देहरादून: उत्तराखंड होमगार्ड्स सेवा में कुछ ऐसे बड़े बदलाव किए जा रहे हैं, जो होमगार्ड्स की छवि को बदलकर रख देंगे. पिछले करीब 6 महीनों में ऐसे कई निर्णय लिए गए हैं, जो होमगार्ड्स को पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाने में सहयोग करेंगे. इसी कड़ी में पहली बार महिला होमगार्ड्स को हथियार प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिसके तहत 68 महिला होमगार्ड्स का बैच प्रशिक्षित किया गया है. वहीं, इससे पहले ऐसे ही 4 पुरुष होमगार्ड्स के बैच प्रशिक्षित किए जा चुके हैं.
राज्य में ट्रैफिक संभालते या दफ्तरों में फाइलों को ले जाते होमगार्ड्स तो आपने देखे होंगे, लेकिन अब जल्द आप हथियारों से लैस प्रशिक्षित होमगार्ड्स भी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते हुए देख सकेंगे. जी हां, प्रदेश में पहली बार होमगार्ड्स को SLR हथियार का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यही नहीं पहली बार महिला होमगार्ड भी इस हथियार चलाने में प्रशिक्षित हो रही हैं. यह प्रशिक्षण कुल 13 दिन का दिया जा रहा है, जिसमें कुछ फिजिकल एक्टिविटी के साथ फायरिंग रेंज में एसएलआर चलाने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है.
राज्य में 3 जनवरी से होमगार्ड्स को हथियारों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिसमें अब तक चार पुरुष होमगार्ड के बैच प्रशिक्षण ले चुके हैं. जबकि पांचवां बैच महिला होमगार्ड का है. प्रशिक्षण के दौरान प्रत्येक महिला होमगार्ड से 25 राउंड फायरिंग करवाई गई है. होमगार्ड के डीआईजी राजीव बलूनी कहते हैं कि पिछले कुछ समय में होमगार्ड्स की छवि सुधारने और उनका ओवरऑल परफॉर्मेंस बेहतर करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं. जिसमें होमगार्ड्स को हथियारों का प्रशिक्षण देना भी शामिल है.
प्रदेश में सामान्य तौर पर देखें तो पुलिस के मुकाबले होमगार्ड्स को लेकर आम लोगों की मानसिकता काफी खराब दिखाई देती है. इसके पीछे के कारण उनकी कम फिजिकल फिटनेस के साथ ही कानूनी शक्तियों का कम होना भी है. लिहाजा जहां तक हो सकता है, होमगार्ड्स की इस छवि को सुधारने के लिए कुछ नए प्रयोग किए गए हैं. खास तौर पर आईजी के तौर पर होमगार्ड की जिम्मेदारी संभालने वाले केवल खुराना ने इस दिशा में कुछ नई पहल की है.
होमगार्ड की सुविधाओं और उनकी परफॉर्मेंस सुधारने के लिए प्रयोग
वैसे होमगार्ड भर्ती के दौरान शहरी क्षेत्र में 42 दिन की ट्रेनिंग, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 57 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है. उधर सशस्त्र ड्यूटी के रूप में चुनाव के समय और थानों में सशस्त्र कारागार में होमगार्ड ड्यूटी करते हैं, लेकिन अब प्रशिक्षण के बाद पूरे आत्मविश्वास के साथ होमगार्ड सुरक्षा से जुड़ी ड्यूटी कर सकेंगे. फिलहाल पांचवीं और आठवीं शैक्षणिक योग्यता वाले युवा होमगार्ड में भर्ती हो सकते हैं, लेकिन अब होमगार्ड भर्ती नियमावली में बदलाव कर न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता दसवीं करने की तैयारी की जा रही है. होमगार्ड के लिए पहल एप की भी शुरुआत की गई थी, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को लेकर उपयोग भी साबित हो रहा है.
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प्रशिक्षण के बाद महिला होमगार्ड कहती हैं कि इससे उनकी न केवल स्किल बढ़ी है, बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी आया है. अब वे अपने मौजूदा कार्यों के साथ सुरक्षा से जुड़े अतिरिक्त कार्य कर सकती हैं. प्रशिक्षण में अफसरों के सहयोग और उन्हें मिल रहे नए मौके पर अपनी बात रखते हुए महिला होमगार्ड कहती हैं कि 13 दिन की ट्रेनिंग के दौरान, उन्होंने बहुत कुछ सीखा है. इसमें अनुशासन से लेकर हथियार की जानकारी भी शामिल है.
होमगार्ड को पुलिस की तरह ही प्रशिक्षित और स्किल्ड करने के लिए और भी कुछ नई पहल की गई हैं, जो राज्य में अब तक के इतिहास में पहली बार ही देखने को मिली हैं. जहां एक तरफ 42 जवानों को जांबाज दस्ते के रूप में तैयार किया गया है, जो पुलिस के जवानों की तरह ही फर्राटेदार दोपहिया वाहन दौड़ाते और करतब करने में माहिर हैं. वही विभागीय पाइप बैंड भी तैयार किया जा रहा है, जो होमगार्ड्स को नई पहचान देगा. होमगार्ड की सुविधा के लिए 6 महीने चिकित्सीय अवकाश से लेकर उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए भी अलग-अलग कदम उठाए जा रहे हैं.
वैसे अब तक होमगार्ड का उपयोग ट्रैफिक संभालने और दफ्तरों में पुलिस के सहयोगी के रूप में किया जाता था. लेकिन अब सुरक्षा के लिहाज से भी तमाम संस्थानों में इनका प्रयोग किया जा सकता है. अप्रैल में शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान भी होमगार्ड अपनी भूमिका अदा करेंगे. वैसे तो राज्य में होमगार्ड के 6,411 पद स्वीकृत है, जिसमें 5,700 होमगार्ड विभिन्न जिलों में तैनात है. जबकि आने वाले दिनों में कुछ नई भर्तियों के जरिए इनकी संख्या बढ़ने जा रही है. जिसके बाद पुलिस पर अनावश्यक भारी दबाव को कुछ कम किया जा सकेगा.