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रत्न पहनने से पहले इन बातों का जरूर रखें ध्यान, मिलेगी सुख समृद्धि - देहरादून की खबरें

प्राचीन काल से ही नौ ग्रहों में से किसी भी ग्रह के कमजोर होने पर ज्योतिष, आचार्य रत्न धारण करने की सलाह देते हैं. लेकिन आज के समय में बाजारों में बिकने वाले रत्न आप पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं. ऐसे में जानिए कैसे होती है असली रत्नों की पहचान.

देहरादून
कैसे करें असली रत्नों की पहचान
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Published : Sep 29, 2020, 1:48 PM IST

Updated : Sep 29, 2020, 1:56 PM IST

देहरादून: अगर आप अपनी कुंडली में मौजूद किसी भी ग्रह की दशा सुधारने के लिए रत्न धारण करने की सोच रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए. बता दें कि हिन्दू मान्यता के अनुसार प्राचीन काल से ही नौ ग्रहों में से किसी भी ग्रह के कमजोर होने पर ज्योतिष आचार्य रत्न धारण करने की सलाह देते हैं. नौ ग्रहों के आधार पर 9 तरह के रत्न उपलब्ध हैं. जिसमें हीरा, नीलम, पुखराज, पन्ना, मूंगा, मोती, माणिक्य, गोमेद और लहसुनिया रत्न शामिल है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि इन सभी रत्नों को विभिन्न ग्रहों के आधार पर ही पहना जाता है.

कैसे करें असली रत्नों की पहचान
ग्रहरत्न
शुक्रहीरा
शनिनीलम
बृहस्पतिपुखराज
मंगलपुखराज
चंद्रमोती
सूर्यमाणिक्य
राहुगोमेद
केतुलहसुनिया

बता दें कि हिंदू मान्यता के अनुसार अपनी कुंडली में मौजूद कमजोर ग्रह के अनुसार रत्न धारण करने से लोगों को कई तरह के लाभ होते हैं. मान्यता है कि सही रत्न को धारण करने से कई तरह की परेशानियां जैसे स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें, आर्थिक तंगी, गृह क्लेश, बेरोजगारी इत्यादि से छूटकारा मिल सकता है. इन बेशकीमती रत्नों को धारण करने से अशुभ ग्रह को शुभ बनाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: बड़ी सौगात: 6 STP परियोजनाओं का प्रधानमंत्री ने किया लोकार्पण, जानें खासियत

रत्नों के संबंध में जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य सुभाष जोशी बताते हैं कि नौ रत्नों में से हर एक रत्न शक्तियों का भंडार है, जो शरीर में स्पर्श के माध्यम से प्रवेश करता है. रत्न को हमेशा सूर्य की रोशनी में किसी जानकार या ज्योतिषाचार्य की सलाह पर निर्धारित मुहर्त पर ही धारण करना चाहिए. क्योंकि गलत रत्न धारण कर लेने से कई बार दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं.

गौरतलब है कि ज्योतिषाचार्य की सलाह पर बाजार में किसी भी ज्वेलरी शॉप से आप आसानी से रत्न खरीद सकते हैं, लेकिन कई बार बाजार में नकली रत्न भी उपलब्ध होते हैं. ऐसे में सबसे बड़ी समस्या यह खड़ी हो जाती है कि असली और नकली रत्न की पहचान कैसे करें?

असली और नकली रत्न की कैसे करें पहचान?

राजधानी देहरादून के जाने माने साइंटिफिक एस्ट्रोलॉजर शोभित बहुगुणा के मुताबिक असली और नकली रत्न की पहचान करना कोई आसान बात नहीं है. एक आम ग्राहक असली और नकली रत्न की पहचान नहीं कर सकता. ऐसे में यह जरूरी है कि जब भी आप कोई रत्न खरीदें तो उसे आपके शहर में मौजूद किसी मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में जरूर ले जाएं, जहां रत्नों पर शोध किया जाता है.

वहीं, यदि आप किसी ज्वेलरी शॉप से रत्न खरीद रहे हैं तो आपको संबंधित ज्वेलरी शॉप मालिक से रत्न की शुद्धता से जुड़ा प्रमाण पत्र जरूर मांगना चाहिए. दून सर्राफा मंडल के अध्यक्ष सुनील मेसोन के मुताबिक स्थानीय रत्न खरीदने पर व्यापारी से उस प्रयोगशाला का प्रमाण पत्र ( सर्टिफिकेट ) जरूर लेना चाहिए. जिसने उस रत्न की जांच की है. यदि कोई व्यापारी सर्टिफिकेट देने से इनकार करता है तो उस रत्न को कभी न खरीदें.

देहरादून: अगर आप अपनी कुंडली में मौजूद किसी भी ग्रह की दशा सुधारने के लिए रत्न धारण करने की सोच रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए. बता दें कि हिन्दू मान्यता के अनुसार प्राचीन काल से ही नौ ग्रहों में से किसी भी ग्रह के कमजोर होने पर ज्योतिष आचार्य रत्न धारण करने की सलाह देते हैं. नौ ग्रहों के आधार पर 9 तरह के रत्न उपलब्ध हैं. जिसमें हीरा, नीलम, पुखराज, पन्ना, मूंगा, मोती, माणिक्य, गोमेद और लहसुनिया रत्न शामिल है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि इन सभी रत्नों को विभिन्न ग्रहों के आधार पर ही पहना जाता है.

कैसे करें असली रत्नों की पहचान
ग्रहरत्न
शुक्रहीरा
शनिनीलम
बृहस्पतिपुखराज
मंगलपुखराज
चंद्रमोती
सूर्यमाणिक्य
राहुगोमेद
केतुलहसुनिया

बता दें कि हिंदू मान्यता के अनुसार अपनी कुंडली में मौजूद कमजोर ग्रह के अनुसार रत्न धारण करने से लोगों को कई तरह के लाभ होते हैं. मान्यता है कि सही रत्न को धारण करने से कई तरह की परेशानियां जैसे स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें, आर्थिक तंगी, गृह क्लेश, बेरोजगारी इत्यादि से छूटकारा मिल सकता है. इन बेशकीमती रत्नों को धारण करने से अशुभ ग्रह को शुभ बनाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: बड़ी सौगात: 6 STP परियोजनाओं का प्रधानमंत्री ने किया लोकार्पण, जानें खासियत

रत्नों के संबंध में जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य सुभाष जोशी बताते हैं कि नौ रत्नों में से हर एक रत्न शक्तियों का भंडार है, जो शरीर में स्पर्श के माध्यम से प्रवेश करता है. रत्न को हमेशा सूर्य की रोशनी में किसी जानकार या ज्योतिषाचार्य की सलाह पर निर्धारित मुहर्त पर ही धारण करना चाहिए. क्योंकि गलत रत्न धारण कर लेने से कई बार दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं.

गौरतलब है कि ज्योतिषाचार्य की सलाह पर बाजार में किसी भी ज्वेलरी शॉप से आप आसानी से रत्न खरीद सकते हैं, लेकिन कई बार बाजार में नकली रत्न भी उपलब्ध होते हैं. ऐसे में सबसे बड़ी समस्या यह खड़ी हो जाती है कि असली और नकली रत्न की पहचान कैसे करें?

असली और नकली रत्न की कैसे करें पहचान?

राजधानी देहरादून के जाने माने साइंटिफिक एस्ट्रोलॉजर शोभित बहुगुणा के मुताबिक असली और नकली रत्न की पहचान करना कोई आसान बात नहीं है. एक आम ग्राहक असली और नकली रत्न की पहचान नहीं कर सकता. ऐसे में यह जरूरी है कि जब भी आप कोई रत्न खरीदें तो उसे आपके शहर में मौजूद किसी मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में जरूर ले जाएं, जहां रत्नों पर शोध किया जाता है.

वहीं, यदि आप किसी ज्वेलरी शॉप से रत्न खरीद रहे हैं तो आपको संबंधित ज्वेलरी शॉप मालिक से रत्न की शुद्धता से जुड़ा प्रमाण पत्र जरूर मांगना चाहिए. दून सर्राफा मंडल के अध्यक्ष सुनील मेसोन के मुताबिक स्थानीय रत्न खरीदने पर व्यापारी से उस प्रयोगशाला का प्रमाण पत्र ( सर्टिफिकेट ) जरूर लेना चाहिए. जिसने उस रत्न की जांच की है. यदि कोई व्यापारी सर्टिफिकेट देने से इनकार करता है तो उस रत्न को कभी न खरीदें.

Last Updated : Sep 29, 2020, 1:56 PM IST
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