देहरादून: पहाड़ों की रानी मसूरी की प्राकृतिक खूबसूरती का कोई जवाब नहीं है. मगर इस पहाड़ी शहर को नेचर ने कई खूबसूरत और भी नजारे दिए हैं. मसूरी में अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच कभी-कभी सूर्यास्त के बाद एक अनोखा नजारा पश्चिम दिशा के आसमान की ओर प्रकट होता है.
एक रंग उभरता है. मानों कुदरत ने ये तस्वीर सिर्फ मसूरी के लिए ही खींची हो. इसी रेखा को विंटर लाइन कहते हैं. जो भी इस रंगीन रेखा को देखता है, बस देखता ही रह जाता है. दुनिया में विंटर लाइन का नजारा स्विट्जरलैंड, दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन और भारत में सिर्फ मसूरी में दिखाई देता है. हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक मसूरी में विंटर लाइन देखने को पहुंचते हैं. लेकिन, उत्तराखंड में भारी बारिश को लेकर जारी अलर्ट के बीच सैलानियों को मायूसी का सामना करना पड़ा. कुछ सौभाग्यशाली पर्यटक ही इसे देख पाए.
सूर्यास्त के बाद दिखती है विंटर लाइन: आमतौर पर मसूरी में अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा में आसमान में एक अनोखा नजारा दिखाई होता है. आसमान में एक रंग उभरता है, मानो कुदरत अपना जादू बिखेर रही हो. लाल, नारंगी इस रंगीन रेखा को जो भी देखता है, बस देखता ही रह जाता है. इसे ही विंटर लाइन कहते हैं.
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कुछ जगहों पर ही दिखता है अद्भुत नजारा: प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक गणेश सैली का कहना है कि यह एक अद्भुत घटना है, जो दुनिया में कुछ जगहों पर ही दिखाई देती है. इसमें मसूरी, दक्षिण अफ्रीका का केपटाउन और स्विटजरलैंड शामिल हैं. ये दुनिया की सबसे बड़ी रेखा है, जो इतने बड़े आसमान में दिखाई देती है.
विंटर लाइन क्या है?: विंटर लाइन के बारे में बताया जाता है कि यह रेखा धूल के कणों से बनती है, जो शाम के समय धूल के अधिक ऊपर उठने के कारण इस पर पड़ने वाली सूरज की किरणों से चमक उठती है. धूल के कण जितने अधिक होते हैं, विंटर लाइन उतनी ही अधिक गहरी बनती है. यह रेखा अक्टूबर माह से फरवरी तक मसूरी से दून घाटी के ऊपर दिखाई देती है.