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हिममानव पर वैज्ञानिकों ने सेना के दावे को किया खारिज, कहा- येति महज एक कल्पना - मकालू-बरुन नेशनल पार्क

वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के डीन जीएस रावत ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि येति महज एक कल्पना के अवाला कुछ नहीं है.

Yeti existence
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Published : May 1, 2019, 11:26 PM IST

देहरादून: हिमालय पर महामानव 'येति' की मौजूदगी का सालों पुराना सवाल एक बार फिर चर्चा में है. रविवार को भारतीय सेना ने हिमालय में हिम मानव 'येति' की मौजूदगी का दावा किया है. इसको लेकर सेना ने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीर भी शेयर की थीं. लेकिन भारतीय सेना के इस दावे को वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों ने पूरी तरह खारिज कर दिया है. वैज्ञानिकों ने ऐसे कोई चीज न होने की बात कही है.

पढ़ें- हिमालय पर 'हिममानव' की मौजूदगी के सबूत, भारतीय सेना ने जारी की तस्वीरें

वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के डीन जीएस रावत ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि येति महज एक कल्पना के अवाला कुछ नहीं है. रावत के मुताबिक नेपाल में सेना को जो पैरों के निशान दिखाई दे थे वे ब्राउन बीयर के हो सकते हैं. अक्सर नरम बर्फ पर छोटे निशान भी बाद में बड़े हो जाते हैं.

बता दें कि भारतीय सेना ने रविवार को कुछ तस्वीरें ट्वीट कीं थी, जिनमें विशालकाय पैरों के निशान दिखाई दे रहे हैं. ये निशान आकार में 32x15 इंच तक हैं, जो असामान्य हैं. इसके माध्यम से भारतीय सेना ने हिमालय में हिममानव की मौजूदगी के संकेत दिए थे. बर्फ पर पैरों के ये निशाना नेपाल के पास स्थित मकालू बेस कैंप पर पाए गए थे. सेना की ओर से ये भी कहा गया कि मकालू बरुण नेशनल पार्क में पहले भी हिम मानव के दिखने का आभास हुआ है.

पढ़ें- ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष को विधायक कर्णवाल से जान का खतरा, मानसिक उत्पीड़न का भी आरोप

जब इस बारे में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों से बात की गई तो उन्होंने इसे पूरी तरह से नाकार दिया. वैज्ञानिकों ने ऐसे कोई चीज न होने की बात कही है.

नेपाली लोकगीतों में भी जिक्र
वर्षों तक 'येती' की मौजूदगी, उसके पैरों के निशान, उसके बाल आदि को लेकर कहानियां आती रहीं. इन सबके बावजूद इस विचित्र प्राणी की कोई तस्‍वीर सामने नहीं आई. नेपाली लोकगीतों में 'येती' का जिक्र एक बंदर जैसे हिममानव के तौर पर सामने आता है. इसे औसत इंसान की कद-काठी से लंबा बताया गया है. मान्‍यता है कि यह हिमालय, साइबेरिया, मध्य और पूर्वी एशिया में रहता है.

देहरादून: हिमालय पर महामानव 'येति' की मौजूदगी का सालों पुराना सवाल एक बार फिर चर्चा में है. रविवार को भारतीय सेना ने हिमालय में हिम मानव 'येति' की मौजूदगी का दावा किया है. इसको लेकर सेना ने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीर भी शेयर की थीं. लेकिन भारतीय सेना के इस दावे को वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों ने पूरी तरह खारिज कर दिया है. वैज्ञानिकों ने ऐसे कोई चीज न होने की बात कही है.

पढ़ें- हिमालय पर 'हिममानव' की मौजूदगी के सबूत, भारतीय सेना ने जारी की तस्वीरें

वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के डीन जीएस रावत ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि येति महज एक कल्पना के अवाला कुछ नहीं है. रावत के मुताबिक नेपाल में सेना को जो पैरों के निशान दिखाई दे थे वे ब्राउन बीयर के हो सकते हैं. अक्सर नरम बर्फ पर छोटे निशान भी बाद में बड़े हो जाते हैं.

बता दें कि भारतीय सेना ने रविवार को कुछ तस्वीरें ट्वीट कीं थी, जिनमें विशालकाय पैरों के निशान दिखाई दे रहे हैं. ये निशान आकार में 32x15 इंच तक हैं, जो असामान्य हैं. इसके माध्यम से भारतीय सेना ने हिमालय में हिममानव की मौजूदगी के संकेत दिए थे. बर्फ पर पैरों के ये निशाना नेपाल के पास स्थित मकालू बेस कैंप पर पाए गए थे. सेना की ओर से ये भी कहा गया कि मकालू बरुण नेशनल पार्क में पहले भी हिम मानव के दिखने का आभास हुआ है.

पढ़ें- ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष को विधायक कर्णवाल से जान का खतरा, मानसिक उत्पीड़न का भी आरोप

जब इस बारे में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों से बात की गई तो उन्होंने इसे पूरी तरह से नाकार दिया. वैज्ञानिकों ने ऐसे कोई चीज न होने की बात कही है.

नेपाली लोकगीतों में भी जिक्र
वर्षों तक 'येती' की मौजूदगी, उसके पैरों के निशान, उसके बाल आदि को लेकर कहानियां आती रहीं. इन सबके बावजूद इस विचित्र प्राणी की कोई तस्‍वीर सामने नहीं आई. नेपाली लोकगीतों में 'येती' का जिक्र एक बंदर जैसे हिममानव के तौर पर सामने आता है. इसे औसत इंसान की कद-काठी से लंबा बताया गया है. मान्‍यता है कि यह हिमालय, साइबेरिया, मध्य और पूर्वी एशिया में रहता है.

Intro:नोट-इसमे 2 पिक्स attach किये हैं।

हिम मानव यति को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है दरअसल हाल ही में भारतीय सेना ने नेपाल के मकालु बेस कैंप में यति के फुटप्रिंट मिलने का दावा किया है जिसके बाद अब हिम मानव के होने को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। खास बात यह है कि वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों ने सेना के इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और यदि जैसी कोई भी चीज नहीं होने की बात कही है।


Body:अक्सर कहानियों में ऐसे बहुत सारे किरदार होते हैं जिनकी कल्पना ही मात्र की जाती है हकीकत में उसको लेकर कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं होता उसी में से एक हिम मानव या यति भी है यति एक महामानव की कल्पना है जिसको लेकर समय समय पर चर्चाएं होती रहती हैं। सालों से उच्च हिमालई क्षेत्रों में यति के फुटप्रिंट होने को लेकर दावे किए जाते रहें हैं। यह कहा जाता रहा है कि उच्च हिमालई क्षेत्रों में महामानव रहते हैं जिनके समय-समय पर पांव के निशान होने की बात कही जाती है। फूलों की घाटी को खोजने वाले माउंटेनियर फ्रेंक स्माइथी मे तो महामानव पर किताब भी लिखी है। यह बातें फिलहाल इसलिए चर्चाओं में है क्योंकि सेना ने एक बार फिर यति के पैरों के निशान होने को लेकर दावा किया है और बकायदा इसकी कुछ फोटोग्राफ्स भी जारी की है। लेकिन इन दावों के उलट डब्लूआईआई के वैज्ञानिक इन दावों को पूरी तरह से खारिज कर रहे हैं। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के डीन जी एस रावत ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा की यति महज एक कल्पना है और कुछ भी नहीं। जी एस रावत ने बताया कि नेपाल में सेना को जिस फुटप्रिंट के मिलने की बात कही जा रही है वह ब्राउन बियर के हो सकते हैं और अक्सर नरम बर्फ पर छोटे निशान भी बाद में बड़े हो जाते हैं।


Conclusion:बहरहाल वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों ने तो इस को आधारहीन बता दिया है लेकिन सेना के दावों और फोटोग्राफ्स ने एक बार फिर इन चर्चाओं को बहस के लिए खोल दिया है।
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