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हाईटेंशन लाइन के लिए गांव में टावर लगाने पहुंचे अधिकारियों को लौटना पड़ा बैरंग

ग्रामीणों ने साफ कह दिया है कि वो टावर लगाने के लिए एक इंच भी जमीन नहीं देंगे. ग्रामीणों ने अधिकारियों से लिखित में  लिया है कि टावर निर्माण कारण बीती 5 जुलाई को उनके खेतों में जो नुकसान हुआ है उसका मुआवजा 2 हफ्तों में दिया जाए.

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Published : Jul 9, 2019, 11:08 PM IST

Updated : Jul 9, 2019, 11:15 PM IST

ग्रामीणों का विरोध

ऋषिकेश: भींगारकी गांव में पावर ग्रिड विभाग के अधिकारियों को ग्रामीणों के गुस्से का सामना करना पड़ा. अधिकारियों को बिना सर्वें किए ही वापस लौटना पड़ा. ग्रामीण ने साफ कर दिया है कि जबतक उनके नुकसान की भरपाई नहीं हो जाती वो खेतों में कोई भी टावर नहीं लगने देंगे.

पढ़ें- पूर्व बैंक अधिकारी के घर और बैंक में CBI की RAID, मचा हड़कंप, जानें पूरा मामला

बता दें कि 2005-06 में टिहरी से मेरठ जा रही है हाईटेंशन लाइन के लिए भींगारकी गांव के पास टावर लगाया था, जो कुछ समय पहले टेढ़ा हो गया था. जिसके ठीक करने के लिए विभाग के अधिकारी बीती 5 जुलाई को जेसीबी मशीन के साथ पहुंचे थे. जेसीबी के कारण खेतों में खड़ी किसानों की फसल बर्बाद हो गयी थी.

पढ़ें- उत्तराखंडः बाइक सवार को बचाने के चक्कर में सड़क से नीचे पलटी बोलेरो , एक की मौत, 10 घायल

9 जुलाई को भी विभाग के अधिकारी उसी टावर को सही करने पहुंचे थे और गांव के पास ही दो अन्य टावर लगाने के लिए सर्वे करने आए थे, जिसका ग्रामीणों ने विरोध किया. ग्रामीणों को कहना है कि वो टावर लगाने के लिए अपनी जमीन नहीं देंगे. क्योंकि विभाग की तरफ से इसका उन्हें सही मुआवजा नहीं मिल रहा है. ग्रामीणों ने साफ कह दिया है कि वो टावर लगाने के लिए एक इंच भी जमीन नहीं देंगे. ग्रामीणों ने अधिकारियों से लिखित में लिया है कि टावर निर्माण कारण बीती 5 जुलाई को उनके खेतों में जो नुकसान हुआ है उसका मुआवजा 2 हफ्तों में दिया जाए.

ऋषिकेश: भींगारकी गांव में पावर ग्रिड विभाग के अधिकारियों को ग्रामीणों के गुस्से का सामना करना पड़ा. अधिकारियों को बिना सर्वें किए ही वापस लौटना पड़ा. ग्रामीण ने साफ कर दिया है कि जबतक उनके नुकसान की भरपाई नहीं हो जाती वो खेतों में कोई भी टावर नहीं लगने देंगे.

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बता दें कि 2005-06 में टिहरी से मेरठ जा रही है हाईटेंशन लाइन के लिए भींगारकी गांव के पास टावर लगाया था, जो कुछ समय पहले टेढ़ा हो गया था. जिसके ठीक करने के लिए विभाग के अधिकारी बीती 5 जुलाई को जेसीबी मशीन के साथ पहुंचे थे. जेसीबी के कारण खेतों में खड़ी किसानों की फसल बर्बाद हो गयी थी.

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9 जुलाई को भी विभाग के अधिकारी उसी टावर को सही करने पहुंचे थे और गांव के पास ही दो अन्य टावर लगाने के लिए सर्वे करने आए थे, जिसका ग्रामीणों ने विरोध किया. ग्रामीणों को कहना है कि वो टावर लगाने के लिए अपनी जमीन नहीं देंगे. क्योंकि विभाग की तरफ से इसका उन्हें सही मुआवजा नहीं मिल रहा है. ग्रामीणों ने साफ कह दिया है कि वो टावर लगाने के लिए एक इंच भी जमीन नहीं देंगे. ग्रामीणों ने अधिकारियों से लिखित में लिया है कि टावर निर्माण कारण बीती 5 जुलाई को उनके खेतों में जो नुकसान हुआ है उसका मुआवजा 2 हफ्तों में दिया जाए.

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ऋषिकेश-- 2005-06 में टिहरी से मेरठ के लिए बने हाइटेंसन लाइन का भींगारकी टावर टेढ़ा होने के कारण पावर ग्रिड के अधिकारी टावर को ठीक करने के लिए पंहुचे लेकिन काश्तकारों ने पावर ग्रिड के अधिकारियों को बैरंग लौट आते हुए उनसे लिखित लिया है कि टावर निर्माण में गत 5 जुलाई को जेसीबी द्वारा गढ़ा करने  को गई जेसीबी से खेतों के पुश्तों,चारापति के पेड़ों जमीन का जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई 2 हफ्ते में कर देंगे।


Body:वी/ओ--पावर ग्रिड का विरोध कर रहे लोगों का यह भी कहना था कि इस गांव के  ऊपर से 8 भारी विद्युत लाइनें गुजर रही हैं, और ग्रामीण पहले ही अपने खेत पावर ग्रिड की इन बड़ी लाइनों के लिए दे चुके हैं अब उनके पास सिर्फ इक्का- दुक्का खेत ही बचे हैं।कोई टावर खराब हो जाए तो उसे ठीक क्यों नहीं किया जाता। एक टावर खराब होने पर दूसरे टावर को जमीन देने का ठेका गांव वालों का नहीं है।सोमवार को काश्तकारों ने पावर ग्रिड के अधिकारियों को बैरंग लौटते हुए उनसे लिखित लिया है कि टावर निर्माण में गत 5 जुलाई को जेसीबी द्वारा गढ़ा करने  को गई जेसीबी से खेतों के पुश्तों,चारापति के पेड़ों जमीन का जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई 2 हफ्ते में कर देंगे, काश्तकारों ने चेतावनी दी है कि 21 जुलाई तक यदि उन्हें उक्त संबंधित मुआवजा नदिया गया तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। ग्रामीणों और काश्तकारों की यह भी मांग है कि जो टावर क्षतिग्रस्त व टेढ़ा होता जा रहा है उस पर घटिया मैट्रियल प्रयोग किया गया था उसकी जांच की जानी चाहिए और इसके लिए दोषी को सजा दी जानी चाहिए,काश्तकारों ने देर शाम तक हुई बैठक में टीएचडीसी के अधिकारियों को बैरंग लौटाया और कहा कि वे टावर के लिए 1 इंच भी भूमि देने को तैयार नहीं है ,अन्यथा जिस गांव के ऊपर से  8 भारी विद्युत लाइनें  गुजर रही हों,ऐसे गांव भिंगार्की को ही विस्थापित किया जाए।

बाईट--ओमगोपाल रावत(पूर्व विधायक,नरेंद्र नगर)
बाईट--कमल सिंह रावत(ग्राम प्रधान,ग्राम पंचायत भींगारकी)



Conclusion:वी/ओ--वहीं जब इस विषय मे डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर नवीन वर्मा से कैमरे के सामने बात करने की कोशिश की गई तो वे कुछ भी बयान न देते हुए कैमरे के सामने भाग खड़े हुए।

बाईट--नवीन गुप्ता(डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर)
Last Updated : Jul 9, 2019, 11:15 PM IST
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