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20 सालों में 2 दोगुना हुआ वेस्टर्न डिस्टरबेंस, उत्तराखंड में बना तबाही की वजह, वैज्ञानिकों की रिसर्च ने बढ़ाई चिंता

Western disturbance Effect in Uttarakhand उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों के लिए पश्चिमी विक्षोभ तबाही की वजह बन रहा है. पिछले कुछ समय में हिमाचल और उत्तराखंड में हुई तबाही की घटनाओं के पीछे पश्चिमी विक्षोभ को भी वजह माना जा रहा है. अध्ययन से पता चला है कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तर भारत में मौसम में बदलाव हो रहा है, जिसके कारण तबाही की घटनाएं हो रही हैं. what is western disturbance

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20 सालों में 2 दोगुना हुआ वेस्टर्न डिस्टरबेंस
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 9, 2023, 4:21 PM IST

Updated : Nov 9, 2023, 10:57 PM IST

20 सालों में 2 दोगुना हुआ वेस्टर्न डिस्टरबेंस

देहरादून: उत्तराखंड में भले ही मानसून सीजन को आपदा के लिए बड़ा जिम्मेदार माना जाता हो, लेकिन हकीकत यह है कि इसके लिए वेस्टर्न डिस्टरबेंस भी उतना ही बड़ा जिम्मेदार है. दरअसल, वेस्टर्न डिस्टरबेंस का असर पिछले 20 सालों में करीब 2 गुना हो चुका है. अब मानसून के साथ पश्चिमी विक्षोभ का गठबंधन तबाही का कारण बन रहा है.

western disturbance
20 सालों में 2 दोगुना हुआ वेस्टर्न डिस्टरबेंस

देश और दुनिया में जहां जलवायु परिवर्तन मौसम के चक्र को बदल रहा है तो वहीं पश्चिमी विक्षोभ का असर उत्तर भारत के कुछ राज्यों के लिए तबाही साबित हो रहा है. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में वेस्टर्न डिस्टरबेंस का सबसे ज्यादा असर दिखाई दे रहा है. हैरानी की बात यह है कि पिछले कुछ समय में हिमाचल और उत्तराखंड में हुई तबाही की घटनाओं के पीछे पश्चिमी विक्षोभ को भी वजह माना जा रहा है. हालांकि इस पर कई वैज्ञानिक लगातार अध्ययन कर रहे हैं. इस पर कई रिसर्च पेपर भी पब्लिश हो चुके हैं. पिछले कुछ सालों में पश्चिमी विक्षोभ को लेकर आए नए अध्ययनों ने कई राज्यों की चिंता बढ़ा दी है.

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वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण वेदर पैटर्म चेंज हो रहा है.
पढ़ें-Western Disturbance: बदले वेदर पैटर्न ने बढ़ाई बागवानों की समस्या, वायु प्रदूषण से मैदानों में बढ़ी मरीजों की संख्या

वेस्टर्न डिस्टरबेंस पर कई अध्ययन प्रकाशित किए गए हैं. रिव्यूज ऑफ जिओ फिजिक्स जर्नल में प्रकाशित वेस्टर्न डिस्टरबेंस ए रिव्यू के अनुसार दिसंबर से मार्च के बीच करीब 16 से 24 बार पश्चिमी विक्षोभ की घटनाएं होती हैं. इस दौरान रुक-रुक कर कई बार ऊंचाई पर बहने वाली वेस्टर्न डिस्टरबेंस की हवाएं पहाड़ों से टकराकर बरसात करती हैं. इतना ही नहीं कुछ रिसर्च पेपर में इसके कारण तापमान में भी बदलाव होने की बात कही गई है. इन्हीं बातों को आगे रखते हुए पर्यावरण पर काम करने वाले वैज्ञानिक प्रोफेसर एसपी सती कहते हैं कि जिस तरह वेस्टर्न डिस्टरबेंस का व्यापक असर दिखाई दे रहा है, उससे उत्तर भारत में आपदा की घटनाएं भी दिखाई दे रही हैं. खासतौर पर हिमाचल और उत्तराखंड में इसके कारण कई बड़ी आपदाएं आई हैं. प्रोफेसर एसपी सती हिमाचल में आई आपदा के साथ ही उत्तराखंड में 2010 और केदारनाथ आपदा के लिए भी वेस्टर्न डिस्टरबेंस को ही जिम्मेदार मान रहे हैं.

western disturbance
हिमाचल में मानसून की बारिश के बाद मची तबाही
पढ़ें-देवभूमि पर फिर आई आफत! कई जिलों में भारी बारिश से तबाही

जानिए क्या होता है पश्चिमी विक्षोभ: वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक तरह का तूफान है, जो भूमध्य सागरीय क्षेत्र से उत्पन्न होता है. भारतीय उपमहाद्वीप में पश्चिम की तरफ से आने वाली इन हवाओं को पश्चिमी विक्षोभ कहा जाता है. यह हवाएं अफगानिस्तान पाकिस्तान और भारत के साथ नेपाल तक पहुंचती हैं. दरअसल तेज हवाओं के साथ अटलांटिक और भूमध्य सागर से नमी उत्तर भारत में पहुंचती है. जिसके कारण इन क्षेत्रों में तेज बारिश होती है. इस तरह से गर्म या अशांत हवाएं जब ऊंचाई पर सफर करते हुए पहाड़ों से टकराती हैं, तो इसका असर बारिश के रूप में होता है.

western disturbance
वेस्टर्न डिस्टरबेंस उत्तराखंड में बना तबाही की वजह
पढ़ें-Watch Weather Update: बाढ़ प्रभावित राज्यों में कम होगी बारिश, जानें बारिश पर IMD का अनुमान

जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में हो रहे बदलाव से बढ़ी चिंता: दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन के कारण जिस तरह मौसम चक्र में बदलाव हो रहा है, उसके कारण पश्चिमी विक्षोभ और मानसून के एक साथ हो रहे असर के कारण इससे प्रभावित क्षेत्रों में ज्यादा समस्याएं आ रही हैं. बताया गया है कि 2013 में केदारनाथ आपदा के दौरान भी पश्चिमी विक्षोभ के कारण तेज गर्म हवाओं ने इस क्षेत्र में भारी बारिश की. इस क्षेत्र में बड़ी आपदा का यह बड़ा कारण बना. सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि पश्चिमी विक्षोभ और मानसून के एक साथ होने के दौरान बारिश की मात्रा बढ़ जाती है. यह एक अलार्मिंग सिचुएशन बन जाती है.
पढ़ें-प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ के कारण बढ़ेगी ठंड, रहिये तैयार

पश्चिमी विक्षोभ का हिमाचल और उत्तराखंड पर सबसे ज्यादा असर: हाल ही में मानसून सीजन के दौरान हिमाचल और उत्तराखंड में भारी बारिश से खासा नुकसान हुआ. इस बार हिमाचल में इसके कारण ज्यादा तबाही देखने को मिली. मानसून सीजन के दौरान हिमाचल प्रदेश में करीब 123 घटनाएं हुई. उत्तराखंड में इस साल आपदा की 68 घटनाएं हुई. हिमाचल में करीब 425 लोगों की मौत हुई. उत्तराखंड में 73 लोगों ने अपनी प्राकृतिक आपदा में जान गंवाई. उत्तराखंड को आपदा सीजन के दौरान करीब 1500 करोड़ रुपए का नुकसान भी झेलना पड़ा. हिमाचल में यह नुकसान सैकड़ों करोड़ का रहा. जिसके कारण इन दोनों राज्यों की आर्थिकी बुरी तरह से हिल गई है.

20 सालों में 2 दोगुना हुआ वेस्टर्न डिस्टरबेंस

देहरादून: उत्तराखंड में भले ही मानसून सीजन को आपदा के लिए बड़ा जिम्मेदार माना जाता हो, लेकिन हकीकत यह है कि इसके लिए वेस्टर्न डिस्टरबेंस भी उतना ही बड़ा जिम्मेदार है. दरअसल, वेस्टर्न डिस्टरबेंस का असर पिछले 20 सालों में करीब 2 गुना हो चुका है. अब मानसून के साथ पश्चिमी विक्षोभ का गठबंधन तबाही का कारण बन रहा है.

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20 सालों में 2 दोगुना हुआ वेस्टर्न डिस्टरबेंस

देश और दुनिया में जहां जलवायु परिवर्तन मौसम के चक्र को बदल रहा है तो वहीं पश्चिमी विक्षोभ का असर उत्तर भारत के कुछ राज्यों के लिए तबाही साबित हो रहा है. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में वेस्टर्न डिस्टरबेंस का सबसे ज्यादा असर दिखाई दे रहा है. हैरानी की बात यह है कि पिछले कुछ समय में हिमाचल और उत्तराखंड में हुई तबाही की घटनाओं के पीछे पश्चिमी विक्षोभ को भी वजह माना जा रहा है. हालांकि इस पर कई वैज्ञानिक लगातार अध्ययन कर रहे हैं. इस पर कई रिसर्च पेपर भी पब्लिश हो चुके हैं. पिछले कुछ सालों में पश्चिमी विक्षोभ को लेकर आए नए अध्ययनों ने कई राज्यों की चिंता बढ़ा दी है.

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वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण वेदर पैटर्म चेंज हो रहा है.
पढ़ें-Western Disturbance: बदले वेदर पैटर्न ने बढ़ाई बागवानों की समस्या, वायु प्रदूषण से मैदानों में बढ़ी मरीजों की संख्या

वेस्टर्न डिस्टरबेंस पर कई अध्ययन प्रकाशित किए गए हैं. रिव्यूज ऑफ जिओ फिजिक्स जर्नल में प्रकाशित वेस्टर्न डिस्टरबेंस ए रिव्यू के अनुसार दिसंबर से मार्च के बीच करीब 16 से 24 बार पश्चिमी विक्षोभ की घटनाएं होती हैं. इस दौरान रुक-रुक कर कई बार ऊंचाई पर बहने वाली वेस्टर्न डिस्टरबेंस की हवाएं पहाड़ों से टकराकर बरसात करती हैं. इतना ही नहीं कुछ रिसर्च पेपर में इसके कारण तापमान में भी बदलाव होने की बात कही गई है. इन्हीं बातों को आगे रखते हुए पर्यावरण पर काम करने वाले वैज्ञानिक प्रोफेसर एसपी सती कहते हैं कि जिस तरह वेस्टर्न डिस्टरबेंस का व्यापक असर दिखाई दे रहा है, उससे उत्तर भारत में आपदा की घटनाएं भी दिखाई दे रही हैं. खासतौर पर हिमाचल और उत्तराखंड में इसके कारण कई बड़ी आपदाएं आई हैं. प्रोफेसर एसपी सती हिमाचल में आई आपदा के साथ ही उत्तराखंड में 2010 और केदारनाथ आपदा के लिए भी वेस्टर्न डिस्टरबेंस को ही जिम्मेदार मान रहे हैं.

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हिमाचल में मानसून की बारिश के बाद मची तबाही
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जानिए क्या होता है पश्चिमी विक्षोभ: वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक तरह का तूफान है, जो भूमध्य सागरीय क्षेत्र से उत्पन्न होता है. भारतीय उपमहाद्वीप में पश्चिम की तरफ से आने वाली इन हवाओं को पश्चिमी विक्षोभ कहा जाता है. यह हवाएं अफगानिस्तान पाकिस्तान और भारत के साथ नेपाल तक पहुंचती हैं. दरअसल तेज हवाओं के साथ अटलांटिक और भूमध्य सागर से नमी उत्तर भारत में पहुंचती है. जिसके कारण इन क्षेत्रों में तेज बारिश होती है. इस तरह से गर्म या अशांत हवाएं जब ऊंचाई पर सफर करते हुए पहाड़ों से टकराती हैं, तो इसका असर बारिश के रूप में होता है.

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वेस्टर्न डिस्टरबेंस उत्तराखंड में बना तबाही की वजह
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जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में हो रहे बदलाव से बढ़ी चिंता: दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन के कारण जिस तरह मौसम चक्र में बदलाव हो रहा है, उसके कारण पश्चिमी विक्षोभ और मानसून के एक साथ हो रहे असर के कारण इससे प्रभावित क्षेत्रों में ज्यादा समस्याएं आ रही हैं. बताया गया है कि 2013 में केदारनाथ आपदा के दौरान भी पश्चिमी विक्षोभ के कारण तेज गर्म हवाओं ने इस क्षेत्र में भारी बारिश की. इस क्षेत्र में बड़ी आपदा का यह बड़ा कारण बना. सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि पश्चिमी विक्षोभ और मानसून के एक साथ होने के दौरान बारिश की मात्रा बढ़ जाती है. यह एक अलार्मिंग सिचुएशन बन जाती है.
पढ़ें-प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ के कारण बढ़ेगी ठंड, रहिये तैयार

पश्चिमी विक्षोभ का हिमाचल और उत्तराखंड पर सबसे ज्यादा असर: हाल ही में मानसून सीजन के दौरान हिमाचल और उत्तराखंड में भारी बारिश से खासा नुकसान हुआ. इस बार हिमाचल में इसके कारण ज्यादा तबाही देखने को मिली. मानसून सीजन के दौरान हिमाचल प्रदेश में करीब 123 घटनाएं हुई. उत्तराखंड में इस साल आपदा की 68 घटनाएं हुई. हिमाचल में करीब 425 लोगों की मौत हुई. उत्तराखंड में 73 लोगों ने अपनी प्राकृतिक आपदा में जान गंवाई. उत्तराखंड को आपदा सीजन के दौरान करीब 1500 करोड़ रुपए का नुकसान भी झेलना पड़ा. हिमाचल में यह नुकसान सैकड़ों करोड़ का रहा. जिसके कारण इन दोनों राज्यों की आर्थिकी बुरी तरह से हिल गई है.

Last Updated : Nov 9, 2023, 10:57 PM IST
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