैं, जिन्हें फल सब्जियों के रस से तैयार किया जा रहा है.

महिलाएं बना रही ऑर्गेनिक गुलाल

ये भी पढ़ें: कुंभ शुरू होने से पहले ही धंसा अस्थायी पुल, निर्माण कार्यों पर उठे सवाल

गीता बताती हैं कि इन प्राकृतिक गुलालों को महिलाएं बड़ी ही आसानी से अपने घरों मैं भी तैयार कर सकती हैं. यह प्राकृतिक गुलाल महज एक दिन में तैयार किया जा सकता है. वहीं, प्राकृतिक गुलाल को तैयार करने का प्रशिक्षण लेकर स्थानीय महिलाएं काफी खुश हैं. उनके मुताबिक अब तक वह बाजार से सिंथेटिक गुलाल खरीदा करती थी, लेकिन अब वह अपने घर पर ही आसानी से प्राकृतिक गुलाल तैयार कर रही हैं, जो बेहद ही कम समय और कम मेहनत में बनकर तैयार भी हो जाता है. वह चाहती हैं कि लोग इस बार होली के मौके पर प्राकृतिक गुलाल का ही इस्तेमाल करें.

स्वयं सहायता समूह नारी शक्ति स्वरूपा महिला प्रदेश संगठन की सचिव रीता नेगी बताती हैं कि जल्द ही उनके समूह की ओर से तैयार किए जा रहे इन प्राकृतिक रंगों के स्टॉल्स अलग-अलग स्थानोंं में लगाए जाएंगे, जिससे कि लोग इस बार होली में इन प्राकृतिक गुलाल का इस्तेमाल कर सकें. हालांकि, बाजार मेंं मिलने वाले सिंथेटिक गुलाल की तुलना में इन प्राकृतिक गुलाल के दाम 10 से 20 अधिक है, लेकिन यह त्वचा के लिए पूरी तरह सुरक्षित है.

देहरादून: रंगों का पर्व होली में अब कुछ दिन ही शेष रह गए हैं. हालांकि, देश के कई राज्यों में बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या को देखते हुए इस बार होली को लेकर लोगों में उत्साह कुछ कम है. यह हिंदुओं का बड़ा पर्व है. इसलिए लोग सीमित संख्या में एक जगह एकत्रित होकर होली मनाने की तैयारियों में जुट चुके हैं.

बात होली की तैयारियों की करें तो पछवादून की स्वयं सहायता समूह की 500 से अधिक महिलाएं होली को नजदीक देखते हुए, इन दिनों ऑर्गेनिक यानी कि प्राकृतिक गुलाल तैयार करने के जुटी हुई हैं. इन प्राकृतिक गुलाल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि, यह त्वचा के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है. इससे किसी भी तरह की एलर्जी होने का खतरा नहीं है.

महिलाएं तैयार कर रहीऑर्गेनिक गुलाल
महिलाएं बना रही ऑर्गेनिक गुलाल

स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इन प्राकृतिक रंगों को किस तरह तैयार कर रही है. इसका जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम स्वयं सहायता समूह पहुंची. इस दौरान स्वयं सहायता समूह नारी शक्ति स्वरूपा महिला प्रदेश संगठन की अध्यक्ष गीता मौर्य ने बताया कि वह अपनी संगठन की सदस्यों के साथ मिलकर लगातार स्थानीय महिलाओं को प्राकृतिक गुलाल तैयार करने का प्रशिक्षण दे रही है. यह प्राकृतिक गुलाल आरारोट में अलग-अलग तरह के फूड कलर मिलाकर तैयार किया जा रहा है. इसके साथ ही कुछ प्राकृतिक गुलाल ऐसे भी हैं, जिन्हें फल सब्जियों के रस से तैयार किया जा रहा है.

महिलाएं बना रही ऑर्गेनिक गुलाल

ये भी पढ़ें: कुंभ शुरू होने से पहले ही धंसा अस्थायी पुल, निर्माण कार्यों पर उठे सवाल

गीता बताती हैं कि इन प्राकृतिक गुलालों को महिलाएं बड़ी ही आसानी से अपने घरों मैं भी तैयार कर सकती हैं. यह प्राकृतिक गुलाल महज एक दिन में तैयार किया जा सकता है. वहीं, प्राकृतिक गुलाल को तैयार करने का प्रशिक्षण लेकर स्थानीय महिलाएं काफी खुश हैं. उनके मुताबिक अब तक वह बाजार से सिंथेटिक गुलाल खरीदा करती थी, लेकिन अब वह अपने घर पर ही आसानी से प्राकृतिक गुलाल तैयार कर रही हैं, जो बेहद ही कम समय और कम मेहनत में बनकर तैयार भी हो जाता है. वह चाहती हैं कि लोग इस बार होली के मौके पर प्राकृतिक गुलाल का ही इस्तेमाल करें.

स्वयं सहायता समूह नारी शक्ति स्वरूपा महिला प्रदेश संगठन की सचिव रीता नेगी बताती हैं कि जल्द ही उनके समूह की ओर से तैयार किए जा रहे इन प्राकृतिक रंगों के स्टॉल्स अलग-अलग स्थानोंं में लगाए जाएंगे, जिससे कि लोग इस बार होली में इन प्राकृतिक गुलाल का इस्तेमाल कर सकें. हालांकि, बाजार मेंं मिलने वाले सिंथेटिक गुलाल की तुलना में इन प्राकृतिक गुलाल के दाम 10 से 20 अधिक है, लेकिन यह त्वचा के लिए पूरी तरह सुरक्षित है.

Last Updated : Mar 23, 2021, 5:40 PM IST
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