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अगर किसी ने आपके नाम से डाला फर्जी वोट, तो मतदान के लिए आप अपनाएं ये आसान प्रक्रिया

मतदान के दौरान यदि कोई व्यक्ति किसी मतदाता के नाम पर फर्जी वोट डाल देता है. तो उसे बोगस वोटिंग कहते है. बोगस वोटिंग रोकने के लिए निर्वाचित आयोग के कुछ नियम है जिसके तहत असली मतदाता अपने मत का प्रयोग कर पाएंगे.

निर्वाचन आयोग
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Published : Apr 8, 2019, 9:50 AM IST

Updated : Apr 8, 2019, 12:19 PM IST

देहरादून: लोकसभा चुनाव 2019 के लिए 11 अप्रैल को उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीट पर मतदान किया जाना है. प्रदेश में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए निर्वाचन आयोग ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है. बावजूद इसके देखा जाता है कि कुछ लोगों अपने प्रत्याशी को जीतने में लिए बोगस वोटिंग करते है. ऐसे में असली वोटर अपने वोट से वंचित रह जाता है. ऐसे में असली वोटर कैसे अपने मत का प्रयोग करके इसके लिए निर्वाचन आयोग ने ईटीवी भारत के साथ अहम जानकारी साझा की है. ताकि असली वोटर लोकतंत्र के इस पर्व में हिस्सा ले सके.

ऐसे करे टेंडर मतदान.

पढ़ें- NSA चीफ अजीत डोभाल के बेटे शौर्य भाजपा के लिए मांग रहे वोट

मतदान के दौरान यदि कोई व्यक्ति किसी मतदाता के नाम पर फर्जी वोट डाल देता है. तो उसे बोगस वोटिंग कहते है. बोगस वोटिंग रोकने के लिए निर्वाचित आयोग के कुछ नियम है जिसके तहत असली मतदाता अपने मत का प्रयोग कर पाएंगे. जी हां यदि किसी मतदाता का वोट किसी और व्यक्ति ने डाल दिया है तो असली मतदाता टेंडर वोट डालने का अधिकार रखता है.

पढ़ें- कांग्रेस ने भाजपा पर लगाई आरोपों की झड़ी, पार्टी ने जारी की 12 पन्नों की चार्जशीट

क्या है टेंडर वोट?
निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी मतदाता के वोट को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा डाले जाने की स्थिति में असली मतदाता टेंडर वोट के जरिये मतदान कर सकता है. इसके लिए असली मतदाता को बूथ पर बैठे पीठासीन अधिकारी से बात करनी होगी. जिसके बाद पीठासीन अधिकारी इस पूरे मामले की जांच करेगा और यदि जांच में पहचान सही पायी जाती है तो अधिकारी असली मतदाता को टेंडर वोट डालने की अनुमति देगा. इसके लिए पीठासीन अधिकारी असली मतदाता को टेंडर बैलेट पेपर पर वोट कराएगा और फर्जी मतदाताओं के बोगस वोट की धारा 49 (पी) के जरिये निरस्त किया जाएगा.

सभी बूथों पर 20 टेंडर बैलेट पेपर होता है
बोगस वोटिंग को देखते हुए निर्वाचन आयोग सभी बूथों पर 20-20 टेंडर बैलेट पेपर रखता है. अगर उसके बूथ पर कोई व्यक्ति बोगस वोट कर जाता है, तो उसकी जगह असली मतदाता को पीठासीन अधिकारी टेंडर बैलेट के जरिए मतदान करवाता है. टेंडर बैलेट को पीठासीन अधिकारी मतदाता के सामने ही सील करेगा. मतदाता की संतुष्टि के लिए पीठासीन अधिकारी टेंडर बैलेट की जानकारी 17 (बी) और 17 (सी) फॉर्म में भरेगा और मतदाता से हस्ताक्षर कराएगा.

पढ़ें- देश की संसद को हरीश रावत ने बताया बंदर बाड़ा, कहा- नैनीताल से जाएगा ये बंदर

क्या होता है चैलेंज वोट?
चैलेंज वोट या टेंडर वोट एक ही प्रक्रिया में इस्तेमाल किया जाने वाले शब्द हैं. अगर किसी गड़बड़ी के चलते किसी मतदाता के मताधिकार का प्रयोग कोई अन्य व्यक्ति कर लेता है तो असली मतदाता को स्वयं के परिचय का प्रमाण देना होगा. प्रमाणित होने के बाद असली मतदाता से दोबारा वोट करवाया जाएगा. नकली मतदाता के वोट को टेंडर वोट और असली मतदाता के वोट को चैलेंज वोट घोषित किया जाता है.

देहरादून: लोकसभा चुनाव 2019 के लिए 11 अप्रैल को उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीट पर मतदान किया जाना है. प्रदेश में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए निर्वाचन आयोग ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है. बावजूद इसके देखा जाता है कि कुछ लोगों अपने प्रत्याशी को जीतने में लिए बोगस वोटिंग करते है. ऐसे में असली वोटर अपने वोट से वंचित रह जाता है. ऐसे में असली वोटर कैसे अपने मत का प्रयोग करके इसके लिए निर्वाचन आयोग ने ईटीवी भारत के साथ अहम जानकारी साझा की है. ताकि असली वोटर लोकतंत्र के इस पर्व में हिस्सा ले सके.

ऐसे करे टेंडर मतदान.

पढ़ें- NSA चीफ अजीत डोभाल के बेटे शौर्य भाजपा के लिए मांग रहे वोट

मतदान के दौरान यदि कोई व्यक्ति किसी मतदाता के नाम पर फर्जी वोट डाल देता है. तो उसे बोगस वोटिंग कहते है. बोगस वोटिंग रोकने के लिए निर्वाचित आयोग के कुछ नियम है जिसके तहत असली मतदाता अपने मत का प्रयोग कर पाएंगे. जी हां यदि किसी मतदाता का वोट किसी और व्यक्ति ने डाल दिया है तो असली मतदाता टेंडर वोट डालने का अधिकार रखता है.

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क्या है टेंडर वोट?
निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी मतदाता के वोट को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा डाले जाने की स्थिति में असली मतदाता टेंडर वोट के जरिये मतदान कर सकता है. इसके लिए असली मतदाता को बूथ पर बैठे पीठासीन अधिकारी से बात करनी होगी. जिसके बाद पीठासीन अधिकारी इस पूरे मामले की जांच करेगा और यदि जांच में पहचान सही पायी जाती है तो अधिकारी असली मतदाता को टेंडर वोट डालने की अनुमति देगा. इसके लिए पीठासीन अधिकारी असली मतदाता को टेंडर बैलेट पेपर पर वोट कराएगा और फर्जी मतदाताओं के बोगस वोट की धारा 49 (पी) के जरिये निरस्त किया जाएगा.

सभी बूथों पर 20 टेंडर बैलेट पेपर होता है
बोगस वोटिंग को देखते हुए निर्वाचन आयोग सभी बूथों पर 20-20 टेंडर बैलेट पेपर रखता है. अगर उसके बूथ पर कोई व्यक्ति बोगस वोट कर जाता है, तो उसकी जगह असली मतदाता को पीठासीन अधिकारी टेंडर बैलेट के जरिए मतदान करवाता है. टेंडर बैलेट को पीठासीन अधिकारी मतदाता के सामने ही सील करेगा. मतदाता की संतुष्टि के लिए पीठासीन अधिकारी टेंडर बैलेट की जानकारी 17 (बी) और 17 (सी) फॉर्म में भरेगा और मतदाता से हस्ताक्षर कराएगा.

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क्या होता है चैलेंज वोट?
चैलेंज वोट या टेंडर वोट एक ही प्रक्रिया में इस्तेमाल किया जाने वाले शब्द हैं. अगर किसी गड़बड़ी के चलते किसी मतदाता के मताधिकार का प्रयोग कोई अन्य व्यक्ति कर लेता है तो असली मतदाता को स्वयं के परिचय का प्रमाण देना होगा. प्रमाणित होने के बाद असली मतदाता से दोबारा वोट करवाया जाएगा. नकली मतदाता के वोट को टेंडर वोट और असली मतदाता के वोट को चैलेंज वोट घोषित किया जाता है.

Intro:लोकतंत्र के महापर्व लोकसभा चुनाव 2019 के मतदान होने में कुछ ही दिन बचे हैं। देशभर में चुनाव का मतदान सात चरणों में किया जाएगा। और 23 मई को मतगणना के साथ ही मतदान के परिणाम की घोषणा की जाएगी। हालांकि चुनाव में कई बार देखा गया है कि असली मतदाता के नाम पर कोई दूसरा व्यक्ति मतदान कर दिया है। और जब असली मतदाता, मतदान करने आता है तो वह मतदान नही कर पता है। ऐसे में ईटीवी भारत आपको निर्वाचन आयोग के कुछ बातों को बताने जा रहा है। कि इस स्थिति में कैसे असली मतदाता, मतदान कर पाएंगे।


Body:मतदान के दौरान यदि कोई व्यक्ति किसी मतदाता के नाम पर फर्जी वोट डाल देता है। जिसे बोगस वोटिंग कहते है। बोगस वोटिंग रोकने के लिए निर्वाचित आयोग के कुछ नियम है जिसके तहत असली मतदाता अपने मत का प्रयोग कर पाएंगे। जी हाँ यदि किसी मतदाता का वोट किसी और व्यक्ति ने डाल दिया है तो असली मतदाता टेंडर वोट डालने का अधिकार रहता है।

निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी मतदाता के वोट को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा डाले जाने की स्थिति में असली मतदाता टेंडर वोट के जरिये मतदान कर सकता है। इसके लिए असली मतदाता को बूथ पर बैठे पीठासीन अधिकारी से बात करनी होगी। जिसके बाद पीठासीन अधिकारी इस पूरे मामले की जांच करेगा और जांच में यदि पहचान सही पायी गयी तो असली मतदाता को टेंडर वोट डालने की अनुमति देगा। इसके लिए पीठासीन अधिकारी असली मतदाता को टेंडर्ड बैलेट पेपर पर वोट कराएगा। और फर्जी मतदाताओ के बोगस वोट को धारा 49 (पी) के जरिये निरस्त किया जाएगा।

सभी बूथों पर 20 टेंडर्ड बैलेट पेपर होता है.....

बोगस वोटिंग को देखते हुए निर्वाचन आयोग सभी बूथों पर 20-20 टेंडर्ड बैलेट पेपर रखता हैं। क्योकि अगर किसी भी बूथ पर बोगस वोटिंग होने की स्थिति में वहां बैठे पीठासीन अधिकारी असली मतदाता को टेंडर्ड वैलेट पेपर के जरिए टेंडर वोट करा सके। टेंडर वोट करने के बाद मतदाता के सामने ही पीठासीन अधिकारी टेंडर वोट को सील करेगा। इसके साथ ही टेंडर वोट की जानकारी को पीठासीन अधिकारी 17 (बी) और 17 (सी) फॉर्म में भरेगा और मतदाता से सिग्नेचर कराएगा।


चुनाव मतदान में क्या होता है चैलेंज वोट.....

कई बार देखने को मिलता है कि चुनाव में पोलिंग एजेंट शिकायत लेकर वोटिंग एजेंट के पास आते है कि फर्जी मतदाता, किसी अन्य मतदाता के नाम पर वोट डालने आया हैं। ऐसी स्थिति में शिकायतकर्ता को पीठासीन अधिकारी के पास दो रुपये जमा करना होता है। और फिर पीठासीन अधिकारी इस मामले की जांच करता है। और जांच में अगर मतदान देने आया मतदाता ही असली मतदाता होता है तो उसे मतदान देने की अनुमति दी जाती है। साथ ही शिकायतकर्ता का दो रुपये फीस जप्त कर ली जाती है। इस तरह के मतदान को चैलेंज वोट कहते है। इसके साथ ही अगर यह साबित हो जाता है कि वोट देने आया मतदाता फर्जी है। तो उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया जाता है और शिकायतकर्ता को दो रुपये वापिस दे दिया जाता है।


Conclusion:
Last Updated : Apr 8, 2019, 12:19 PM IST
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