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देहरादून के ब्लूमिंग बड्स स्कूल में बजती है water bell, ये है कारण - Water bell rings at Blooming Buds School

देहरादून के कैंट बोर्ड द्वारा संचालित ब्लूमिंग बड्स पब्लिक स्कूल में बच्चों को पानी पीने के लिए वाटर बेल बजाई जाती है. इसका मकसद है कि बच्चे भरपूर पानी पिएं, जिससे पानी की कमी के कारण होने वाली बीमारियों से दूर रहें. इससे उन्हें थोड़ी-थोड़ी देर में पीनी पीने की आदत भी पड़ती है.

healthy practice in dehradun school
देहरादून स्कूल में वाटर बेल
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Published : Dec 3, 2021, 11:55 AM IST

Updated : Dec 3, 2021, 2:22 PM IST

देहरादून: अभी तक आपने स्कूलों में छुट्टी की घंटी बजाने के बारे में तो सुना होगा, लेकिन आज हम आपको देहरादून के एक ऐसे स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां बच्चों को पानी पीने के लिए वाटरबेल (Water bell) बजाई जाती है. इसका मकसद छात्रों को हाइड्रेटेड और फिट रहने के लिए दिन में ढेर सारा पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करना है.

इस स्कूल में बजती है पानी पीने के लिए घंटी: देहरादून के कैंट बोर्ड द्वारा संचालित ब्लूमिंग बड्स पब्लिक स्कूल (Blooming Buds Public school) में जैसे ही 10 बजकर 10 मिनट पर घंटी बजती है, वैसे ही सभी बच्चे और शिक्षक पानी पीने लगते हैं. ऐसा दिन में तीन बार होता है. यानी दिन में तीन बार बच्चों को पानी पीने के लिए वाटरबेल बजाई जाती है, जिससे बच्चे अपनी दिनचर्या में पानी पीने की आदत डालें. स्कूल की तरफ से बच्चों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का यह एक सकारात्मक प्रयास है.

ब्लूमिंग बड्स स्कूल में बजती है water bell

तीन चरणों में बजती है वाटरबेल: ब्लूमिंग बड्स पब्लिक स्कूल में वाटरबेल बजा कर बच्चों को पानी पिलाने की यह कवायद वर्ष 2019 से शुरू की गई थी. स्कूल प्रबंधन के मुताबिक दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना के कुछ स्कूलों में इस तरह का प्रयोग काफी समय से चल रहा है. उसी को अपनाते हुए यहां भी 3 चरणों में वाटरबेल बजाई जाती है.

पढ़ें- भारत-चीन सीमांत क्षेत्र में धौली गंगा पर बन रही झील, बड़े खतरे का संकेत

वाटरबेल का समय: स्कूल शुरू होते ही सुबह 10:10, उसके बाद 11:00, बजे फिर दोपहर 12:10 और फिर तीसरी बार दोपहर 12:45 में बच्चों और टीचर्स के लिए पानी पीने की घंटी बजाई जाती है. स्कूल प्रबंधन के मुताबिक वर्तमान में कक्षा 8 तक के 683 छात्र-छात्राएं यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. सभी क्लास के बच्चों को पानी पीने की आदत नर्सरी से लेकर कक्षा 8 तक डाली जा रही है.

कई रोगों से दूर रखता है पानी: स्कूल हेडमास्टर बसंत उपाध्याय के मुताबिक मानव शरीर की संरचना का अधिकांश भाग पानी के ऊपर निर्भर है. पानी पीने के कारण हमारे शरीर के कई रोग और विषैले पदार्थ बाहर आते हैं. इसके बावजूद पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की आदत लोगों की नहीं होती है. इस कारण कई बार डिहाइड्रेशन और अन्य बीमारियां होती हैं. इसी कारण बच्चों को शुरू से ही पानी पीने की आदत डाली जा रही है.

पढ़ें- ओडिशा और आंध्र की ओर बढ़ रहा है 'जवाद' तूफान, तीन राज्यों में हाई अलर्ट

बच्चों को पानी की बोतल लाना अनिवार्य: ब्लूमिंग बड्स स्कूल में सभी छात्रों को पानी की बोतल लाना अनिवार्य किया गया है. अगर किसी बच्चे के पास वाटर बोतल लाने की गुंजाइश नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्कूल द्वारा पानी की बोतल मुहैया कराई जाती है. वाटर बोतल के विषय में इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि कोई भी बच्चा प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल ना करे, क्योंकि स्कूल पर्यावरण की जागरूकता को लेकर भी बेहद सतर्क है.

ब्लूमिंग बड्स स्कूल को मिल चुका है राष्ट्रपति पुरस्कार: स्कूल में सिंगल यूज प्लास्टिक और अन्य तरह के प्लास्टिक बोतल से प्लास्टिक ब्रिक्स बनाकर उसका अलग-अलग निर्माण कार्य में इस्तेमाल किया जा रहा है. साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक के लिए बच्चों और अभिभावकों को जागरूक किया जा रहा है. इस कार्य के लिए इसी वर्ष स्वच्छता अभियान भारत सरकार के द्वारा देहरादून कैंट बोर्ड के स्कूल को स्वच्छ सर्वेक्षण 2020-21 में राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है.

देहरादून: अभी तक आपने स्कूलों में छुट्टी की घंटी बजाने के बारे में तो सुना होगा, लेकिन आज हम आपको देहरादून के एक ऐसे स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां बच्चों को पानी पीने के लिए वाटरबेल (Water bell) बजाई जाती है. इसका मकसद छात्रों को हाइड्रेटेड और फिट रहने के लिए दिन में ढेर सारा पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करना है.

इस स्कूल में बजती है पानी पीने के लिए घंटी: देहरादून के कैंट बोर्ड द्वारा संचालित ब्लूमिंग बड्स पब्लिक स्कूल (Blooming Buds Public school) में जैसे ही 10 बजकर 10 मिनट पर घंटी बजती है, वैसे ही सभी बच्चे और शिक्षक पानी पीने लगते हैं. ऐसा दिन में तीन बार होता है. यानी दिन में तीन बार बच्चों को पानी पीने के लिए वाटरबेल बजाई जाती है, जिससे बच्चे अपनी दिनचर्या में पानी पीने की आदत डालें. स्कूल की तरफ से बच्चों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का यह एक सकारात्मक प्रयास है.

ब्लूमिंग बड्स स्कूल में बजती है water bell

तीन चरणों में बजती है वाटरबेल: ब्लूमिंग बड्स पब्लिक स्कूल में वाटरबेल बजा कर बच्चों को पानी पिलाने की यह कवायद वर्ष 2019 से शुरू की गई थी. स्कूल प्रबंधन के मुताबिक दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना के कुछ स्कूलों में इस तरह का प्रयोग काफी समय से चल रहा है. उसी को अपनाते हुए यहां भी 3 चरणों में वाटरबेल बजाई जाती है.

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वाटरबेल का समय: स्कूल शुरू होते ही सुबह 10:10, उसके बाद 11:00, बजे फिर दोपहर 12:10 और फिर तीसरी बार दोपहर 12:45 में बच्चों और टीचर्स के लिए पानी पीने की घंटी बजाई जाती है. स्कूल प्रबंधन के मुताबिक वर्तमान में कक्षा 8 तक के 683 छात्र-छात्राएं यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. सभी क्लास के बच्चों को पानी पीने की आदत नर्सरी से लेकर कक्षा 8 तक डाली जा रही है.

कई रोगों से दूर रखता है पानी: स्कूल हेडमास्टर बसंत उपाध्याय के मुताबिक मानव शरीर की संरचना का अधिकांश भाग पानी के ऊपर निर्भर है. पानी पीने के कारण हमारे शरीर के कई रोग और विषैले पदार्थ बाहर आते हैं. इसके बावजूद पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की आदत लोगों की नहीं होती है. इस कारण कई बार डिहाइड्रेशन और अन्य बीमारियां होती हैं. इसी कारण बच्चों को शुरू से ही पानी पीने की आदत डाली जा रही है.

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बच्चों को पानी की बोतल लाना अनिवार्य: ब्लूमिंग बड्स स्कूल में सभी छात्रों को पानी की बोतल लाना अनिवार्य किया गया है. अगर किसी बच्चे के पास वाटर बोतल लाने की गुंजाइश नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्कूल द्वारा पानी की बोतल मुहैया कराई जाती है. वाटर बोतल के विषय में इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि कोई भी बच्चा प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल ना करे, क्योंकि स्कूल पर्यावरण की जागरूकता को लेकर भी बेहद सतर्क है.

ब्लूमिंग बड्स स्कूल को मिल चुका है राष्ट्रपति पुरस्कार: स्कूल में सिंगल यूज प्लास्टिक और अन्य तरह के प्लास्टिक बोतल से प्लास्टिक ब्रिक्स बनाकर उसका अलग-अलग निर्माण कार्य में इस्तेमाल किया जा रहा है. साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक के लिए बच्चों और अभिभावकों को जागरूक किया जा रहा है. इस कार्य के लिए इसी वर्ष स्वच्छता अभियान भारत सरकार के द्वारा देहरादून कैंट बोर्ड के स्कूल को स्वच्छ सर्वेक्षण 2020-21 में राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है.

Last Updated : Dec 3, 2021, 2:22 PM IST
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